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Excise Policy Case: अरविंद केजरीवाल ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, जमानत के लिए दायर की याचिका

आबकारी नीति मामले को लेकर सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इसके अलावा दिल्ली सीएम ने नियमित जमानत याचिका भी दायर की है। अरविंद केजरीवाल की तरफ से यह मामला सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष मेंशन किया गया है।

By Agency Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 12 Aug 2024 11:28 AM (IST)
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जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अरविंद केजरीवाल। (फाइल फोटो)
एएनआई, नई दिल्ली। आबकारी नीति मामले में जमानत के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आबकारी नीति मामले में जेल से रिहाई की मांग की है। उन्होंने याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अपनी गिरफ्तारी और रिमांड के आदेश को चुनौती दी है।

इसके अलावा, उन्होंने मामले में नियमित जमानत याचिका भी दायर की है। समाचार एजेंसी एएनआई ने आम आदमी पार्टी की कानूनी टीम के हवाले से यह जानकारी दी है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने को कहा था।

ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को किया था गिरफ्तार

ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद 21 मार्च से केजरीवाल हिरासत में हैं। इस दौरान मई में शीर्ष अदालत ने लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली सीएम को 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।

वहीं, 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, यह स्वीकार करते हुए कि उन्होंने 90 दिन से अधिक समय जेल में बिताया है। हालांकि इसी मामले में 26 जून को सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के कारण वे हिरासत में ही हैं।

सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से मिल चुकी है जमानत

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आबकारी नीति मामले में जमानत दिए जाने के दो दिन बाद दायर की गई थी। 9 अगस्त को सिसोदिया को जमानत पर रिहा करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 17 महीने की लंबी कैद और एक ऐसे मामले में उनकी लगातार हिरासत, जिसमें जल्द ही मुकदमे के समाप्त होने की कोई उम्मीद नहीं है, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के सिसोदिया के मौलिक अधिकार का हनन करती है।

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