Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Batla House Encounter Case : अपनों की नहीं, आतंकियों की गोली से हुई थी इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत

अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने बचाव पक्ष द्वारा साथी पुलिसकर्मियों की गोली लगने से इंस्पेक्टर शर्मा की मौत होने की थ्योरी को दो आधार पर खारिज किया। अदालत ने पहला आधार यह बताया कि फ्लैट के अंदर दाखिल होने वाले पहले व्यक्ति इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा थे।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Mon, 15 Mar 2021 05:56 PM (IST)
Hero Image
फायरिंग शुरू होने पर इंस्पेक्टर शर्मा के पीछे थे दबिश देने वाली टीम के सभी सदस्य

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। वैज्ञानिक साक्ष्यों, घटनास्थल की वस्तुस्थिति से लेकर विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत को लेकर उठे सवालों को खारिज कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने बचाव पक्ष द्वारा साथी पुलिसकर्मियों की गोली लगने से इंस्पेक्टर शर्मा की मौत होने की थ्योरी को दो आधार पर खारिज किया। अदालत ने पहला आधार यह बताया कि फ्लैट के अंदर दाखिल होने वाले पहले व्यक्ति इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा थे।

दूसरे शब्दों में कहें तो जब फायरिंग शुरू हुई तो दबिश देने वाली टीम के सभी सदस्य इंस्पेक्टर शर्मा के पीछे थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, शर्मा को कंधे व पेट में एक-एक गोली लगी थी। गोली के घाव इंस्पेक्टर शर्मा के शरीर के सामने वाले हिस्से पर थे, जो उनके पीछे मौजूद पुलिसकर्मियों द्वारा नहीं दिए जा सकते हैं। अदालत ने फैसले में दूसरा आधार तत्कालीन क्राइम ब्रांच एसीपी राजेंद्र बख्शी द्वारा पेश की गई राय का दिया। इसमें बख्शी ने राय दी थी कि उक्त परिस्थिति में इंस्पेक्टर शर्मा को लगी गोली के घाव किसी भी सूरत में साथी पुलिसकर्मियों द्वारा नहीं दिए जा सकते हैं।

अदालत ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टर संजीव लालवानी व डाक्टर सुशील शर्मा द्वारा दी गई राय का भी हवाला दिया। इसके अनुसार गोली लगने के कारण बहा खून इंस्पेक्टर शर्मा की मौत का कारण बना। बचाव पक्ष द्वारा इंस्पेक्टर शर्मा को कौन सी गोली लगी इस पर भी सवाल उठाते कहा था कि पुलिस ने आरोप पत्र में स्लैश (/) का इस्तेमाल किया है।

अदालत ने कहा कि 9 एमएम पिस्टल/.30 बोर पिस्टल/7.0 एमएम असाल्ट राइफल के बीच जब स्लैश का इस्तेमाल हो तो इसका मतलब यह होता है कि इनमें से कोई एक गोली इंस्पेक्टर शर्मा को लगी थी। ऐसे में बचाव पक्ष की इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि इंस्पेक्टर शर्मा को .30 बोर पिस्टल के बजाय 9 एमएम पिस्टल की गोली लगी थी, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि अतिरिक्त लोक अभियोजक एटी अंसारी ने सही दलील दी कि मौके पर बरामद किए गए गोली के खोखे आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियारों से मेल खाते थे। इतना ही नहीं, इंस्पेक्टर शर्मा को लगे घाव उनके कपड़े पर हुए सुराख से मेल खाते हैं। ऐसे में वैज्ञानिक साक्ष्यों में कोई दोष नहीं है।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर