इसके अंतर्गत किसी शहर यहां इलाके को बसाने से पहले वहां घरों के आकार-प्रकार और संस्थानों की मौजूदगी के हिसाब से यह पता किया जा सकेगा कि उस इलाके में सड़कों पर वाहनों की यात्रा दर क्या होगी।
इससे शहर योजनाकार या संबंधित प्राधिकरण को सड़कों पर यातायात प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था करने में मदद मिलेगी। इससे एनसीआर में भी नए शहरों को व्यवस्थित तरह से बसाया जा सकेगा।
देश में तेजी हो रहे
शहरीकरण और वाहनों के बढ़ते बोझ के हिसाब से शहरों को तैयार करने कि लिए स्मार्ट सिटी और अमृत मिशन योजना पर काम किया जा रहा है।
इसके साथ ही सड़कों पर यातायात प्रबंधन, लास्ट माइल कनेक्टिविटी पर काम किया जा रहा है। लेकिन, उचित नीति और बुनियादी ढांचे के दिशानिर्देशों का प्रस्ताव करने के लिए यात्रा दरों का सटीक अनुमान महत्वपूर्ण है।
देश में अबतक इसको लेकर कोई वैज्ञानिक फार्मूला नहीं था। सीआरआरआइ द्वारा तैयार ट्रिप जेनरेशन मैनुअल भूमि उपयोग विकास के प्रभाव को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इसके अंतर्गत किसी भी क्षेत्र में यातायात कम या अधिक होने का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। इससे शहरी योजनाकारों व परिवहन इंजीनियरों के लिए परिवहन मांग प्रबंधन आसान हो जाएगा।इस तरह के मैनुअल का इस्तेमाल अभी अमेरिका और इंग्लैंड में किया जाता है। हालही में अबुधाबी में भी शुरू किया गया है। इसलिए भारत में पहली बार इस तरह का साफ्टवेयर सीआरआरआइ ने विकसित किया है।सीआरआरआइ इंडियन ट्रिप जेनरेशन मैनुअल के विकास के लिए देश के 32 शहरों से व्यापक डाटा संग्रह किया है। इसके अंतर्गत जनसंख्या के हिसाब से यात्रा पैटर्न का सर्वे किया गया है।
इसमें आठ प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थानों आइआइटी जम्मू, योजना तथा वास्तुकला विद्यालय (एसपीए) दिल्ली, एनआइटी नागपुर, एसवीएनआइटी सूरत, एनआइटी सुरथकल, एनआइटी तिरुचिरापल्ली, एमएनआइटी भोपाल और एनआइटी वारंगल को शामिल किया गया था।मैनुअल में विभिन्न भूमि उपयोगों की परिभाषा, यात्रा को प्रभावित करने वाले कारक और अनुमान के लिए व्यापक पद्धतियां शामिल हैं।आवासीय, वाणिज्यिक, कार्यालय, शैक्षणिक और मनोरंजक सुविधाओं के लिए भूमि उपयोग है, जो भारत के शहरी क्षेत्रों में यात्रा के आकलन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
मैनुअल के तहत घर के आकार-प्रकार और जनसंख्या के आधार पर निजी वाहनों के यात्रा अनुमान के लिए साफ्टवेयर विकसित किया गया है।यानी किसी इलाके में कितने कमरों के घर हैं और उस
शहर की जनसंख्या क्या है। उस शहर में भूमि उपयोग के हिसाब से लोग कितनी यात्राएं करेंगे। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकेगा।
साफ्टवेयर में शहर या क्षेत्र की आबादी, वहां के अधिकांश घरों के प्रकार (बीएचके में), एरिया आदि डालने पर यह पता चल जाएगा कि कार, बाइक या टेंपो एक दिन में कितनी यात्राएं करेंगे।इससे किसी क्षेत्र में शहर बनाने के प्लान को स्वीकृत करने से पहले यह देखा जा सकेगा कि ट्रैफिक प्रबंधन कि उचित व्यवस्था है या नहीं।
जनसंख्या के हिसाब से इन शहरों से किया गया डाटा संग्रह
दिल्ली, मेरठ, गुरुग्राम, गाजियाबाद, आगरा, जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़, देहरादून, जयपुर, लखनऊ, भोपाल, जबलपुर, रायपुर, अहमदाबाद, वड़ोदरा, सूरत, नागपुर, मुंबई, पुणे, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, तिरुचिरापल्ली, बेंगलुरु, मैसूरु, चेन्नई, हैदराबाद, विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम, वारांगल, शिलांग, इंफाल।
यह मैनुअल नगर योजनाकारों, परिवहन इंजीनियरों और संबंधित पेशेवरों को शहरी क्षेत्रों के भीतर विविध भूमि उपयोगों के लिए यात्रा दरों का अनुमान लगाने में सहायता करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मैनुअल पूरे भारत में कुशल शहरी परिवहन प्रणालियों की योजना और डिजाइन में अमूल्य साबित होता है। - प्रो. (डा.) मनोरंजन परिड़ा, निदेशक, सीएसआइआर-सीआरआरआइ
भारतीय ट्रिप जेनरेशन मैनुअल यात्र दरों के अनुमान के लिए एक व्यापक पद्धति प्रदान करता है। यह संसाधन भारत में शहरी योजनाकारों और परिवहन इंजीनियरों के लिए एक आवश्यक उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो प्रभावी परिवहन प्रणालियों के लिए उचित निर्णय लेने में महत्वपूर्ण साबित होगा। -डा. सीएच. रवि शेखर, मुख्य विज्ञानी व परिवहन योजना एवं पर्यावरण प्रभाग के प्रमुख, सीआरआरआइ