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कांग्रेस की राजनीति पर भारी पड़ी राम भक्ति, कैसे अयोध्या में विराजे रामलला से अछूते नहीं रहे कांग्रेसी

देशभर में मनाए गए रामोत्सव से दिल्ली के कांग्रेसी भी अछूते नहीं रह पाए हैं। पार्टी नेतृत्व यानी सोनिया गांधी राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने भले प्रभु श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से मना कर दिया लेकिन कांग्रेसी चाहकर भी इससे किनारा नहीं कर सके। कुछ ने इंटरनेट मीडिया तो कुछ ने कांग्रेस की पहचान हटाकर ही श्रीराम के प्रति अपना श्रद्धाभाव का परिचय दिया।

By sanjeev Gupta Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 23 Jan 2024 06:30 AM (IST)
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कांग्रेस की राजनीति पर भारी पड़ी राम भक्ति, कैसे अयोध्या में विराजे रामलला से अछूते नहीं रहे कांग्रेसी।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। देशभर में मनाए गए रामोत्सव से दिल्ली के कांग्रेसी भी अछूते नहीं रह पाए हैं। पार्टी नेतृत्व यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने भले प्रभु श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से मना कर दिया, लेकिन कांग्रेसी चाहकर भी इससे किनारा नहीं कर सके। कुछ ने इंटरनेट मीडिया तो कुछ ने कांग्रेस की पहचान हटाकर ही श्रीराम के प्रति अपना श्रद्धाभाव का परिचय दिया।

पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल ने एक्स पर रामलला के फोटो सहित अनेक टवीट किए। इसमें उन्होंने अयोध्या में राम लला के विराजमान होने सहित रामायण की पंक्तियों का भी उल्लेख किया।

कांग्रेसी ऐसे रामोत्सव में हुए शामिल

इसी तरह प्रदेश कांग्रेस के एमसीडी प्रभारी जितेंद्र कोचर ने दक्षिणी दिल्ली में नौ जगहों पर आयोजित रामोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कृष्णा नगर के जिलाध्यक्ष गुरचरण सिंह राजू ने बाकायदा पोस्टर छपवाकर लोगों को रामोत्सव की बधाई दी। यह बात अलग है कि उनके पोस्टर पर कांग्रेस का कुछ नहीं था।

फेसबुक पर दी शुभकामनाएं

फेसबुक पर भी अनेक कांग्रेसियों ने रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अपनी शुभकामनाएं एवं बधाई दी है। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने के अनुरोध पर कहा कि ज्यादातर कांग्रेसी हिन्दू हैं और भगवान राम के भक्त भी हैं। लेकिन पार्टी नेतृत्व का अडियल रूख उन्हें खुलकर रामभक्ति भी नहीं करने दे रहा है। बेचारे परेशान हैं, आस-पड़ोस तक में नजरें बचाने की स्थिति महसूस कर रहे हैं।

इसीलिए काफी कांग्रेसियों ने तो इस हालात के मद्देनजर व्यक्तिगत तौर पर दीवाली मनाने की तैयारी कर ली थी। कोई अपनी आरडब्ल्यूए के संग तो कोई व्यापारी संगठन, क्लब या अन्य संस्थाओं के साथ श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाता नजर आया।

घर पर जलाए दीये

राम भक्तों का दबाव पार्टी नेताओं पर इस कदर रहा कि वे चाहकर भी पार्टी रूख को उनके सामने जाहिर नहीं कर पा रहे थे। आलम यह है कि ज्यादातर यही कहते नजर आए कि भगवान राम तो सबके हैं, किसी एक वर्ग के नहीं। हमारे भी हैं, इसलिए हमने भी रामोत्सव मनाया, घर-आंगन में दीये जलाए।

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