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रामलीला मैदान में अन्‍ना की ललकार, बोले- अंग्रेज चले गए, लेकिन लोकतंत्र नहीं आया

उन्होंने कहा कि अंग्रेज चले गए, लेकिन लोकतंत्र नहीं आया। साथ ही कहा कि सिर्फ गोरे गए और काले आ गए।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 23 Mar 2018 10:50 PM (IST)
रामलीला मैदान में अन्‍ना की ललकार, बोले- अंग्रेज चले गए, लेकिन लोकतंत्र नहीं आया

नई दिल्ली (जेएनएन)। छह साल बाद एक बार फ‍िर दिल्‍ली का रामलीला मैदान समाजसेवी अन्ना हजारे का कुरुक्षेत्र बन गया है। अपनी तमाम मांगों को लेकर उन्‍होंने केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी सरकार को खबरदार किया है। इस महाआंदोलन की शुरुआत करने से पहले शुक्रवार सुबह वह राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर गए और वहां पर उन्होंने बापू को नमन किया। इसके बाद अन्‍ना सीधे रामलीला मैदान पहुंचे और अपने हजारों समर्थकों की मौजदूगी में मंच पर सबसे पहले तिरंगा लहराया। 

क्या यही लोकतंत्र है

अन्‍ना ने कहा कि मैंने सरकार को 42 बार पत्र लिखा, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया और अंत में मुझे अनशन पर बैठना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अंग्रेज चले गए, लेकिन लोकतंत्र नहीं आया। साथ ही कहा कि सिर्फ गोरे गए और काले आ गए। अपनी मांगों के संदर्भ में अन्ना हजारे ने कहा कि सिर्फ जुबानी आश्वासन पर अनशन नहीं रुकेगा, बल्कि पुख्ता निर्णय लेना पड़ेगा। केंद्र सरकार को घेरते हुए अन्ना ने कहा कि आंदोलनकारियों को यहां आने से रोका जा रहा है। क्या यही लोकतंत्र है।

सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध 

अन्ना हजारे ने लंबी लड़ाई का संकेत देते हुए कहा कि जब तक शरीर में प्राण है बात करेंगे। उन्होंने कहा कि 80 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से मृत्यु होने की बजाए समाज की भलाई के लिए मृत्यु हो। सभा में बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। रामलीला मैदान के चारों तरफ व अंदर भी चप्पे-चप्पे पर पैरामिलिट्री व दिल्ली पुलिस तैनात है। किसी भी तरह की संभावनाओं से निबटने के लिए दिल्ली पुलिस ने पूरी तैयारी की है।

रामलीला मैदान के अंदर, मंच के चारों तरफ व मैदान में प्रवेश व निकासी वाले सभी द्वारों पर पर्याप्त पुलिसकर्मी मौजूद हैं। पुलिस का कहना है कि मेटल डिटेक्टर से गुजरने के बाद मैन्युअल जांच करने के बाद ही किसी को अंदर जाने दिया जाएगा।

बता दें कि भ्रष्‍टाचार किसानों समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बार फिर अनशन पर बैठने जा रहे हैं। इस बार भी उनके साथ 2011 जैसी ही कार्यकर्ताओं की एक टीम होगी। अन्ना ने सरकार के सामने किसानों के मुद्दे पर अलग-अलग मांगे रखी हैं। 

ट्रेनें रद करने पर केंद्र सरकार को घेरा

इससे पहले अन्ना ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को ला रही ट्रेनों को कैंसिल कर दिया गया है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आप प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाना चाहते हैं। वहीं, मेरी सुरक्षा में पुलिस तैनात है, जबकि मैं पहले ही लिखित में दे चुका हूं कि मुझे सुरक्षा नहीं चाहिए। 

 

वहीं, रामलीला मैदान आंदोलन के लिए पूरी तरह से तैयार है। यहां पर समुचित व्यवस्था की गई है। पुलिस प्रशासन भी सचेत और सक्रिय है। 

