सबरंग: रंगों ने सुनाई भारत गाथा, शिव की जटाओं से उतर रही गंगा, जानवर मना रहे हैं जश्न
प्रदर्शनी में लगी हर तस्वीर भारत की कहानी सुनाती है। एक तरफ कलाकृति में गंगा को शिव की जटाओं से निकलते हुए देख सकते हैं तो वहीं, दूसरी तरफ जानवरों का जश्न भी देख सकते हैं।
By Amit MishraEdited By: Updated: Fri, 03 Aug 2018 04:57 PM (IST)
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। हर तस्वीर यहां भारत की गाथा कहती है...उस भारत की, जो सिर्फ एक मजहब, एक जाति, एक व्यक्ति में सिमटा हुआ नहीं बल्कि 'हम सबका भारत'। वो भारत जहां इच्छाओं की अनंत उड़ान है...मन की बेड़ियों को तोड़ती परिसंकल्पनाएं हैं...कूची में सजे गली और कूचे हैं...आधी आबादी का रंगों से सजा आत्मविश्वास है...रंगों में लिपटी गंगा की लहरे भी हैं तो एकांत बैठा बुद्ध का ज्ञान-दर्शन भी है। सबरंग के इस अंक में कनॉट प्लेस के जनपथ सब-वे में लगी प्रदर्शनी से रूबरू होंगे
भारत की गाथा कहती ये तस्वीरें इन दिनों कनॉट प्लेस की फिजा में देशभक्ति का संचार कर रही हैं। आज कल दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में आने के बाद हर युवा-बुजुर्ग, विदेशी सैलानी के कदम यहां आउटर सर्कल स्थित जनपथ सब-वे में ठहर जाते हैं। दरअसल यहां चित्रकला प्रदर्शनी लगी है। जहां आपको दिल्ली समेत देशभर के 73 कलाकारों की 100 से ज्यादा चित्रकलाओं का दीदार करने का सुअवसर मिल रहा है। इस सप्ताहांत यदि आप भारत की विविधता में एकता को साकार करना चाहते हैं तो नई दिल्ली नगर पालिका परिषद द्वारा आयोजित पेंटिंग प्रदर्शनी से बेहतर आयोजन भला क्या हो सकता है। जनपथ सब-वे में विजय की उत्कृष्ट कृतियां-हमारा राष्ट्रीय गौरव नाम से आयोजित इस पेंटिंग प्रदर्शनी में जाति-धर्म से ऊपर देश को दर्शाती कई पेंटिंग आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
हर कलाकृति में कहानी
प्रदर्शनी में लगी हर तस्वीर भारत की कहानी सुनाती है। आयोजक एवं क्यूरेटर किशोर लाबर कहते हैं कि दिल्ली कोलाज ऑफ आर्ट और जामिया मिलिया के छात्रों की कलाकृतियां भी यहां प्रदर्शित की गई हैं। हमारी कोशिश है कि हम भारत के विविध रंगों को कैनवस पर उतार सकें। ताकि युवा पीढ़ी इन कलाकृतियों के बहाने देश को समझ सके। इस कड़ी में रंजीत सरकार की कलाकृति 'बनारस भारतीय जनमानस एवं आध्यात्म' की गाथा सुनाती है। वहीं कमलेश तिवारी गंगा के अभिमान को तोड़ते दिखते हैं। उनकी कलाकृति गंगा के धरती पर उतरने की कहानी सुनाती है। कलाकृति में गंगा को शिव की जटाओं से निकलते हुए दिखाया गया है।
जानवरों का जश्न
जाकिर खान ने मशीनों के कलपुर्जों के जरिए आज के मानव को दर्शाया है तो निवेदिता ने अपनी कलाकृति से आज के समाज पर तंज कसा है। उनकी कलाकृति में दो शख्स शराब का प्याला हाथ में लिए हुए हैं, जिनके चेहरे जानवर जैसे हैं। क्यूरेटर किशोर कहते हैं कि आज मनुष्य जानवर हो चुका है। आए दिन ऐसी घटनाएं पढ़ने-सुनने को मिलती हैं, जिससे दिल दहलता है। यह कला शराब पीकर आदमी के जानवर बनने की दास्तां सुनाती है। वहीं विजय वंश ने शांति का संदेश देती बुद्ध की कलाकृति प्रदर्शित की है। आरके पटनायक की एक कलाकृति दर्शकों की चहेती बनी हुई है। दरअसल, इस कलाकृति में दो जानवरों को सेलिब्रेशन करते दिखाया गया है। इनके आसपास तिरंगा बना है। क्यूरेटर की मानें तो पेंटिंग यह बताती है कि सेलिब्रेशन यानी उत्सव सिर्फ मनुष्य ही नहीं, पशु भी कर सकते हैं। हमें सब की आजादी का ख्याल रखना चाहिए।
कोई न हो बेघर
मेघना अपनी कलाकृति के जरिए लोगों को पर्यावरणीय खतरे के प्रति आगाह करती हैं। कला में दर्शाया गया है कि ऊंची बहुमंजिली इमारतों के बीच जानवर किस तरह रह रहे हैं। उन्होंने जानवरों के रहने के लिए जगह नहीं होने के बहाने पर्यावरण के खतरे को इंगित किया है।दस साल की कड़ी मेहनत
संजय चक्रवर्ती की एक पेंटिंग में पात्र मानो जीवंत हो उठते हैं। इस कलाकृति में साधुओं को नाचते हुए दिखाया गया है। भगवान की भक्ति में रमे ये साधु मानो देश दुनिया से बेखबर हैं। क्यूरेटर की मानें तो संजय चक्रवर्ती को यह कलाकृति बनाने में दस साल का समय लगा है। इसे बनाने के लिए उन्होंने ब्रश का इस्तेमाल नहीं किया है। स्प्रीचुला की मदद से इसे बनाया है। वहीं रंजीत सरकार ने मां-बेटे के भाव को दर्शाती एक कलाकृति बनाई है, जिसमें मां अपने सोते हुए बेटे को एकटक निहार रही है।देश सबका है
प्रिंस राज ने एक साधु के माथे पर तिरंगा बनाया है। यह कलाकृति देशभक्ति को हर धर्म, मजहब से परे बताती है। तस्वीर में हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई धर्मों के प्रतीक चिन्ह भी बनाए गए है। वहीं कपिल की कलाकृति आधी आबादी की महात्वाकांक्षा एवं उनके सपनों को बयां करती है। मेटल से बनी महिला की आकृति को आसमान में उडऩे की कोशिश करते दिखाया गया है। हालांकि उसके पांव जमीन पर टिके हैं। कपिल कहते हैं, महिलाएं आज आजादी चाहती हैं। वो अपनी मर्जी से जिंदगी जीना चाहती हैं।
जिंदगी में हो सकेगा खुशहाली संचारएनडीएमसी के चेयरमैन नरेश कुमार ने कहा कि महानगर की भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में यह प्रदर्शनी खुशहाली का संचार करेगी। इसका मकसद कला एवं संस्कृति को कलादीर्घाओं, संग्रहालयों और सभागारों से बाहर निकाल कर सार्वजनिक स्थानों पर जन-साधारण को सुलभ कराना है ताकि वें इनमें भाग लेने के साथ-साथ इनका आनंद भी उठा सकें।
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