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चीफ सेक्रेटरी मामले में आतिशी ने CM को सौंपी 650 पन्नों की रिपोर्ट, अधिकारी पर बेटे की कंपनी को लाभ पहुंचाने का है आरोप

बामनोली में जमीन अधिगृहीत किए जाने के मामले में भूमि मालिक को 315 करोड़ का लाभ पहुंचाने की कोशिश के मामले में आतिशी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को साढ़े छह सौ पन्नों की प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी है। प्राथमिक रिपोर्ट में पाया गया है कि चीफ सेक्रेटरी ने अपने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचाया है।

By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Tue, 14 Nov 2023 12:50 PM (IST)
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चीफ सेक्रेटरी मामले में आतिशी ने CM को सौंपी 650 पन्नों की रिपोर्ट।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की विजिलेंस मंत्री आतिशी ने चीफ सेक्रेटरी मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को साढ़े छह सौ पन्नों की प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी है।

आतिशी द्वारा सीएम केजरीवाल को सौंपी प्राथमिक रिपोर्ट में पाया गया है कि चीफ सेक्रेटरी ने अपने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचाया है। कंपनी ने द्वारका एक्सप्रेस-वे के पास साल 2015 में ये जमीन मात्र 75 लाख रुपये में खरीदी थी, लेकिन अब इस जमीन का महंगे रेट पर अधिग्रहण हुआ है। जिससे कंपनी को साढ़े आठ सौ करोड़ रुपये का अनावश्यक फायदा हुआ है।

इससे पहले भी चीफ सेक्रेटरी ने बेटे की कई अन्य कंपनियों को भी सरकारी ठेके दिलाए थे। अब इन कंपनियों की जांच की जा रही है।

क्या है मामला

बामनोली में जमीन अधिगृहीत किए जाने के मामले में भूमि मालिक को 315 करोड़ का लाभ पहुंचाने की कोशिश का मुख्य सचिव नरेश कुमार पर आरोप लगाया जा रहा है। आरोप है कि जिस कंपनी को लाभ पहुंचाया जा रहा था, उसी में उनका बेटा नौकरी करता है। इस आरोप का मुख्य सचिव खंडन कर चुके हैं।

इसके बाद मंडलायुक्त अश्वनी कुमार ने सोमवार को इस मामले में प्रेसवार्ता कर अपनी बात रखी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस कंपनी की जमीन अधिगृहीत की जा रही थी, उस कंपनी में मुख्य सचिव का बेटा नौकरी नहीं करता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के बच्चे कहीं-न-कहीं तो काम करेंगे और यह कोई अपराध नहीं है।

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मुख्य सचिव के खिलाफ रच रहे हैं साजिश: मंडलायुक्त

मंडलायुक्त ने कहा कि कुछ ऐसे लोग मुख्य सचिव के खिलाफ साजिश रच रहे हैं, क्योंकि वह उनके आंख की किरकिरी बन चुके है। मुख्य सचिव की छवि खराब करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि यह मुख्य सचिव के सेवा विस्तार में रोड़ा लगाने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्य सचिव ने दिल्ली सरकार में कई घोटाला से पर्दा उठाया है। उन्होंने चुनी हुई सरकार का आबकारी घोटाला, सीएम के बंगले के मामले में अनियमितता और जल बोर्ड के कई मामले पकड़े हैं और सख्त कार्रवाई की है।

मंडलायुक्त ने कहा कि वह साक्ष्यों को लेकर सामने आए हैं कि जनता तक यह बात पहुंचे कि इस मामले में सच्चाई क्या है?  उन्होंने कहा कि झूठ फैलाकर मुख्य सचिव का चरित्र हनन किया जा रहा है। बामनोली की जमीन पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को द्वारका एक्सप्रेस के निर्माण के लिए देने की पहली अधिसूचना 2017 में जारी हुई और 2018 में एडीएम ने इस जमीन को अवार्ड कर दिया। बाद में संबंधित कंपनी डीएम हेमंत कुमार के पास अपील में चली गई, उन्होंने एडीएम के आदेश को खारिज कर कंपनी को 17 गुणा बढ़ाकर मुआवजा देने के आदेश दे दिया।

उन्होंने कहा कि हम लोगों के पास इसकी कोई जानकारी नहीं थी, मुख्य सचिव तो क्या मेरे पास भी ये फाइल नहीं आती है। गत 18 मई को एलजी ने केंद्रीय मंत्री के साथ इस जमीन वाले हिस्से का दौरा किया तो एनएचएआइ ने जमीन के मुआवजे को लेकर आपत्ति की। तब हम लोगों को इस मामले की जानकारी मिली तो मुख्य सचिव ने मुझसे रिपोर्ट मांगी। मैंने जब उन्हें रिपोर्ट सौंपी तो उन्होंने इस मामले में तुरंत सख्त कार्रवाई के लिए कहा और इस तरह मुख्य सचिव के निर्देश पर कार्रवाई हुई। दक्षिणी पश्चिमी जिले के तत्कालीन डीएम हेमंत कुमार को निलंबित किया गया।

मुख्य सचिव का बचाव कर रहे मंडलायुक्त: दिल्ली सरकार

मुख्य सचिव नरेश कुमार ने समाचार एजेंसी द वायर को कानूनी नोटिस भेजा है। यह नोटिस एजेंसी की ओर से बामनोली गांव में भूमि अधिग्रहण में मुआवजे से जुड़े मामले में मुख्य सचिव नरेश कुमार के खिलाफ आरोप लगाने मामले में भेजा गया है। आरोप लगाया था कि मुख्य सचिव के बेटे को एक ऐसे व्यक्ति के रिश्तेदार ने नौकरी दी, जिसे सड़क परियोजना के लिए अधिगृहीत जमीन को लेकर बढ़ा हुआ मुआवजा दिया गया था।

मुख्य सचिव के वकील की ओर से भेजे नोटिस में कहा गया है कि इस नोटिस के प्राप्त होने के 48 घंटे में मुवक्किल से लिखित रूप में बिना शर्त माफी मांगें। द वायर की वेबसाइट के होम पेज पर कम से कम 24 घंटे के लिए बड़े फांट में स्थान और अगले लेख में सत्य और सही तथ्यों को उसी प्रमुखता के साथ प्रकाशित करें, जिस तरह अपमानजनक प्रकाशन किया गया था।

दिल्ली सरकार ने कहा कि यह अजीब है कि एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी व राजस्व सचिव अश्वनी कुमार एक अन्य वरिष्ठ आइएएस मुख्य सचिव नरेश कुमार के कार्यों का बचाव करते हुए एक प्रेस वार्ता करते हैं, जिनके खिलाफ अभी जांच शुरू ही हुई है।

इस तरह की प्रेस वार्ता अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 का उल्लंघन है और अधिकारी के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। अश्वनी कुमार के कार्यों से पता चलता है कि वह भी कथित घोटाले में शामिल हो सकते हैं। वह अपना और मुख्य सचिव का भी बचाव करने की कोशिश कर रहे है।

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