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इराकी नागरिक को कृत्रिम दिल लगाकर दी नई जिंदगी

कार्डियक थोरेसिक सर्जरी विभाग के चेयरमैन डॉ. अजय कौल ने कहा कि इस उपकरण को कृत्रिम दिल भी कहते हैं। यह दिल से ब्लड को पंप कर शरीर के दूसरे हिस्सों में भेजता है।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 03 Aug 2018 09:54 AM (IST)
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इराकी नागरिक को कृत्रिम दिल लगाकर दी नई जिंदगी
नई दिल्ली (जेएनएन)। इराक के रहने वाले हनी जवाद मोहम्मद (51) का शरीर आतंकी वारदात में गोलियों से छलनी हो गया था। उन्हें कई ऑपरेशन से गुजरना पड़ा था। मानसिक तनाव से वह हार्ट फेल्योर के मरीज हो गए और उनके दिल ने कार्य करना कम कर दिया। जिंदगी और मौत की जंग के बीच दिल्ली के डॉक्टरों ने उन्हें कृत्रिम दिल लगाकर नई जिंदगी दी।

बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के कार्डियक थोरेसिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर पीड़ित के दिल में एलवीएडी (लेफ्ट वेंटिकल असिस्टेंस डिवाइस) प्रत्यारोपित किया। कार्डियक थोरेसिक सर्जरी विभाग के चेयरमैन डॉ. अजय कौल ने कहा कि इस उपकरण को कृत्रिम दिल भी कहते हैं। यह दिल से ब्लड को पंप कर शरीर के दूसरे हिस्सों में भेजता है।

अस्पताल के अनुसार, पीड़ित को कई गोलियां लगी थीं। हालांकि, वह बच गए, मगर अपंग हो गए। उनके शरीर का निचला हिस्सा पैरालाइज हो गया और दिल भी ठीक से काम नहीं कर पा रहा था। डॉक्टरों ने दवा देकर दिल की कार्यक्षमता बढ़ाने की कोशिश की पर सफलता नहीं मिली। इसके बाद डॉक्टरों ने पीड़ित को एलवीएडी उपकरण लगाने का सुझाव दिया। 12 विशेषज्ञों की टीम ने छह घंटे की सर्जरी में पीड़ित को यह उपकरण प्रत्यारोपित किया।

डॉ. अजय कौल ने बताया कि यह उपकरण निरंतर काम रहता है। इसके इस्तेमाल से हार्ट फेल्योर के मरीजों के जीवन की संभावना 10-12 साल बढ़ जाती है। हालांकि, यह उपकरण बहुत महंगा है पर विदेश की तुलना में भारत में इसके प्रत्यारोपण में कम खर्च आता है।

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