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अर्जुन अवार्डी प्रशांता करमाकर ने तीन साल के निलंबन को दी दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती

Arjuna Awardee Prashanta Karmakar अधिवक्ता अमित कुमार शर्मा व सत्यम सिंह के माध्यम से याचिका दायर कर करमाकर ने इसके साथ ही बेवजह तीन साल के लिए निलंबित किए जाने की एवज में मुआवजा देने की मांग की है।

By JP YadavEdited By: Updated: Tue, 22 Sep 2020 12:00 PM (IST)
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नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाई कोर्ट की फाइल फोटो।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Arjuna Awardee Prashanta Karmakar:  तीन साल के लिए निलंबित करने के पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (पीसीआइ) के फैसले को अर्जुन अवार्डी पैरा-स्वीमिंग खिलाड़ी प्रशांता करमाकर (Arjuna Awardee Prashanta Karmakar) ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। प्रशांता करमाकर ने याचिका दायर कर कहा कि उन्हें झूठे आरोपों के आधार पर निलंबित किया गया है। प्रशांता करमाकर ने कहा कि निलंबन करने से पहले उन्हें उन पर लगाए गए आरोपों की जानकारी भी नहीं दी गई। पीसीआई के सात फरवरी 2018 के आदेश को रद करने का निर्देश देने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की सभी प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति दी जाए।

अधिवक्ता अमित कुमार शर्मा व सत्यम सिंह के माध्यम से याचिका दायर कर करमाकर ने इसके साथ ही बेवजह तीन साल के लिए निलंबित किए जाने की एवज में मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने निलंबन के फैसले को गैरकानूनी और भेदभावपूर्ण बताया।

करमाकर ने कहा है कि जयपुर में 31 मार्च से 3 अप्रैल 2017 को हुई पैरा स्वीमिंग चैंपियनशिप के दौरान एक महिला तैराक की शिकायत पर उन्हें एक कारण बताओ नोटिस देकर बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि जिस आधार पर उन्हें निलंबित किया गया, उससे जुड़े दस्तावेज भी नहीं दिखाए गए और न ही उनका पक्ष ही सुना गया। उन्होंने कहा कि इस फैसले को रद किया जाए। 

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