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'दिल्लीवालों के साथ अंग्रेजों जैसा अत्याचार', वित्त मंत्री आतिशी ने बीजेपी से पूछे कई सवाल

दिल्ली सरकार की वित्त मंत्री आतिशी ने आज भाजपा पर एक के बाद एक कई हमले किए। उन्होंने पूछा कि जब बाकी राज्यों जैसे बिहार कर्नाटक महाराष्ट्र मध्य प्रदेश को उनके हिस्से का शेयर इन टैक्सेस दिया जा सकता है तो दिल्लीवालों से भाजपा को कैसी नफरत है? AAP नेत्री ने आगे कहा कि अब दिल्लीवाले ही निर्णय करें कि क्या केंद्र ने हमारे साथ न्याय किया।

By sanjeev Gupta Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 25 Jul 2024 07:52 PM (IST)
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Delhi News: दिल्ली वालों से भाजपा को कैसी नफरत है? आतिशी ने पूछा सवाल। फोटो सोशल मीडिया

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्री आतिशी (Atishi) ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित केंद्र सरकार ने पिछले 10 सालों से हर बजट में दिल्लीवालों को धोखा दिया है। एक प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों ने केंद्र सरकार को 15,59,933 करोड़ रुपये का आयकर दिया। लेकिन इसके बदले में दिल्ली को मात्र 7,534 करोड़ रुपये ही मिले।

 दिल्ली ने दिया दो लाख करोड़ आयकर, मिले 1061 करोड़-आतिशी

वित्त मंत्री ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा कि महाराष्ट्र को पांच लाख करोड़ आयकर के बदले 50,000 करोड़, कर्नाटक को दो लाख करोड़ आयकर पर 30,000 करोड़ रुपये का आवंटन होता है। लेकिन जब दिल्ली (Delhi News) के लोग दो लाख करोड़ रुपये का आयकर देते हैं तो उन्हें सब मिलाकर सिर्फ 1061 करोड़ ही क्यों मिलता है?

आप नेत्री ने आगे कहा कि क्या दिल्लीवालों को अपने शहर की तरक्की के लिए उनकी मेहनत की कमाई के आयकर का हिस्सा नहीं मिलना चाहिए? उन्होंने कहा कि यह अंग्रेजों के समय जैसा अत्याचार है।

टैक्स शेयर के रूप में नहीं मिला एक पैसा-वित्त मंत्री आतिशी

आतिशी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 2023-24 में दिल्लीवालों ने केंद्र सरकार को 2.07 लाख करोड़ रुपये का आयकर दिया। इसके बदले डिमांड 57 में सभी सात मदों को मिला कर केंद्र सरकार से दिल्ली को मात्र 1168 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ। टैक्स शेयर के रूप में एक पैसा नहीं मिला। ये दिल्लीवालों द्वारा दिए टैक्स का 0.4 प्रतिशत भी नहीं है।

आतिशी बोलीं:

"मैं भाजपा से पूछना चाहती हूं कि दिल्ली वालों के साथ ये अन्याय क्यों हो रहा है? उन्हें उनके हक़ का पैसा क्यों नहीं मिलता है? अगर केंद्र सरकार देश के बाकी राज्यों को पैसा दे सकती है तो दिल्लीवालों को भी उनके हक का पैसा मिलना चाहिए। ये दिल्ली वालों की मांग है।" उन्होंने कहा, अब दिल्लीवाले ही इस बात का निर्णय करे की, क्या ये सही है?

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