Auto Taxi Strike: ऑटो-टैक्सी हड़ताल का दूसरे दिन असर रहा कम, पर यात्री रहे परेशान
Auto Taxi Strike Impact ऑटो यूनियन 22 और 23 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर में हड़ताल पर रहे। इस दौरान सड़कों से गाड़ियां कम जरूर हुईलेकिन दोनों दिन हड़ताल का असर कम रहा। हालांकि इस दौरान यात्रियों को भारी परेशानी हुई। । कुछ ऑटो में तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं। आंदोलनकारी संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो, टैक्सी व कैब सेवा चालकों की हड़ताल का दूसरे व अंतिम दिन असर कम रहा। शुक्रवार को सड़कों पर आटो, टैक्सी के साथ कैब सेवा संचालित रही। यह इसलिए कि कई दूसरे संगठन संगठन इससे दूर रहे।
हालांकि, आम दिनों के मुकाबले दिल्ली की सड़कों पर करीब 20 प्रतिशत सवारी वाहन कम उतरे। खासकर रेलवे स्टेशनों पर आम दिनों के मुकाबले ऑटो-टैक्सी की संख्या कम रही। जिसके चलते वहां यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस बीच, दिनभर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हड़ताली आटो व टैक्सी संगठनों से जुड़े लोगों द्वारा चलते सवारी वाहनों में तोड़फोड़, चालकों के साथ मारपीट व बदसलूकी के मामले हुए।
चालकों से बदसलूकी की 30 से अधिक घटनाएं
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, पहाड़गंज, अजमेरी गेट, नजफगढ़, उत्तम नगर, निजामुद्दीन, आनन्द विहार, वसंत कुंज, त्रिलोकपुरी समेत कई इलाकों में चलते ऑटो व कैब की हवा निकालने, ऑटो के शीशे तोड़ देने तथा चालकों से बदसलूकी की 30 से अधिक घटनाएं हुई। कई मामलों में दिल्ली पुलिस ने उपद्रव करते आंदोलनकारियों को हिरासत में भी लिया, लेकिन बाद में संगठनों के दबाव में उन्हें छोड़ दिया गया।यह हड़ताल दिल्ली आटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन के नेतृत्व में 15 आटो टैक्सी यूनियन संगठनों ने बुलाई थी। हड़ताल का नेतृत्व कर रहे किशन वर्मा ने बताया कि दो दिनों की हड़ताल के बाद शनिवार को ऑटो टैक्सी संगठनों के पदाधिकारियों की महापंचायत होगी, जिसमें आंदोलन की सफलता आंकने के साथ भावी रणनीति तय की जाएगी, जिसमें तीन सितंबर को प्रधानमंत्री आवास घेरने के कार्यक्रम को सफल बनाने पर जोर होगा।
ऐप बेस्ड कैब कंपनियों के लिए किराया निर्धारित करने की मांग
आंदोलनकारी प्रमुख रूप से एप बेस्ड कैब प्रदाता कंपनियों द्वारा चालकों के आर्थिक शोषण तथा निजी दो पहिया वाहनों से अवैध रूप से व धड़ल्ले से होते बाइक टैक्सी के संचालन पर प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार, हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रतिबंधित 236 सड़कों पर यातायात पुलिस की मिलीभगत से हजारों ई-रिक्शा भी संचालित हो रही है।इन सबके चलते आटो, टैक्सी चालकों की आजीविका व रोजगार खत्म होने की कगार पर है, लेकिन इस मामले में वर्षों से लगातार आग्रह के बावजूद केंद्र व दिल्ली की सरकार हस्तक्षेप नहीं कर रही है। आटो, टैक्सी व बस की तरह ऐप बेस्ड कैब कंपनियों के लिए किराया निर्धारित नहीं कर रही है।
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