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बर्तनों की चमक पर BIS के ‘मानक पहरे’ से दिल्ली के निर्माता परेशान, 70 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं दाम

बीआइएस के मानक पहरे से बर्तनों के दाम में 35 से 70 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। इसे लेकर बर्तन निर्माताओं की चिंता बढ़ गई है। उन्होंने सरकार से सूक्ष्म व लघु बर्तन निर्माताओं को बीआइएस अनिवार्यता से बाहर रखने की मांग की है। दिल्ली में 5000 से अधिक बर्तन निर्माता हैं। यहां 300 करोड़ रुपये से अधिक प्रति माह का बर्तनों का कारोबार है।

By Nimish Hemant Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 07 Jul 2024 02:54 PM (IST)
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नई दिल्ली में बर्तन की खरीदारी करते लोग। फोटो- जागरण आर्काइव

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। बर्तनों की चमक पर बीआइएस के ''मानक पहरे'' ने निर्माताओं की चिंता बढ़ा दी है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) बर्तनों के निर्माण में प्रयुक्त धातुओं की गुणवत्ता के साथ उसके आकार-प्रकार को भी मानको में सुनिश्चित किया है।

यह मानक स्टेनलेस स्टील व एल्युमीनियम के बर्तनों को लेकर हैं, जो बहुतयात में हर घर व व्यवसायिक रूप में इस्तेमाल होते हैं, लेकिन वजीरपुर जैसे बर्तन निर्माण के साथ ही सदर बजार स्थित बर्तन बिक्री के प्रमुख केंद्र डिप्टीगंज के व्यापारी चिंतित हैं।

इसलिए अगले सप्ताह इससे संबंधित मांगपत्र वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं। मानक निर्धारित होने से जहां निर्माण में मुश्किलें आने व सूक्ष्म उद्यमियों के इस उद्योग से बाहर होने का अंदेशा जताया जा रहा है।

कारोबारियों ने की ये डिमांड

वहीं, बिक्री में बर्तनों के दाम में 35 से 70 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का अनुमान जताया जा रहा है। इसलिए, बर्तन निर्माण से जुड़े उद्यमी सालाना 10 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले बर्तन निर्माताओं को बीआइएस की अनिवार्यता से बाहर रखने के साथ इसे ऐच्छिक रखने की मांग कर रहे हैं।

प्रति माह 200 से 300 करोड़ रुपये का है कारोबार

राष्ट्रीय राजधानी में बर्तन निर्माताओं का कारोबार प्रति माह करीब 200 से 300 करोड़ रुपये का है। जबकि पांच हजार से अधिक निर्माण इकाईयां है, जिनमें से अधिकतर घरों में चल रही है।

यहां चम्मच, कटोरी, थाली से लेकर घर, होटलों व बड़े समारोह के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन बनते हैं। उनका उत्पाद गरीब से लेकर मध्यम वर्ग तक परिवार में इस्तेमाल होता है। ये बिक्री के लिए विभिन्न राज्यों में भी जाते हैं।

50 हजार से ज्यादा लोगों का जुड़ा है रोजगार 

इस उद्योग से जुड़े उद्यमियों के अनुसार दिल्ली में कमोबेश सभी बर्तन उद्यमी सूक्ष्म उद्योग श्रेणी में आते हैं, जिनसे 50 हजार से अधिक लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। अब तक कूकर और गैस चूल्हा को छोड़कर बर्तनों का कोई मानक नहीं था, लेकिन न सिर्फ चम्मच, कटोरी से लेकर बल्कि थाली, कढ़ाई समेत अन्य बर्तनों पर बीआइएस मानक अनिवार्य हो गया है।

चिंता, स्टेनलेस स्टील के बर्तनों को लेकर है। जिसमें, धातु व रसायन क्रोम, कार्बन, मैगजीन, कापर व निकल की मात्रा निर्धारित की गई है। हालांकि, यह उद्योगों से निकलने वाले स्टीनलेस स्टील या एल्मुनियम पर लागू नहीं है। इसलिए बर्तन उद्यमी यह मानक पहले उनपर लागू करने की मांग कर रहे हैं।

हर राज्य के हैं अलग डिजाइन और आकार

बर्तन निर्माता संघ, वजीरपुर के अध्यक्ष जय कुमार बंसल के अनुसार, यह मानक व्यवहारिक नहीं है। क्योंकि, बर्तन का निर्माण परंपरागत तरीके से होता है। हर राज्य के अलग डिजाइन और आकार है। साथ ही यह ग्रामीण स्तर पर भी होता है। अधिकतर उद्यमी घरों में बर्तन का निर्माण करते हैं। उन्हें बीआइएस के मानक को पालन में काफी कठिनाई आएगी, क्योंकि उनके पास धातुओं को खरीदने से पहले उसे जांचने की व्यवस्था नहीं है।

केंद्र सरकार से करेंगे बातचीत

उन्होंने बताया कि मानक में बहुत सारी विसंगतियां है। जिसे लेकर केंद्र सरकार से बातचीत की जाएगी। बीआएस ने रसोई की सुरक्षा, गुणवत्ता और दक्षता को बढ़ाने की दिशा पहल करते हुए स्टेनलेस स्टील और एल्युमीनियम के बर्तनों के लिए बीआइएस के दिशा-निर्देशों को अनिवार्य बना दिया है।

इससे संबंधित घोषणा शुक्रवार को हुई। जिसमें कहा गया है कि ऐसे चिन्हित बर्तनों के लिए आइएसआइ चिह्न अनिवार्य होगा। इसका गैर-अनुपालन दंडनीय है, यह उपभोक्ताओं की सुरक्षा और उत्पाद शुद्धता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

बर्तनों को खरीदने वाले हर प्रकार के लोग होते हैं। बर्तनों का दाम बढ़ने से उन्हें परेशानी आएगी। इसे तत्काल अनिवार्य किया गया है। सवाल की जो बिक्री के लिए बर्तन हैं या आर्डर पर हैं। उनका क्या होगा।

सुधीर जैन, अध्यक्ष, डिप्टीगंज स्टेनलेस स्टील यूटेन्सल्ज ट्रेडर्स एसोसिएशन