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जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू और तेजस्वी समेत 7 को जमानत, कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं जा सकेंगे विदेश

जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू प्रसाद यादव समेत कुल सात आरोपितों को दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायालय से जमानत मिली। अदालत ने आरोपितों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर राहत दी है। इस मामले में पहली बार तेज प्रताप यादव को समन जारी किया गया था। ईडी ने छह अगस्त को 11 आरोपितों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 08 Oct 2024 01:22 AM (IST)
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लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव। (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायालय ने जमीन के बदले रेलवे में नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राजद प्रमुख व पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी व तेज प्रताप यादव समेत सात आरोपितों को जमानत दे दी। आरोपितों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर यह राहत मिली है। अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

व्हीलचेयर पर पहुंचे लालू

सोमवार को सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद, पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव के साथ-साथ अखिलेश्वर सिंह, उनकी पत्नी किरण देवी व दो अन्य आरोपित अदालत में पेश हुए। लालू को व्हीलचेयर पर लेकर उनकी बेटी मीसा भारती कोर्ट पहुंची थीं। मीसा को पहले ही जमानत मिल चुकी है। तेजप्रताप को इस मामले में पहली बार समन जारी हुआ था।

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कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं जा सकेंगे विदेश

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरोपितों को यह देखते हुए सशर्त जमानत दी कि जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था। शर्तें लगाई कि रिहाई पर रहने के दौरान वे साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ व गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे। न्यायाधीश ने कहा कि लालू प्रसाद, तेज प्रताप और तेजस्वी के पासपोर्ट पहले ही कोर्ट में जमा हैं। आरोपितों को देश से बाहर जाने के लिए कोर्ट की अनुमति लेनी होगी।

मुझे अदालत पर भरोसा: लालू प्रसाद

अदालत से बाहर आए तेजस्वी ने मीडिया से कहा कि ये सभी केस राजनीतिक साजिश के तहत किए गए हैं। जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है। मुकदमे में कोई दम नहीं है और हमारी जीत तय है। लालू प्रसाद यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें अदालत पर भरोसा है। सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर दर्ज मामले में ईडी ने कहा था कि यह मामला 2004 से 2009 तक लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान जबलपुर में रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में की गई ग्रुप-डी नियुक्तियों से संबंधित है।

चार आरोपियों की हो चुकी मौत

नौकरी पाने वाले लोगों की ओर से यादव परिवार या सहयोगियों के नाम पर उपहार में दी गई या जमीनें हस्तांतरित की गई थीं। आरोप है कि जोनल रेलवे में स्थानापन्न पदों पर नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया। ईडी ने छह अगस्त को 11 आरोपितों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था, जिनमें चार की मौत हो चुकी है। इसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने समन जारी किया था।

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