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दिल्ली में ऐसे ही स्थिति रही तो 10 साल में दोगुने से ज्यादा हो जाएगा बायोमेडिकल वेस्ट

राजस्व विभाग के हिसाब से 11 जिलों में विभाजित दिल्ली में अभी दो बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट चल रहे हैं। दोनों ही दिल्ली स्वास्थ्य सेवाएं के अधीन हैं। कोरोना काल में कोविड-19 बायोमेडिकल वेस्ट ही प्रमुखता से निकला है। सात माह के दौरान इसकी मात्र 2400 टन तक रही।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 31 Jan 2021 10:54 AM (IST)
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बायोमेडिकल वेस्ट को ले जाता कर्मचारी। फाइल फोटोः ANI

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में तो विस्तार हो ही रहा है, अगले दस साल में यहां से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट की मात्र भी दोगुने से अधिक हो जाएगी। स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार हो रहे विस्तार को आधार बनाकर यह आकलन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने किया है। इतने अधिक कचरे के एकत्रीकरण और इसके निस्तारण की समस्या को ध्यान में रखते हुए ही डीपीसीसी ने दो नए बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट लगाने की योजना बनाई है। इस आकलन में डीपीसीसी ने अधिकांश दिल्ली को दो क्षेत्रों में बांटा है।

पहले क्षेत्र में पूर्वी, उत्तर-पूर्वी और शाहदरा को शामिल किया गया है, जबकि दूसरे क्षेत्र में पश्चिमी, दक्षिणी पश्चिमी और मध्य दिल्ली को शामिल किया गया है। इस आकलन में सामने आया है कि 2031 में दिल्ली के बायोमेडिकल वेस्ट की मात्र 80 हजार किलो प्रतिदिन हो जाएगी। इसमें 50 फीसद यानी 40 हजार किलो वेस्ट तो इंसीनरेटर में जला दिया जाएगा, जबकि शेष 40 हजार किलो का निस्तारण बड़ी चुनौती होगी।

इस आकलन के मुताबिक पहले क्षेत्र में सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर अभी करीब 9,416 बिस्तर हैं जबकि इस क्षेत्र में फिलहाल हर रोज लगभग 5,647 किलो बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। 10 साल बाद इसकी मात्र बढ़कर 13,064 किलो हो जाएगी। इसी तरह दूसरे क्षेत्र में अभी सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर 23,796 बिस्तर हैं और यहां हर रोज लगभग 13,902 किलो बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। दस साल बाद यह बढ़कर 31,960 किलो हो जाएगा।

इतनी अधिक मात्र में बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए डीपीसीसी ने उक्त दोनों रिजन के लिए दो नए कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसेलिटिज (सीबीडब्ल्यूटीएफ) बनाने की योजना बनाई है। यह दोनों प्लांट बिल्ट, आपरेट, ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर बनेंगे और यह वेस्ट एकत्र करने, उसे प्लांट तक लाने तथा उसके निस्तारण तक की सारी जिम्मेदारी पूरी करेंगे। डीपीसीसी ने इस बाबत निविदाएं भी मंगा ली हैं।

ऐसे किया जाता है निस्तारण

कोविड बायो-मेडिकल वेस्ट एकत्र कर सीबीडब्ल्यूटीएफ में भेजा जाता है, जहां पर बेहद उच्च तापमान पर इसे नष्ट किया जाता है। यही नहीं अस्पतालों में भी इस कचरे को अलग रखने की व्यवस्था की जाती है।

दिल्ली में सिर्फ दो प्लांट

राजस्व विभाग के हिसाब से 11 जिलों में विभाजित दिल्ली में अभी दो बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट चल रहे हैं। दोनों ही दिल्ली स्वास्थ्य सेवाएं के अधीन हैं। कोरोना काल में कोविड-19 बायोमेडिकल वेस्ट ही प्रमुखता से निकला है। सात माह के दौरान इसकी मात्र 2,400 टन तक रही।

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