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यमुना में गिर रहे गाजीपुर बूचड़खाने में कटे पशुओं का अपशिष्ट, DPCC ने NGT को भेजी रिपोर्ट में हुआ खुलासा

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी अपनी अपनी जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है। NGT ने रिपोर्ट के आधार पर कहा कि संयुक्त निरीक्षण कमेटी की रिपोर्ट से पता चलता है कि यमुना में अभी भी पशुओं का अनुपचारित अपशिष्ट मिल रहा है।

By Ritika MishraEdited By: Nitin YadavUpdated: Sun, 22 Oct 2023 05:49 PM (IST)
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यमुना में गिर रहे गाजीपुर बूचड़खाने में कटे पशुओं का अपशिष्ट।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गाजीपुर बूचड़खाने के संचालन में पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के खिलाफ दायर एक याचिका पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी।

रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने कहा कि संयुक्त निरीक्षण कमेटी की रिपोर्ट से पता चलता है कि यमुना में अभी भी पशुओं का अनुपचारित अपशिष्ट मिल रहा है। ये अपशिष्ट बूचड़खाने से सीधे नालों में बहाया जाता है जो कि बाद में यमुना नदी में गिरते हैं।

NGT ने DPCC को दिए फिर से जांच के निर्देश

एनजीटी ने कहा कि यमुना की जल गुणवत्ता और माइक्रोबायोलॉजी विश्लेषण रिपोर्ट में 240 एमपीएन प्रति 100 मिलिलीटर कोलीफार्म और 13 एमपीएन प्रति 100 मिलिलीटर फीकल कोलीफार्म पाया गया। एनजीटी ने डीपीसीसी को आठ सप्ताह के अंदर दोबारा जांच रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

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परियोजना प्रस्तावक ने मांगा 4 हफ्ते का वक्त

परियोजना प्रस्तावक की ओर से पेश अधिवक्ता ने संयुक्त निरीक्षण कमेटी की जांच में चिन्हित कमियों पर सुधार के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है। एनजीटी ने संयुक्त निरीक्षण कमेटी को चार सप्ताह के बाद निरीक्षण करने और मौके पर पाए गए पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन की स्थिति की रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

विशेषज्ञों का कहना है कि कुल कोलीफार्म और फीकल कोलीफार्म का जल के नमूनों में उपस्थित होना यह संकेत देता है कि यमुना के जल में जानवरों या मानव का गिर रहा है। यानी पानी में सीवेज अभी भी बिना ट्रीटमेंट के ही मिल रहा है। कोलीफार्म मनुष्य व पशुओं की आंत में पाया जाने वाला सूक्ष्म जीव है। जो कि डायरिया सहित पेट से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है।

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