दिल्ली सहित पांच राज्यों में किए गए अध्ययन के मुताबिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के धुएं में वृद्धि के कारण पीएम 2.5 का निर्माण होता है। वीओसी के आक्सीकरण से बनने वाले सेकेंडरी कार्बनिक एरोसोल (एसओए) वायुमंडल में महीन कणों में परिवर्तित हो जाते हैं। नाइट्रोजन ऑक्साइड (नाक्स) हाइड्रोकार्बन के साथ मिलकर बनने वाला पेरोक्साइसेटिल नाइट्रेट (पीएएन) फोटोकेमिकल स्माग को बढ़ावा देता है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। हर साल सर्दियों में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप ले लेती है, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि गर्मियों में भी तेज धूप के कारण प्रदूषण की मात्रा बढ़ सकती है। यह अध्ययन बताता है कि कैसे अधिक तापमान हवा में प्रदूषणकारी पदार्थों को बढ़ा सकता है, खासकर पीएम 2.5 को।
अध्ययन के मुताबिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के धुएं में वृद्धि के कारण पीएम 2.5 का निर्माण होता है। वीओसी के आक्सीकरण से बनने वाले सेकेंडरी कार्बनिक एरोसोल (एसओए) वायुमंडल में महीन कणों में परिवर्तित हो जाते हैं।
नाइट्रोजन ऑक्साइड (नाक्स) हाइड्रोकार्बन के साथ मिलकर बनने वाला पेरोक्साइसेटिल नाइट्रेट (पीएएन) फोटोकेमिकल स्माग को बढ़ावा देता है। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और अधिक लू देखने को मिल रही हैं, जिससे यह स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है।
अध्ययन में पांच शहरों - दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, मुंबई और पटना में पीएम 2.5 और तापमान के बीच संबंध का पता लगाया गया है। अध्ययन में वर्ष 2022, 2023 और 2024 के आंकड़ों का उपयोग किया गया है।
अध्ययन के मुख्य बिंदु
- पीएम 2.5 और अधिक गर्मी का एक साथ रहना सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। सांस लेने में तकलीफ, हृदय संबंधी समस्याएं और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।- मौसम संबंधी कारक, जैसे हवा की गति, वर्षा, आर्द्रता और तापमान पीएम 2.5 की मात्रा को काफी प्रभावित करते हैं।- गर्मियों में प्रदूषण का स्तर आम तौर पर कम होता है, लेकिन अध्ययन में पाया गया है कि अप्रैल और मई में पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानकों से अधिक रहा।
- 2023 और 2024 में कुछ सुधार देखने को मिले हैं। ये सुधार स्थानीय पर्यावरण नीतियों, मौसम के पैटर्न या प्रदूषण को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों में बदलाव के कारण हो सकते हैं।- तापमान और पीएम 2.5 के स्तर के बीच का संबंध जटिल है। सर्दियों में ठंडी हवा नीचे जमी रहती है, जिससे प्रदूषण फैल नहीं पाता और प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। गर्मियों में प्रदूषण का स्तर कम रहता है, लेकिन कभी-कभी धूल भरी आंधी और ओजोन बनने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।
हवा में पीएम 2.5 की मात्रा को तापमान सहित विभिन्न कारक प्रभावित कर सकते हैं। अत्यधिक तापमान विभिन्न माध्यमिक प्रदूषकों के बनने को तेज करने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ा सकता है, साथ ही वायुमंडलीय स्थिरता और प्रदूषक फैलाव को भी प्रभावित कर सकता है। सर्दियों में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है, लेकिन गर्मी के महीनों में भी प्रदूषण हमें अलग-अलग तरीकों से नुकसान पहुंचा सकता है। - डॉ पालक बाल्यान, क्लाइमेट ट्रेंड्स की शोध प्रमुख
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