Batla House Encounter Case: आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करने वालों को कोर्ट ने दिखाया आइना
वर्ष 2012 में संप्रग सरकार में गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने किनारा कर लिया था। उन्होंने एनकाउंटर पर सवाल खड़े करने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय के बयान को निजी राय करार देकर पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया था।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 16 Mar 2021 01:55 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बाटला हाउस एनकाउंटर में आरिज खान को फांसी की सजा सुनाए जाने से आतंकियों के समर्थकों को जोरदार तमाचा लगा है। यह मामला विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव की राजनीति का केंद्र भी रहा है, लेकिन पुलिस की जांच ने दोषियों सजा दिलाने का कार्य किया है। इतना ही पुलिस की कार्रवाई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सही ठहराया था। बावजूद इसके कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद और सपा नेता आजम खान पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते रहे हैं।
कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) भी एनकाउंटर का विरोध करते हुए कांग्रेस के स्वर में स्वर मिलाती रही हैं। दोनों पार्टियों ने एनकाउंटर का विरोध करते हुए पुलिस की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा करते हुए न्यायिक जांच तक की मांग की।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था। वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के ही नेता सलमान खुर्शीद ने तो यह भी कह दिया था कि एनकाउंटर में मारे गए आंतकियों की तस्वीर देखकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रोने लगी थीं। हालांकि वह बाद में अपने बयान का गलत मतलब निकालने की बात कह चुके हैं।
गृहमंत्री ने किया था बयान से किनारा वर्ष 2012 में संप्रग सरकार में गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने किनारा कर लिया था। उन्होंने एनकाउंटर पर सवाल खड़े करने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय के बयान को निजी राय करार देकर पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया था। भाजपा पुलिस की कार्रवाई के साथ रही खड़ी वर्ष 2008 में केंद्र और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। बावजूद इसके भाजपा बाटला हाउस एनकाउंटर में पुलिस की कार्रवाई को जायज ठहराती रही है।
एनकाउंटर पर जब कांग्रेस के नेताओं ने सवाल उठाए तो भाजपा नेता सड़कों पर पुलिस की कार्रवाई के समर्थन में उतर गए थे। उन्होंने दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए प्रदर्शन किया। इतना ही कांग्रेस के नेताओं द्वारा पुलिस की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा करने की भी निंदा की थी। इतना ही नहीं वर्ष 2019 के आम चुनाव में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की चुनावी सभा में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी को एनकाउंटर में मारे गए आंतकियों को देखकर रोना आया था, लेकिन शहीद हुए पुलिस इंस्पेक्टर को लेकर रोना नहीं आया।
हर जांच में खरी उतरती रही खाकी एनकाउंटर में दोषी को सजा सुनाए जाने के फिर एक बार पुलिस की कार्रवाई पर मुहर लग गई है। इससे पहले भी पुलिस की कार्रवाई एनएचआरसी की जांच में सही पाई गई थी। वर्ष 2009 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में उठे सवालों को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इसी जांच की जिम्मेदारी दी थी। एनएचआरसी ने पुलिस को सही पाया। तो फिर मामला न्यायिक जांच के लिए हाई कोर्ट में आया था। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में जब हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई तो यह मामला वहां पर भी खारिज हो गया था।
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