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Delhi Free Electricity Subsidy: दिल्ली में मुफ्त बिजली पर संकट, एलजी ने रोकी बिजली सब्सिडी की फाइल

आतिशी ने प्रेस वार्ता कर एलजी विनय सक्सेना पर दिल्लीवासियों की बिजली सब्सिडी रोकने का आरोप लगाया है। केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट में इस वित्त वर्ष में भी सब्सिडी देने का निर्णय लिया था लेकिन उपराज्यपाल उस फाइल को लेकर बैठ गए हैं। उपराज्यपाल के पास फाइल भेजी गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Fri, 14 Apr 2023 03:01 PM (IST)
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दिल्ली में मुफ्त बिजली पर संकट, केजरीवाल सरकार ने एजली पर लगाया आरोप।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Free Electricity Subsidy: दिल्ली सरकार की बिजली मंत्री आतिशी ने प्रेस वार्ता में कहा कि उपराज्यपाल द्वारा फाइल को मंजूरी नहीं देने के कारण दिल्ली के 46 लाख परिवारों की बिजली सब्सिडी रुक जाएगी। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्लीवासियों को प्रति माह दो सौ यूनिट तक निशुल्क और 201 से चार सौ तक 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।

फाइल वापस न आने पर नहीं मिलेगी सब्सिडी: आतिशी

वकीलों, किसानों, 1984 के सिख विरोधी दंगे के पीड़ित परिवारों को भी बिजली सब्सिडी दी जाती है। सोमवार से उपभोक्ताओं को भेजे जाने वाले बिजली बिल में कोई सब्सिडी नहीं रहेगी। अरविंद केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट में इस वित्त वर्ष में भी सब्सिडी देने का निर्णय लिया था, लेकिन उपराज्यपाल उस फाइल को लेकर बैठ गए हैं। उपराज्यपाल के पास फाइल भेजी गई थी, वहां से फाइल वापस नहीं आने तक सब्सिडी का पैसा सरकार जारी नहीं कर सकती है। पैसे होने के बाद भी सरकार लोगों को सब्सिडी नहीं दे सकेगी।

होगी सामान्य बिलिंग

शुक्रवार सुबह टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड और उसके बाद बीएसईएस की दोनों कंपनियों ने उनके पास पत्र लिखकर कहा है कि उसके पास सब्सिडी की कोई सूचना नहीं है, इसलिए वह सामान्य बिलिंग शुरू करनी होगी। टीपीडीडीएल से पत्र आते ही वह तुरंत उपराज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगी लेकिन 24 घंटे में भी वह चुनी हुई सरकार के मंत्री को पांच मिनट का समय नहीं दिया है। सरकार को फाइल भी वापस नहीं भेजी गई है।

एलजी ने जारी किया बयान

आतिशी की प्रेस वार्ता के बाद एलजी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि बिजली मंत्री को सलाह दी जाती है कि एलजी के खिलाफ अनावश्यक राजनीति और निराधार झूठे आरोपों से बचें। उन्हें झूठे बयानों से लोगों को गुमराह करना बंद करना चाहिए, अगर उन्हें और मुख्यमंत्री को दिल्ली की जनता को जवाब देना चाहिए कि इस संबंध में फैसला 4 अप्रैल तक क्यों लंबित रखा गया, जबकि समय सीमा 15 अप्रैल थी? एलजी को 11 अप्रैल को ही क्यों भेजी गई फाइल? और 13 अप्रैल को चिट्ठी लिखकर और आज प्रेस कांफ्रेंस कर नाटक करने की क्या जरूरत है?

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