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Delhi: कोरोना के बाद बढ़ी जन्म दर, मौतें 7 वर्ष में सबसे कम; वार्षिक रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

कोरोना के बाद लोगों की जिंदगी एक बार फिर पहले की तरह सामान्य हो चुकी है। यह बात जन्म और मृत्यु पंजीकरण की वार्षिक रिपोर्ट से भी झलकती है। यही वजह है कि कोरोना के बाद दिल्ली में जन्म दर एक बार फिर थोड़ी बढ़ गई है लेकिन कोरोना से पहले की तुलना में कम है। जनसंख्या नियंत्रण के लिहाजा से जन्म दर कम होना अच्छा संकेत माना जाता है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Fri, 15 Sep 2023 11:37 PM (IST)
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कोरोना के बाद लोगों की जिंदगी एक बार फिर पहले की तरह सामान्य हो चुकी है।
नई दिल्ली, रणविजय सिंह। Delhi Corona Cases: कोरोना के बाद लोगों की जिंदगी एक बार फिर पहले की तरह सामान्य हो चुकी है। यह बात जन्म और मृत्यु पंजीकरण की वार्षिक रिपोर्ट से भी झलकती है। यही वजह है कि कोरोना के बाद दिल्ली में जन्म दर एक बार फिर थोड़ी बढ़ गई है, लेकिन कोरोना से पहले की तुलना में कम है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिहाजा से जन्म दर कम होना अच्छा संकेत माना जाता है। राहत की बात यह है कि मृत्यु दर घटी है। इस वजह से कोरोना के बाद दिल्ली में न सिर्फ वर्ष 2021 की तुलना में बल्कि पिछले वर्ष सात वर्षों में मौतें सबसे कम हुई हैं। सिविल पंजीकरण सर्वे (जन्म व मृत्यु पंजीकरण) की वार्षिक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।

डेल्टा वायरस ने मचाई थी तबाही

कोरोना के दौर में जन्म दर कम हो गई थी और मृत्यु दर बढ़ गई थी। वर्ष 2021 में कोरोना के डेल्टा वायरस के संक्रमण के दौरान यह ट्रेंड अधिक देखा गया। इस वजह से उस वर्ष दिल्ली में एक लाख 71 हजार से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया था, जो अब तक एक वर्ष में मौत का सर्वाधिक आंकड़ा है।

तब प्रतिदिन औसतन 470 लोगों की मौतें हुई थीं। इसका बड़ा कारण डेल्टा वायरस का संक्रमण और हृदय से संबंधित बीमारियों से मौतें अधिक होना था। कोरोना का संक्रमण खत्म होने के बाद पिछले वर्ष दिल्ली में एक लाख 28 हजार 106 लोगों की मौतें हुईं। इस लिहाजा से 43,370 लोगों की मौतें कम हुईं।

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प्रतिदिन औसत मौत के आंकड़े भी घटकर 351 हो गए। इस वजह से वर्ष 2013 के बाद वर्ष 2022 में मृत्यु दर सबसे कम दर्ज की गई। वर्ष 2013 में एक हजार की आबादी में मृत्यु दर 5.50 थी।

कोरोना के दौरान यह बढ़कर आठ से अधिक हो गया था। अब मृत्यु दर घटकर 6.07 हो गई है। अर्थात एक हजार की आबादी पर करीब छह लोगों की मौतें हुईं। पिछले वर्ष सबसे अधिक 14.83 प्रतिशत मौतें सेप्टिसीमिया (खून में संक्रमण) के कारण हुई। इसके अलाव

फेफड़े और हृदय की बीमारियों के कारण 11.51 प्रतिशत और लिवर की बीमारियों के कारण 4.43 प्रतिशत लोगों की मौतें हुईं।

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संस्थागत प्रसव रहा 94.02 प्रतिशत

वर्ष 2021 की तुलना में पिछले वर्ष 28,564 अधिक बच्चों ने जन्म लिया। प्रतिदिन 823 बच्चों ने जन्म लिया। संस्थागत प्रसव 94.02 प्रतिशत रहा। 66.19 प्रतिशत बच्चों का जन्म सरकारी अस्पतालों में और 33.81 प्रतिशत बच्चों का जन्म निजी अस्पतालों में हुआ। 5.98 प्रतिशत बच्चों का जन्म घर में हुआ।

कम रहा लिंगानुपात

जन्म के आधार पर लड़के और लड़कियों का लिंगानुपात कम रहा। एक हजार लड़कों के जन्म पर 929 लड़कियों का जनम हुआ। वर्ष 2021 में एक हजार लड़कों पर 933 लड़कियों का जन्म हुआ था।

दिल्ली में सात वर्षों में मौत के आंकड़े

वर्ष  मौतें मृत्यु दर जन्म जन्म दर
2016 1,41,632 7.53 3,79,161 20.16
2017 1,36,117 7.10 3,67,046 19.13
2018 1,45,533 7.44 3,62,803 18.55
2019 1,45,284 7.29 3,65,868 18.35
2020 1,42,789 7.93 3,01,645 14.85
2021 1,71,476 8.28 2,71,786 13.13
2022 1,28,106 6.07 3,00,350 14.24

पिछले वर्ष जन्म व मृत्यु के आंकड़े

मानक पुरुष महिला अन्य
जन्म 1,55,670 1,44,581 99
प्रतिशत 51.83 48.14 0.03
मौतें 79,052 49,004 50
प्रतिशत 61.71 38.25 0.04
रिपोर्ट इनपुट- रणविजय सिंह

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