कौन हैं Justice Ujjal Bhuyan... केजरीवाल को जमानत देते वक्त CBI को कह दिया 'पिंजरे में बंद तोता', नजीर बनेगा फैसला
Delhi Liquor scam case में ईडी और सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज बेल मिल गई है। उनकी बेल सुप्रीम को की दो जजों की बेंच जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां ने सुनाई। दोनों में से जस्टिस भुइयां ने जमानत आदेश सुनाते हुए कई सख्त टिप्पणियां कीं जो सीबीआई की कार्यप्रणाली भी दिखाता है। पढ़ें कौन हैं जस्टिस भुइयां।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi Excise Policy Scam Case में आज नया मोड़ आ गया है। आज यानी 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई के मामले में भी नियमित जमानत दे दी।
इस मामले में अहम ये है कि जमानत देने से ज्यादा जजों ने केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है। केजरीवाल को जमानत दो जजों की बेंच ने दी है और इसमें से जस्टिस उज्जल भुइयां की टिप्पणियां बेहद अहम हैं जिसमें उन्होंने सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' तक कह दिया है।
इसके साथ ही जस्टिस उज्जल ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग से लेकर इंश्योरेंस अरेस्ट तक की दलील जो केजरीवाल के वकील ने दी थी उस पर एक प्रकार की मुहर लगाई है।
इन सख्त टिप्पणियों के चलते केजरीवाल की जमानत एक नजीर बन गई है। ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन हैं जस्टिस उज्जल भुइयां...
गुवाहाटी में जन्म फिर कैसे पहुंचे दिल्ली
जस्टिस उज्जल भुइयां का जन्म 2 अगस्त, 1964 को गुवाहाटी में हुआ था। उनके पिता सुचेंद्र नाथ भुइयां एक वरिष्ठ वकील और असम के पूर्व महाधिवक्ता थे।
जस्टिस भुइयां ने अपनी स्कूली शिक्षा डॉन बॉस्को हाई स्कूल, गुवाहाटी से की और उसके बाद कॉटन कॉलेज, गुवाहाटी से पढ़ाई की। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से कला में स्नातक करने के बाद उन्होंने एलएलबी की उपाधि प्राप्त की। गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, गुवाहाटी से डिग्री और एलएलएम। गौहाटी विश्वविद्यालय, गुवाहाटी से डिग्री।
1991 में हुए एनरोल
जस्टिस भुइयां को असम, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश की बार काउंसिल में 20-03-1991 को एनरोल किया गया था।
उन्होंने गुवाहाटी में गोहाटी उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ के समक्ष अभ्यास किया और गोहाटी उच्च न्यायालय की अगरतला, शिलॉन्ग, कोहिमा और ईटानगर पीठों के समक्ष पेश हुए थे।आगे चलकर उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, गुवाहाटी पीठ और असम राजस्व बोर्ड के समक्ष भी अभ्यास किया। यही नहीं वह श्रम न्यायालय, गुवाहाटी, विभिन्न सिविल न्यायालयों और राज्य उपभोक्ता फोरम, अरुणाचल प्रदेश के समक्ष उपस्थित हुए।
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उन्होंने मई 1995 से आयकर विभाग के लिए जूनियर वकील के तौर पर 16 वर्षों तक काम किया और 3 दिसंबर 2008 को वह इसी विभाग में सीनियर वकील के तौर पर नियुक्त हुए।03-12-2008 को आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में नियुक्त हुए। वह अप्रैल, 2002 से अक्टूबर 2006 तक गोहाटी उच्च न्यायालय की प्रधान सीट पर मेघालय के अतिरिक्त सरकारी वकील रहे। इसके बाद जस्टिस उज्जल दिसंबर 2005 से अप्रैल 2009 तक अरुणाचल प्रदेश सरकार के वन विभाग के विशेष वकील के रूप में कार्यरत रहे। तीन मार्च 2010 को उन्हें गोहाटी उच्च न्यायालय के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया।ये है पूरा सफर
- गोहाटी हाईकोर्ट में वह वरिष्ठ एडवोकेट के रूप में सितंबर 2010 में नियुक्त हुए।
- 2011 जुलाई में वह एडिशनल जनरल असम के रूप में नियुक्त हुए।
- 17 अक्टूबर 2011 को उनकी नियुक्ति गोहाटी कोर्ट के एडिशनल जज के रूप में हुई और 20 मार्च 2013 में कंफर्म हुआ।
- इस दौरान वह मिजोरम स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन भी रहे।
- जस्टिस भुइयां ज्यूडिशियल एकेडमी, असम और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी गुवाहाटी से भी जुड़े रहे।
- अक्टूबर 2019 में उनका ट्रांसफर हुआ और उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली।
- दो साल बाद 2021 में उनका ट्रांसफर तेलंगाना हाईकोर्ट में हो गया।
- जून 2022 में वह तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए।
- जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में रिकमेंड किया जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए।
- तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में उन्होंने नालसार के चांसलर के रूप में भी सेवाएं दीं।
- जस्टिस भुइयां अब भी लीगल एजुकेशन से जुड़े हुए हैं। वह जनरल काउंसिल के सदस्य होने के साथ ही नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल भी हैं। वह महाराष्ट्र नेशनल लॉ, औरंगाबाद की जनरल काउंसिल के भी सदस्य हैं।