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देश में 42 जगहों पर पुरातात्विक उत्खनन से मिलेगा इतिहास का पता, ASI ने इस साल पूरे करने के बनाए प्लान

इस साल देश में 42 जगहों पर पुरातात्विक उत्खनन होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसके लिए अनुमति दे दी है। इनमें से 17 जगहों पर एएसआई खुद खुदाई कराएगा जबकि 12 जगहों पर विश्वविद्यालयों और 13 जगहों पर राज्यों को खुदाई की अनुमति दी गई है। एएसआई द्वारा दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश बिहार महाराष्ट्र असम कर्नाटक व पश्चिम बंगाल में खोदाई किया जाना है।

By V K Shukla Edited By: Sonu Suman Updated: Sun, 25 Aug 2024 06:42 PM (IST)
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देश में इस साल 42 जगहों पर पुरातात्विक उत्खनन कराएगा एएसआई।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। इस साल देश में 42 स्थानाें पर पुरातन इतिहास ढूंढा जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसके लिए अनुमति दे दी है। इसमें 17 स्थानों पर एएसआई स्वयं खोदाई कराएगा, जिसमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक व पश्चिम बंगाल शामिल है।

वहीं 12 स्थानों पर विश्वविद्यालयों और 13 स्थानों पर खोदाई के लिए राज्यों को अनुमति दी गई है। एएसआई महत्वपूर्ण स्थानों में हरियाणा के राखी गढ़ी, दिल्ली के पुराना किला और उत्तर प्रदेश के बागपत में तिलवारा और झांसी में राठ तथा बिहार के तेजपुर देउर में खोदाई कराएगा।

हरियाणा के राखी गढ़ी के लिए इस बार फिर अनुमति

एएसआई जमीन में दबे इतिहास से जुड़े साक्ष्यों को खोजने के लिए प्रति वर्ष देश के विभिन्न स्थानों पर खोदाई कराता है। हरियाणा के राखीगढ़ी के लिए इस बार फिर अनुमति दी गई है। यह हड़प्पा से संबंधित सबसे बडे़ खोदाई स्थलों में से एक है। यहां पिछले कई बार खोदाई हुई है। यह वह महत्वपूर्ण खोदाई स्थल है जहां से यह सिद्ध हुआ है कि आर्य बाहर से नहीं आए थे बल्कि यहीं के निवासी थे।

चराईदेव स्थित मोइदम के आसपास भी खोदाई

महाभारत काल से संबंधित खोदाई स्थल के रूप में उभरे बागपत के सिनौली से 10 किलाेमीटर की दूरी पर स्थित तिलवारा साकिन के लिए भी इस बार अनुमति दी गई है। यहां एएसआई को पुरातन इतिहास से संबंधित साक्ष्य मिलने की उम्मीद है। इसी तरह असम के चराईदेव स्थित मोइदम के आसपास भी इस बार खोदाई होगी। इसे इसी साल विश्व धरोहर घोषित किया गया है।

चंपारण के बुद्धा स्तूप के आसपास होगी खोदाई

बिहार में चंपारण के बुद्धा स्तूप के आसपास भी एएसआई इस बार खोदाई कर कराने जा रहा है। वहीं दिल्ली के पुराना किला में इस बार भी पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ से संबंधित साक्ष्य ढूंढने के लिए खोदाई की होगी।इसी खोज के लिए आजादी के बाद यहां छठी बार खोदाई होगी।

इसके अलावा राज्यों के पुरातत्व विभाग और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों को भी एएसआइ द्वारा अनुमति दी गई है।राज्यों की श्रेणी में इस वर्ष तमिलनाडु में सबसे अधिक आठ स्थानों पर खोदाई की अनुमति दी गई है।

जिन 17 स्थानों पर एएसआई कराएगा खोदाई

  1. दिल्ली का पुराना किला
  2. हरियाणा का राखी गढ़ी
  3. उत्तर प्रदेश के तिलवाड़ा साकिन
  4. उत्तर प्रदेश के हमीरपुर का कछवा
  5. बिहार के चंपारण के तेजपुर देउर का बुद्धा स्तूप
  6. जम्मू कश्मीर के बड़गांव का करटी-वदरे
  7. असम का कल्टीचेरा
  8. असम के चराईदेव का ग्रुप आफ फोर्ट मोइदम
  9. मध्य प्रदेश के पन्ना का नचना कुठेरा
  10. महाराष्ट्र के वर्धा का स्टोन सर्कल
  11. वेलागति का कमलेश्वर मंदिर समूह
  12. तमिलनाडु का अमूर आइरन एज बरियल साइट
  13. कर्नाटक का ब्रहमागिरी
  14. केरल के त्रिचूर का रिजर्ववायर एरिया
  15. पश्चिम बंगाल के कोडूंबलूर के हैबिटेशन माउंड
  16. पश्चिम बंगाल के बीरभूमि का भडीश्वर
  17. गुजरात का लोथल

राज्यों द्वारा कराई जाने वाले खोदाई के प्रमुख स्थल

तमिलनाडु के आठ, आसाम का एक, तेलंगाना व महाराष्ट्र के दो-दो स्थल शामिल हैं।

विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा कराई जाने वाली खोदाई

ये खोदाई तमिलनाडु में दो, केरल में तीन, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, झारखंड व आंध्र प्रदेश में एक-एक स्थल के लिए अनुमति दी गई है।

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