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Exit Poll: दिल्ली में BJP लगा रही क्लीन स्वीप की हैट्रिक, पढ़ें क्या हैं INDI गठबंधन के फेल होने के 5 संभावित कारण

दिल्ली में इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने एक साथ चुनाव लड़ा। इससे माना जा रहा था कि दोनों के एक साथ आने से फायदा होगा लेकिन एग्जिट पोल में ऐसा नहीं दिख रहा है। वहीं केजरीवाल के जेल जाने की घटना को भी पार्टी भुनाने में जुटी हुई थी और सहानुभूति पाना चाहती थी लेकिन इसका फायदा होता नहीं दिख रहा है।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Sat, 01 Jun 2024 09:31 PM (IST)
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दिल्ली में BJP लगा रही क्लीन स्वीप की हैट्रिक।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में एग्जिट पोल में कमल खिलता दिख रहा है। लगभग सभी एग्जिट पोल ने बीजेपी को 7 सीटें दी है। News 24-टुडेज चाणक्य के सर्वे के मुताबिक इस बार भाजपा को 6 सीटें वहीं इंडी गठबंधन एक सीट मिल सकता है। वहीं रिपब्लिक भारत के सर्वे में बीजेपी यहां क्लीन स्वीप कर रही है। आज तक-एक्सिस माई इंडिया के पोल में बीजेपी को 6-7 सीटें मिली है वहीं इंडी गठबंधन को 0-1 सीटें मिल रही है। 

बता दें, दिल्ली में इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने एक साथ चुनाव लड़ा था। इससे माना जा रहा था कि दोनों के एक साथ आने से आप और कांग्रेस को फायदा होगा, लेकिन एग्जिट पोल में ऐसा नहीं दिख रहा है। वहीं केजरीवाल को दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल जाने की घटना को भी पार्टी भुनाने में जुटी हुई थी और सहानुभूति पाना चाहती थी, लेकिन इसका फायदा होता नहीं दिख रहा है। राजनीतिक एक्सपर्ट ने इंडी गठबंधन के फेल होने के पीछे पांच मुख्य वजहें बताई है। आइए जानते हैं वह 5 कौन से कारण हैं:

1. मोदी की लोकप्रियता: पीएम मोदी की लोकप्रियता फेल होने का बड़ा फैक्टर रहा। पीएम ने पूरी चुनाव प्रक्रिया में धुआंधार प्रचार किया। उन्होंने लगातार अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई। राम मंदिर निर्माण को भी पार्टी ने जमकर भुनाया। वहीं विपक्ष की तरफ से पीएम का उम्मीदवार न होना भी इसके फेल होने की वजह मानी जा रही है। 

2. भाजपा का संगठित और आक्रामक प्रचार अभियान: दिल्ली में भाजपा का संगठन जमीन पर काफी मजबूत है। इसके अलावा पार्टी बीते एक साल से ही केजरीवाल के खिलाफ जमकर प्रचार किया। शीशमहल के मुद्दे को पार्टी ने जमकर भुनाया। वहीं दिल्ली शराब घोटाला मामले में पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के जेल जाने की घटना को भी पार्टी खूब प्रचारित किया। पार्टी ने अपने चुनाव अभियान में इन सभी मुद्दों को जमकर खूब उठाया।

3. आप-कांग्रेस में तालमेल की कमी: चुनाव प्रचार अभियान के दौरान दोनों दलों की तालमेल में कमी देखी गई। कई इलाकों में लोगों को यह भी पता नहीं था कि क्या काग्रेस और आप एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं और उनके यहां से इंडी गठबंधन के उम्मीदवार कौन हैं? इंडी गठबंधन के नेता लोगों से जुड़ने में असफल रहे। नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार के दौरान गठबंधन दलों में तालमेल की कमी देखी गई। 

4. केजरीवाल का जेल जाना और भ्रष्टाचार का आरोप लगना: सीएम केजरीवाल का भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने की घटना पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। आप का 'जेल का जवाब वोट से' अभियान चलाने के बाद भी पार्टी को फायदा नहीं हुआ। वहीं पार्टी के अन्य नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे। वहीं सरकार के एक मंत्री राजकुमार आनंद ने भी इसी मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया। 

5. जनता के मूड को भांपना: भाजपा का छह सिटिंग सांसदों का टिकट काटकर जनता की नाराजगी दूर करना भी एक कारण रहा। दिल्ली के सांसद रहे प्रवेश साहिब सिंह और रमेश बिधूड़ी का टिकट काट दिया। इन नेताओं के बिगड़े बोल सामने आ गए थे। इस कारण लोग भी इन्हें पसंद नहीं कर रहे थे। इसके बाद पार्टी ने जनता का मूड भी भांप लिया। इस कारण गौतम गंभीर समेत कई पुराने सांसदों का टिकट काट दिया गया। दिल्ली में सिर्फ मनोज तिवारी को पार्टी फिर से टिकट दिया। 

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