Delhi News: इंद्रप्रस्थ ढूंढ़ने के लिए एएसआई का अंतिम प्रयास, पुराना किला में फिर से होने जा रही खुदाई
दिल्ली में इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए एक बार फिर पुराना किला में खाेदाई हाेने जा रही है। यह एएसआई का अंतिम प्रयास होगा। पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ पुराना किला के टीले पर थी या नहीं इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) लगातार प्रयास करता रहा है। मगर स्पष्ट रूप से ऐसा काेई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए इस बार अंतिम प्रयास के तहत खोदाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) उतरेगा। दिल्ली में इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए एक बार फिर पुराना किला में खाेदाई हाेने जा रही है। देश की आजादी के बाद से छठी बार यह खोदाई होने जा रही है। एएसआई ने खोदाई के लिए अनुमति दे दी है।
अगले महीने शुरू हो सकती खुदाई
माना जा रहा है कि खाेदाई अगले माह से शुरू हो सकती है। भारत सरकार के सुझाव के चलते इस बार खोदाई के लिए अत्याधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है। नवीनतम तकनीक के तहत उत्खनन से पहले एएसआई लिडार सर्वेक्षण कराने की योजना बना रहा है। इसके माध्यम से जमीन के अंदर दबे अवशेषों के बारे में पता लगाया जाता है।
पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ पुराना किला के टीले पर थी या नहीं, इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) लगातार प्रयास करता रहा है। आजादी के बाद से यह पांचवां प्रयास है, जब इस मामले से पर्दा उठाने के लिए खोदाई शुरू होगी। इस कार्य को फिर से एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत स्वर्णकार ने हाथ में लिया है।
पुराने किले में 3 बार हुई खुदाई
यह वह अधिकारी हैं जो पद्मविभूषण प्राे बी बी लाल के बाद तीन बार पुराना किला में खोदाई करा चुके हैं। पहले हाे चुकी खोदाई में काफी कुछ मिला है, मगर स्पष्ट रूप से ऐसा काेई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका है, जिसके आधार पर सीधे तौर पर पुरातात्विक आधार पर यह दावा किया जा सके कि पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, यही वह बेचैनी है जो एएसआई के अधिकारियों को परेशान कर रही है।
एएसआई काे उम्मीद है कि यहां इंद्रप्रस्थ से संबंधित जरूर कोई न कोई ठोस प्रमाण मिलेगा। हालांकि, पांच बार की हुई खोदाई में यहां वे चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत के समय से जोड़ कर देखा जाता है। सोलहवीं शताब्दी में बने पुराने किले के नीचे परीक्षण के तौर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक प्रो. बीबी लाल द्वारा 1954-55 और 1969-1973 में खोदाई कराई गई थी। इसके ठीक 41 साल बाद एएसआइ ने 2013-14 और फिर 2017-2018 में और वहां 2022-23 में यहां खोदाई कराई। हर बार खोदाई में मिलते जुलते प्रमाण मिले हैं।
क्या क्या मिला खोदाई में
टेराकोटा के खिलौने मिले। बढ़िया भूरे रंग के चित्रित मिट्टी के मिले टुकड़ों से बर्तनों के बारे में पता चला, जिन पर सामान्यतः काले रंग में साधारण चित्रण किए गए थे। ये बर्तन पुरातत्व वेत्ताओं के बीच भूरे रंग के चित्रित बर्तनों के नाम से विख्यात हैं। प्रायः ईसा से 1000 वर्ष पूर्व के हैं। चूंकि ऐसे प्रमाण वाले बर्तन महाभारत की कहानी से संबद्ध अनेक स्थलों पर पहले भी पाये गए थे और इनका काल 1000 ईसा पूर्व निर्धारित किया गया था।
इनके यहां से प्राप्त होने से महाभारत के प्रसिद्व पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ का पुराने किले के स्थल पर होने वाली परंपरा को बल मिला है। कहा जाता है कि पांडवों ने ईसा पूर्व 1400 वर्ष सबसे पहले दिल्ली को अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ के रूप में बसाया था। 1955 में पुराने किले के दक्षिण पूर्वी भाग में हुई पुरातात्त्विक खोदाई में कुछ मिट्टी के पात्रों के टुकड़े पाए गए जो कि महाभारतकालीन पुरा वस्तुओं से मेल खाते थे।
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ृ- पुराना किला-1954-55, 1969-70,71,72 से 73 तक, 2013 से 15 तक, 17-18 तथा 2022-23 तक।
- मकदूम साहेब मास्क-1973-74
- सीरी फोर्ट-1976-77
- सीरी फोर्ट दीवार-2003-2003
- लालकोट और किला राय पिथौड़ा-1957-58
- लाल कोट-1958-60
- लाल काेट और अनंगताल-1992 से 95 तक
- सलीमगढ़ किला-2007-8
- तुगलकाबाद किला-2000-2005 तक