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'प्रसिद्धि के लिए सनातन धर्म का करते हैं अपमान', विवादित बयानों के चलते संतों के निशाने पर आए अविमुक्तेश्वरानंद

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हाल ही में अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। वह संतों के साथ ही विश्व हिंदू परिषद के निशाने पर भी आ गए हैं। उन्होंने हाल ही में केदारनाथ में सोना गायब होने का आरोप लगाया था। उन्होंने श्रीराम भूमि के प्राण प्रतिष्ठा के मुर्हुत का भी विरोध किया था। संतों ने कहा कि वह सनातन धर्म का अपमान करते हैं।

By Nimish Hemant Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 17 Jul 2024 08:38 PM (IST)
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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हाल ही अपने बयानों को लेकर चर्चा में आए।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। विवादित बयानों के जरिए वर्षों से केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की भाजपा सरकारों पर हमलावर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती आखिरकार संतों व हिंदू संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। उनके बयानों को संत मर्यादा को गिराने वाला बताते हुए कहा गया है कि वह प्रचार व प्रसिद्धि के इतने भूखे हैं कि उन्हें सनातन धर्म के अपमान से भी गुरेज नहीं है। इस तरह यह विरले मौका है, जब संत समाज आमने-सामने हो।

ज्योतिर्मठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को गलत मुर्हूत में कराने को लेकर बयान देकर विवाद खड़ा किया था। इसी तरह, केदारनाथ धाम से सोना चोरी होने, उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात कर उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से हटाने जैसे उनके बयानों से वर्तमान में राजनीतिक बहस तेज है।

होते हैं नकारात्मक प्रसिद्धि वाले हर स्थान पर

इस मामले में वीडियो संदेश जारी कर कटाक्ष करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि वह हर उस स्थान पर होते हैं, जहां नकारात्मक प्रसिद्धि मिलती है। सनातन धर्म की मान मर्यादा का मर्दन करना, चाहे श्रीराम भूमि के प्राण प्रतिष्ठा के मुर्हुत का विरोध करना हो।

केदारनाथ में सोना गायब होने के फर्जी आरोप लगाना हो। या अंबानी के पुत्र के विवाह में, जहां संन्यासियों का जाना वर्जित है। वहां जाकर के यह बयानबाजी दर्शाती है कि वह प्रसिद्धि और प्रचार के कितने भूखे हैं कि सनातन धर्म और सन्यास की मर्यादा भी भूल जाते हैं।

संतों की हत्या पर क्यों नहीं बोले

उन्होंने कटाक्ष करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से पूछा कि जब उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्रित्व काल में पालघर में संतों की हत्या की गई थी, तब क्या उन्होंने उन संतों के बारे में एक भी शब्द बोला था? वह यहीं रूके, बल्कि रामालय न्यास द्वारा राममंदिर के नाम पर रामभक्तों से इकट्ठा किए गए एक-एक ग्राम सोने को लेकर भी उनसे स्पष्टीकरण मांगा।

विहिप ने भी साधा निशाना

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के विवादित बयानों पर कहा कि वह अपने पद की मर्यादा के अनुसार धार्मिक व आध्यात्मिक विषयों पर बोले तो समाज का लाभ होगा। उनका एक विपक्षी दल के लड़ाकू सिपाही की तरह बयान देना मर्यादा गिराता है। जबकि संत महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति विवादित बयानों को अशोभनीय व निदंनीय बताते हुए बयान वापस लेने की मांग की।

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