राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का प्रसाद देने वाली वेबसाइट को दिल्ली हाईकोर्ट ने किया सस्पेंड, जानिए पूरा मामला
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने जनता की धार्मिक आस्थाओं को प्रभावित करने वाली और खुद को अयोध्या में श्रीराम मंदिर (Shri Ram Temple) में समारोह प्राण प्रतिष्ठा के प्रसाद को वितरित करने के आधिकारिक मंच के रूप में प्रचारित करके उन्हें धोखा देने वाली एक वेबसाइट के संचालन को निलंबित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक भावना आहत करके पैसे कमाना चाहते हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने जनता की धार्मिक आस्थाओं को प्रभावित करने वाली और खुद को अयोध्या में श्रीराम मंदिर (Shri Ram Temple) में समारोह प्राण प्रतिष्ठा के प्रसाद को वितरित करने के आधिकारिक मंच के रूप में प्रचारित करके उन्हें धोखा देने वाली एक वेबसाइट के संचालन को निलंबित करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) द्वारा वेबसाइट के खिलाफ एक मुकदमे से निपटने के दौरान देखा कि प्रतिवादी मंच खादी ऑर्गेनिक के नाम से काम कर रहा था, जो कि भ्रामक रूप से वादी के समान था। पीठ ने वेबसाइट को सभी भ्रामक इंटरनेट मीडिया पोस्ट को हटाने का निर्देश दिया।
धार्मिक भावना आहत करके पैसे कमाना चाह रहे
पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी व्यक्ति और कंपनी जनता की धार्मिक मान्यताओं और भक्ति का शिकार करके और वादी की सद्भावना का उपयोग करके कंपनी को धन हस्तांतरित करने में उन्हें धोखा देकर अभिषेक कार्यक्रम पर एकाधिकार करने का प्रयास कर रहे हैं। अदालत ने वेबसाइट के पंजीकृत डोमेन नाम के संचालन को निलंबित कर दिया।
बेच रहे थे ये चीजें
केवीआईसी ने अदालत को बताया कि प्रतिवादी मंच धार्मिक समारोह के आयोजन को लेकर विभिन्न उत्पादों जैसे परिधान, संग्रहणीय वस्तुएं, खाद्य पदार्थ, घरेलू मंदिर, गंगाजल व अन्य आवश्यक सामान की पेशकश कर रहा था। यहां तक कि अपनी मुफ्त प्रसाद पहल को सुविधाजनक बनाने के लिए वित्तीय योगदान भी मांग रहा था।
केवीआईसी ने अदालत को बताया कि वेबसाइट के मुखपृष्ठ पर दी गई जानकारी के अनुसार, मुफ्त में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा प्रसाद (Ram Mandir Pran Pratishtha) प्राप्त करने के इच्छुक लोग वहां दिए गए एक फार्म को भरकर और 51 रुपये का शुल्क देकर अपना आर्डर दे सकते हैं।
वादी ने तर्क दिया कि प्रतिवादी को उसके पंजीकृत खादी चिह्न का दुरुपयोग करने और यह गलत धारणा देने का कोई अधिकार नहीं है कि यह श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबद्ध था, जो प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन कर रहा है।
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अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला वादी के पक्ष में है। एकपक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं दी गई तो उसे अपूरणीय क्षति होगी। अदालत ने प्रतिवादी को खादी आर्गेनिक चिह्न का उपयोग करने से रोक दिया और मुकदमे पर समन जारी किया।