फौज की नौकरी छोड़ खोला स्कूल, अब राष्ट्र निर्माण के लिए मोती तैयार कर रहे हैं अशोक
उत्तम नगर स्थित मुनि इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. अशोक कुमार ठाकुर अपने छात्रों को मंगोलियन, जापानी, चीनी, अरबी, जर्मन, फ्रेंच और स्पेनिश सिखा रहे हैं।
By Amit MishraEdited By: Updated: Wed, 05 Sep 2018 03:47 PM (IST)
नई दिल्ली [मनोज भट्ट]। शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे..डॉ एस राधाकृष्णन की इन्हीं पंक्तियों को साकार कर रहे हैं शिक्षक अशोक कुमार ठाकुर। भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वह बच्चों को किताबी ज्ञान की बजाय तकनीक के माध्यम से विदेशी भाषाओं का ज्ञान दे रहे हैं।
छोड़ दी फौज की नौकरी उत्तम नगर स्थित मुनि इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. अशोक कुमार ठाकुर अपने छात्रों को मंगोलियन, जापानी, चीनी, अरबी, जर्मन, फ्रेंच और स्पेनिश सिखा रहे हैं। वह इसे एकलव्य शिक्षा पद्धति का एक जरिया मानते हैं। उन्होंने फौज की नौकरी बीच में छोड़ स्कूल खोलने का मन बनाया। इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।
किताब नहीं, टैब से पढ़ते हैं बच्चेअशोक ठाकुर का कहना है कि बच्चों के सामने भविष्य में जो चुनौतियों होंगी, उनका अवलोकन कर इन्हें नोटबुक की बजाय टैब से शिक्षा दी जाती है। इसके साथ ही प्रत्येक बच्चे को एक्यूप्रेशर थैरेपी में निपुण किया गया है। इसके तहत बच्चों को परिवार से लेकर पड़ोस के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी सिखाते है। एकलव्य शिक्षा पद्धति की शुरुआत 2006 में हुई थी। उस दौरान प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा बच्चों को छह भाषाओं का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद बच्चों ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।
यूनेस्को भी कर चुका है सम्मानित
अपने शिक्षण पद्धति की इस विशेषता को अशोक विश्व पटल पर साबित कर चुके। जिस कारण विश्व विख्यात अशोका फांउडेशन यूएसए उन्हें चेंज मेकर स्कूल अवार्ड व यूनेस्को से विश्व की प्रमुख 15 मेथोडोलॉजी (कार्यप्रणाली) श्रेणी में पुरस्कार मिल चुका है। स्कूल एजुकेशन वर्ल्ड मैगजीन द्वारा होने वाली रैंकिंग में पिछले तीन सालों से उनका स्कूल दिल्ली, एनसीआर व इंडिया का नंबर वन स्कूल बना हुआ है।
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