वहीं, अन्ना आंदोलन के लिए लोग भी पहुंचने लगे हैं। कुछ लोग तो सुबह 5 बजे से ही यहां पर जमा हैं और धीरे-धीरे लोगों के आने का सिलसिला तेज हो रहा है। 

इस बार आर-पार की होगी लड़ाई

अन्ना की मानें तो उनके साथ हजारों की संख्या से देशभर में अलग-अलग राज्यों से आए किसान आंदोलन में शामिल होने पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि वे इस आंदोलन में सिर्फ किसानों की लड़ाई लड़ेंगे। अन्ना ने मांगों को लेकर यह भी कहा कि इस बार जो लड़ाई होगी वो आर-पार की होगी।

राजनीतिक पार्टियों को मंच पर जगह नहीं

अन्ना के मंच पर किसी भी राजनीतिक पार्टी को जगह नहीं दी जाएगी। इस बार की टीम का हर सदस्य एक शपथपत्र अन्ना को दे चुका है कि वह भविष्य में किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा। अन्ना ने यह शपथपत्र अपने कार्यकर्ताओं से इसलिए लिया है, ताकि भविष्य में उनके आंदोलन के सहारे नया केजरीवाल, सिसौदिया या किरण बेदी पैदा न हो।

अन्ना के अनुसार, यह अच्छी बात है कि इस बार के आंदोलन में 2011 के आंदोलन का कोई सदस्य नहीं है। हमने नए सदस्यों की एक टीम बनाई है, जिसमें सभी सदस्यों ने यह उक्त शपथपत्र दिया है। इसके बाद ही हमने उन्हें अपने साथ काम करने की अनुमति दी है।

शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के बलिदान दिवस 23 मार्च से शुरू हो रहे अपने आंदोलन के इस चरण के लिए अन्ना ने देशभर में घूम-घूम कर 600 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है। इनमें 20 सदस्यों की एक कोर टीम भी बनाई गई है। यह टीम रामलीला मैदान में उसी तरह आंदोलन का संचालन करेगी, जैसे 2011 के आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास और किरण बेदी किया करते थे।

सिटिजन चार्टर भी लागू करने की मांग

अन्ना का यह आंदोलन केंद्र में लोकपाल एवं सभी राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग के साथ-साथ सिटिजन चार्टर लागू करने एवं किसानों की समस्याओं को केंद्र में रखकर हो रहा है। अन्ना का कहना है कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद वह उन्हें कई बार ये मांगें पूरी करने के लिए पत्र लिख चुके हैं। लेकिन उनके पत्रों के जवाब तक नहीं दिए गए।

यहां तक कि दिल्ली में आंदोलन की जगह मांगने के लिए भी पिछले चार महीने में 16 पत्र लिख चुके हैं। अब जाकर सरकार ने उन्हें रामलीला मैदान में आंदोलन की अनुमति दी है। अन्ना की 20 सदस्यीय कोर कमेटी में दो सदस्य शिवाजी खेडकर एवं कल्पना ईनामदार महाराष्ट्र से हैं। इसी प्रकार कर्नल दिनेश नैन एवं मनींद्र जैन दिल्ली से, विक्रम टापरवाड़ा राजस्थान से, अक्षय कुमार ओडिशा से एवं करणवीर थामन पंजाब से हैं।

अन्ना हजारे की मांगें

1. कानून तो बन गए हैं लेकिन यह अब ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।

2. लोगों को सूचनाएं नहीं मिल रही हैं।

3. अन्ना हजारे ने कहा कि हमारा कहना है कि सरकार के नियंत्रण में जो भी आयोग है जैसे कृषि मूल्य आयोग चुनाव आयोग नीति आयोग या इस तरह के अन्य आयोग से सरकार का नियंत्रण हटना चाहिए और उसे संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए।

4. ऐसे किसान जिसके घर में किसान को कोई आय नहीं है उसे 60 साल बाद 5000 हजार रुपया पेंशन मिलनी चाहिए।

5. संसद में किसान बिल को पास करो, क्योंकि हमारा संविधान सभी को जीने का अधिकार देता है।

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