लोढ़ा समिति के गठन में बिशन सिंह बेदी ने निभाई थी अहम भूमिका, IPL में सट्टेबाजी घोटाले की जांच के बाद बनी कमेटी
धुरंधर बल्लेबाजों को अपनी गेंदबाजी पर नचाने वाले पूर्व भारतीय स्पिन गेंदबाज बिशन सिंह बेदी ने लोढ़ा समिति के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। पूर्व भारतीय क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी अंतिम फैसले तक उनका साथ दिया था। दोनों ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) पर कथित गड़बड़ियों के लिए निशाना साधा था। उस समय वित्त मंत्री अरुण जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष रहे थे।
By Nikhil PathakEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 23 Oct 2023 11:36 PM (IST)
निखिल पाठक, नई दिल्ली। धुरंधर बल्लेबाजों को अपनी गेंदबाजी पर नचाने वाले पूर्व भारतीय स्पिन गेंदबाज बिशन सिंह बेदी ने लोढ़ा समिति के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। पूर्व भारतीय क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी अंतिम फैसले तक उनका साथ दिया था।
दोनों ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) पर कथित गड़बड़ियों के लिए निशाना साधा था। उस समय वित्त मंत्री अरुण जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष रहे थे। 14 सालों तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे जेटली ने साल 2013 में पद छोड़ा था।
कीर्ति आजाद
बेदी और कीर्ति ने की थी शिकायत
पूर्व क्रिकेटर व एनसीटी क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव समीर बहादुर ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की पीठ से बेदी और कीर्ति ने कहा था कि डीडीसीए और बीसीसीआई में कुछ भी ठीक नहीं है। यहां गंभीर समस्याएं हैं, जिसका असर इन दोनों क्रिकेट संस्थाओं के कामकाज पर पड़ रहा है। इसलिए आवश्यक है कि जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में गठित लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू किया जाए।IPL में सट्टेबाजी घोटाले के बाद हुई थी लोढ़ा समिति की स्थापना
उन्होंने बताया कि लोढ़ा समिति की स्थापना साल 2013 भारतीय प्रीमियर लीग (आईपीएल, IPL) सट्टेबाजी घोटाले की जांच के बाद न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का परिणाम थी। समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा ने की थी। समिति का उद्देश्य भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) में सुधार के लिए कार्यान्वयन योग्य कार्रवाइयों का विश्लेषण और सिफारिश करना, आईपीएल सट्टेबाजी घोटाले में गुरुनाथ मयप्पन और राज कुंद्रा के लिए सजा की मात्रा का आंकलन करना और सुंदर रमन की भूमिका का विश्लेषण करना था। लोढ़ा समिति की रिपोर्ट 14 जुलाई 2015 को प्रस्तुत की गई थी।
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लोढ़ा समिति की सिफारिशों ने बीसीसीआई पदानुक्रम और उससे जुड़े संघों को हिला कर रख दिया था। बीसीसीआई ने सिफारिशों पर आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय 18 जुलाई 2016 को न्यायमूर्ति एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला और मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की दो-न्यायाधीश पीठ द्वारा सुनाया गया था। अंतिम फैसले ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को बरकरार रखा था, जिससे बीसीसीआई के भीतर एक बड़े बदलाव का रास्ता साफ हो गया था।
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