Barapullah Elevated Corridor: दिल्लीवालों के लिए गुड न्यूज, मयूर विहार से एम्स तक का सफर होगा आसान
बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर फेज-3 परियोजना में तेजी आने के आसार दिख रहे हैं। मानसून के दौरान रुके काम को मंजूरी मिल गई है। सराय काले खां से मयूर विहार तक बनने वाले इस कॉरिडोर से जाने वाले लोगों को लाल बत्ती से मुक्ति मिलेगी। परियोजना का 83 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। किसानों की जमीन बीच में आने से प्रोजेक्ट में देरी हुई है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर फेज-3 (Barapullah Elevated Corridor Phase 3) परियोजना के काम में अब तेजी के आसार हैं। मानसून के दौरान के लिए सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने यमुना और यमुना के किनारे पर जिस काम पर रोक लगाई थी उसके लिए अनुमति दे दी है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) अब यमुना के बीच धार में बचे हुए काम को शुरू करने की तैयारी में है।
सराय काले खां से मयूर विहार तक बन रहा कॉरिडोर
वहीं परियोजना के बीच आ रहे 274 हरे पेड़ों को हटाए जाने के लिए भी विभाग प्रक्रिया तेज कर रहा है। इस परियोजना पर 2014 में काम शुरू किया गया था। परियोजना के तहत सराय काले खां से मयूर विहार तक यमुना पर करीब साढे़ तीन किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जा रहा है। मगर किसानों की जमीन बीच में आ जाने से परियोजना का काम पूरा होने में देरी हुई है।
निर्माणाधीन एलिवेटेड कॉरिडोर। फोटो- जागरण
प्रोजेक्ट का 83 प्रतिशत काम पूरा
अब परियोजना के लिए किसानों से पूरी जमीन मिल चुकी है। अब इस परियोजना का 83 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। इस परियोजना के पूरा होने से लोग मयूर विहार से लेकर एम्स तक लालबत्ती के बिना आसानी से अपना सफर पूरा कर सकेंगे।परियोजना के प्रमुख प्वॉइंट
- बारापुला फेज1, 2 और 3 कॉरिडोर को मिलाकर कुल लंबाई 9.5 किमी।
- फेज-1 सराय काले खां से जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम तक 4 किमी 2010 में बनाया गया था।
- फेज-2 जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से आइएनए तक करीब 2 किमी 2015 के करीब तैयार किया गया।
- फेज-3 सराय काले खां से मयूर विहार 3.5 किमी है जिस पर 2014 में काम शुरू हुआ था।
- फेज-3 की इस परियोजना का काम 28 अप्रैल 2015 में शुरू किया गया।
- 27 अक्तूबर 2017 तक 30 महीने में काम पूरा होना था।
- परियोजना की निविदा राशि 964 करोड़ थी।
- देरी की वजह से 1326.37 करोड़ रुपये में पूरी परियोजना होगी।
- निविदा राशि के अतिरिक्त 362.37 करोड़ रुपये खर्च होगा।
टोल टैक्स में 30 प्रतिशत कटौती की मांग
उधर, दिल्ली एनसीआर ट्रांसपोर्ट एकता मंच ने छोटे ट्रांसपोर्टर्स के लिए टोल टैक्स में कटौती की मांग की है। मंच के महासचिव श्याम सुंदर ने प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्य रूप से हम तीन प्रमुख मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। पहला, छोटे ट्रांसपोर्टर्स की प्रमुख समस्याओं में टोल टैक्स एक बड़ी चुनौती बन गया है।
देशभर में टोल टैक्स की दरों को कम से कम 30 प्रतिशत तक घटाया जाए। साथ ही उन टोल प्लाजा की भी जांच की जाए, जिन्होंने अपनी लागत वसूल कर ली है। ऐसे टोल प्लाजा तुरंत बंद किए जाने चाहिए। दूसरा बड़ा मुद्दा देशभर में आनलाइन चालान की प्रक्रिया से जुड़ा है। संगठन का मानना है कि ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ द्वारा चलती गाड़ियों की फोटो खींचकर व टोल प्लाजा से जानकारी लेकर जो चालान किया जाता है, वह छोटे ट्रांसपोर्टर्स के लिए बोझ साबित हो रहा है।
उनका कहना है कि चालान प्रक्रिया में सुधार किया जाए, चालान केवल तब हो जब मौके पर ड्राइवर मौजूद हो। तीसरी प्रमुख मांग यह है कि देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें समान होनी चाहिए, ताकि ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न दरों का अतिरिक्त भार न पड़े।
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