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'दिल्ली सरकार मदद करती तो स्वर्ण पदक लेकर आती, पीआरओ ने फोन तक नहीं उठाया'

दिव्या काकरन ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि वह सात साल से दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। दिल्ली सरकार की ओर से मदद मिली होती है तो आज अपने देश के लिए स्वर्ण पदक लेकर आती।

By Edited By: Updated: Thu, 06 Sep 2018 11:40 AM (IST)
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'दिल्ली सरकार मदद करती तो स्वर्ण पदक लेकर आती, पीआरओ ने फोन तक नहीं उठाया'
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली सरकार एक तरफ खेल को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन कुश्ती खिलाड़ी दिव्या काकरान ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने ही उन दावों की हवा निकाल दी। पिछले साल राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण और हाल में इंडोनेशिया में हुए एशियन गेम्स में कांस्य पदक हासिल करने वाली दिव्या ने केजरीवाल के समक्ष कहा कि दिल्ली सरकार उन्हें मदद का आश्वासन देकर मुकर गई।

सरकार की खेल नीति पर उठाए सवाल

दिव्या ने केजरीवाल के सामने कहा कि हरियाणा से सीखना चाहिए कि कैसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाता है। इस पर केजरीवाल ने नई खेल नीति लाने का आश्वासन दिया। दिल्ली सचिवालय में मंगलवार को केजरीवाल ने एशियन गेम्स के विजेता खिलाड़ियों से मुलाकात की। इस दौरान दिव्या काकरान ने सरकार की खेल नीति पर सवाल उठाया।

फोन तक नहीं उठाया 

गोकलपुरी निवासी दिव्या काकरन ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि वह सात साल से दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। अब तक 66 पदक हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने कहा, मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मेरी तैयारी ठीक तरीके से नहीं हो पा रही थी। राष्ट्रमंडल में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद एशियन गेम्स की तैयारी के लिए पांच मई को मुख्यमंत्री आवास पर जाकर अरविंद केजरीवाल से मदद मांगी। उस समय उन्होंने मुझे पत्र दिया और कहा, आप मॉडल टाउन स्थित छत्रसाल स्टेडियम में तैयारी करो। जब वह स्टेडियम पहुंचीं तो वहां बताया गया कि दिल्ली सरकार की ओर से आपकी तैयारी के लिए कोई पत्र नहीं आया है। इसके बाद मुख्यमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की तो उनके पीआरओ ने फोन तक नहीं उठाया।

मदद मिलती तो स्वर्ण पदक लेकर आती

दिव्या ने बताया कि इसके बाद वो एशियन खेल के लिए अखाड़े में तैयारी करने लगी। इस दौरान चोट भी लग गई। इसके बावजूद देश के लिए कांस्य पदक हासिल किया। अगर मुझे दिल्ली सरकार की ओर से मदद मिली होती है तो आज अपने देश के लिए स्वर्ण पदक लेकर आती। दिव्या ने कहा, जब राष्ट्रमंडल में स्वर्ण पदक मिला, उस समय भी सरकार की ओर से आर्थिक मदद नहीं की गई।

दिल्ली सरकार ने हमारी मदद नहीं की

दिव्या ने कहा कि हरियाणा और दिल्ली सरकार की खेल सुविधाओं में जमीन-आसमान का अंतर है। हरियाणा के खिलाड़ियों को तैयारी करने के लिए सरकार की ओर से तीन करोड़ रुपये मिलते हैं। यहां पर दिल्ली सरकार सिर्फ 20 लाख ही देती है। हरियाणा में खिलाड़ियों की मदद के लिए सरकार तैयार रहती है, लेकिन दिल्ली में सरकार का साथ नहीं मिलता। इसलिए इस बार एशियन गेम्स में वह उत्तर प्रदेश की तरफ से खेलीं। दिव्या के पिता सूरजवीर सिंह ने बताया कि दिल्ली सरकार ने हमारी मदद नहीं की। यही नहीं, स्थानीय 'आप' विधायक ने मेरी बेटी को सम्मानित तक नहीं किया।

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