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'पैसे की चिंता मत करो, सिर्फ चुनाव लड़ो', CBI का दावा- गोवा इलेक्शन में केजरीवाल ने कही थी ये बात

आबकारी केस में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में केजरीवाल द्वारा दायर जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। सोमवार को रिश्वत की रकम बरामद नहीं होने के सवाल पर सीबीआई ने तर्क दिया कि 44 करोड़ रुपया गोवा गया था। हमारे पास सबूत हैं कि प्रत्येक उम्मीदवार को 90 लाख दिए जाने थे। केजरीवाल ने बयान में कहा था कि पैसे की चिंता मत करो सिर्फ चुनाव लड़ो।

By Vineet Tripathi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 30 Jul 2024 12:20 PM (IST)
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सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले का सूत्रधार बताया। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर बहस के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई और बचाव पक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हुई।

सीबीआई ने जमानत याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए केजरीवाल को घोटाले का सूत्रधार बताया। दूसरी तरफ केजरीवाल ने एजेंसी के दावों को बेबुनियाद बताते हुए मामले में की गई गिरफ्तारी को इंश्योरेंस अरेस्ट करार दिया।

दोनों पक्षों के बीच हुई लंबी जिरह

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने सोमवार को दोनों पक्षों की लंबी जिरह सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित लिया। सीबीआई की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने तर्क दिया कि बीते एक महीने में जिस तरह के सुबूत सामने आए हैं, उससे एजेंसी बताएगी कि ये सिर्फ आरोप नहीं हैं, बल्कि केजरीवाल पूरे आबकारी घोटाले के सूत्रधार हैं।

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सीबीआई ने कहा कि सह-आरोपित विजय नायर सचिवालय का हिस्सा थे और वह आप के मीडिया प्रभारी थे। नायर सभी से मिलते थे और मगुंटा रेड्डी ने नायर से उसके कार्यालय में मुलाकात की थी। इतना ही नहीं बीआरएस नेता के. कविता ने नायर को मुलाकात करने के लिए फोन किया था। कविता से मिलने के लिए नायर हैदराबाद गए थे।

केजरीवाल कैबिनेट के मुखिया थे- सीबीआई 

सीबीआई ने कहा कि यह सब कुछ एजेंसी सुबूतों के आधार पर कह रही है। सीबीआई ने तर्क दिया कि केजरीवाल कैबिनेट के मुखिया थे और उन्होंने आबकारी नीति पर हस्ताक्षर किया था। केजरीवाल ने ही कोरोना महामारी के दूसरे लॉकडाउन के दौरान इसे जल्दबाजी में एक दिन में भेजा था। ऐसे समय में यह क्यों हो रहा था। साउथ ग्रुप चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली आया था और यहां पर नीति के तैयार होने की निगरानी की।

मनीष सिसोदिया के अधीन कार्यरत थे IAS सी. अरविंद- CBI

सीबीआई ने कहा कि एक ही दिन में सभी हस्ताक्षर करते हैं और इसे मंत्रियों के समूह के सामने रखा जाता है और यह पारित हो जाता है। एजेंसी ने तर्क दिया कि आईएएस सी. अरविंद तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अधीन कार्यरत आईएएस थे और अरविंद ने अपने बयान में कहा है कि विजय नायर साउथ ग्रुप से नीति की प्रति लाए थे, जिसे उन्हें कंप्यूटर में डालने के लिए कहा गया था। इस दौरान केजरीवाल वहां मौजूद थे। यह मुख्यमंत्री की सीधी संलिप्तता को दर्शाता है।

प्रत्येक उम्मीदवार को दिए जाने थे 90 लाख रुपये- CBI

मामले में रिश्वत की रकम बरामद नहीं होने के सवाल पर सीबीआई ने तर्क दिया कि करेंसी एक बार चली जाए तो उसका पता लगाना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन एजेंसी ने इस मामले में इसका पता लगाया है कि 44 करोड़ रुपया गोवा गया था। एजेंसी के पास इस बात के सुबूत हैं कि प्रत्येक उम्मीदवार को 90 लाख रुपये दिए जाने थे। केजरीवाल ने बयान में यह भी कहा कि पैसे की चिंता मत करो, सिर्फ चुनाव लड़ो।

जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि गिरफ्तारी वैध थी या नहीं, इसका परीक्षण सबसे पहले ट्रायल कोर्ट में किया जाता है। इसके बाद यह जमानत का आधार बन जाता है। यह मामला जांच के लायक नहीं है कि एक याचिका गिरफ्तारी को चुनौती दे रही है और दूसरी जमानत की मांग कर रही है। दो प्रक्रियाएं एक साथ नहीं चल सकती हैं।

एजेंसी की जांच पर सवाल उठाने का जवाब देते हुए एसपीपी डीपी सिंह ने कहा कि बचाव पक्ष का तर्क है कि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद कुछ नहीं बचा है, लेकिन आरोपपत्र तो मनीष सिसोदिया और के. कविता के खिलाफ भी था, इसके बावजूद अदालत ने उनकी जमानतें खारिज कर दीं।

खारिज हो चुकी है सिसोदिया की जमानत

सुप्रीम कोर्ट से भी सिसोदिया की जमानत खारिज हो चुकी है। केवल आरोप पत्र दाखिल होने से उन्हें यह अधिकार नहीं मिल जाता कि जमानत दी जाए। सीबीआई ने तर्क दिया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बिना जांच पूरी नहीं हो सकती थी। एक महीने के अंदर एजेंसी ने आरोप पत्र दाखिल किया है। इससे स्पष्ट है कि एजेंसी की जांच एडवांस स्टेज पर है।

अधिकारियों सहित एलजी ने भी किए थे हस्ताक्षर: केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एजेंसी के सवालों का जवाब देते हुए केजरीवाल की गिरफ्तारी को एक इंश्योरेंस अरेस्ट बताया। यानी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की गिरफ्तारी केजरीवाल को राहत मिल सकती है तो केजरीवाल का जेल से बाहर न आना सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई ने अरेस्ट कर लिया। सीबीआई द्वारा केजरीवाल को जून में गिरफ्तार किया गया था।

इससे पहले कोई पूछताछ नहीं हुई है। केजरीवाल के लिए सूत्रधार शब्द का प्रयोग करने का जवाब देते हुए सिंघवी ने कहा कि पहली बार आबकारी नीति चार सितंबर 2020 को बनाई गई। एक वर्ष के लिए नौ विशेषज्ञ समितियां थीं। इनमें चार विभाग शामिल थे। एक साल बाद जुलाई 2021 में पहली बार नीति प्रकाशित हुई है और इसमें कम से कम 15 नौकरशाह शामिल थे।

सिंघवी बोले- यह इंश्योरेंस अरेस्ट के अलावा कुछ नहीं

उन्होंने कहा कि नौकरशाहों से लेकर उपराज्यपाल तक ने नीति पर हस्ताक्षर किए। इस आधार पर मुख्य सचिव समेत 50 नौकरशाहों को भी आरोपित बनाया जाना चाहिए।

सिंघवी ने कहा कि एजेंसी केजरीवाल को सिर्फ अनुमानों व परिकल्पनाओं के आधार पर पकड़ना चाहती है, जबकि एजेंसी के पास केजरीवाल के विरुद्ध सीधे तौर पर न तो कोई सुबूत है न ही बरामदगी हुई है। सीबीआई ने भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया था।

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