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BJP को दिल्ली में बड़ा झटका, एक साल के भीतर ही अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस में लौटे

सूत्रों के हवाले से यह खबर भी आ रही है कि कुछ और BJP नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Sun, 18 Feb 2018 09:47 AM (IST)
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BJP को दिल्ली में बड़ा झटका, एक साल के भीतर ही अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस में लौटे

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को झटका देकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाले अरविंदर सिंह लवली ने घर वापसी की है। एक साल पहले (2017) शामिल हुए अरविंदर लवली ने फिर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है। लवली शीला दीक्षित के खेमे के माने जाते हैं। इतना ही नहीं, दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर भी अरविंद सिंह लवली अपनी भूमिका निभा चुके हैं। यह भी गौर करने वाली बात है कि पिछले साल अरविंदर सिंह लवली के भाजपा में शामिल होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शील दीक्षित ने लवली के इस कदम को गद्दार करार दिया है। उन्होंने कहा कि लवली भाजपा से सख्त नफरत करते थे। मुझे आश्चर्य है कि उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन की।

राजनीति में कुछ भी हमेशा नहीं रहता और न होता है। ऐसे में सच तो यह है कि अप्रैल, 2017 में भाजपाई हुए नेता अरविंदर लवली ने पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी, जिसके बाद ही उन्होंने कांग्रेस में वापसी का फैसला किया। फिर शनिवार को उन्होंने घर वापसी कर ली।

सूत्रों के हवाले से यह खबर भी आ रही है कि कुछ और BJP नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ज्वाइन करने की पंक्ति में बरखा सिंह, अमित मालिक, प्रत्यूष कंठ सहित कुछ पुराने कांग्रेसी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि इन सबकी जल्द ही कांग्रेस में वापसी हो सकती है।

वहीं, कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेने के बाद अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि मेरे लिए कोई खुशी का निर्णय नहीं था कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन करना। पीड़ा में लिया गया फैसला था। वैचारिक रूप से मैं भाजपा में अनफिट था। बता दें कि लवली पहले भी दिल्ली में कांग्रेस के मुख्य चेहरों में शामिल थे और आज भी सिख समुदाय के बीच उनकी अच्छी पैठ माना जाती है।

अरविंदर की पार्टी में वापसी पर कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने कहा कि मुझे काफी अच्छा लग रहा है  कि वो (अरविंदर ) वापिस आए हैं।  उन्होंने पाया कि आखिर में अपना घर ही अच्छा होता है।

 

वहीं, लवली के कांग्रेस में वापसी के मौके पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि हमें ये घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि कांग्रेस पार्टी में अरविंदर जी वापस आ गए हैं। अरविंदर कांग्रेस के मज़बूत सिपाही थे इनके आने से कांग्रेस और मजबूत होगी सुबह राहुल गांधी जी से मुलाकात हुई थी। अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस को इससे बल मिलेगा। इस मौके पर अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि मैं मजबूरी में गया था। वैचारिक मतभेद थे. संवादहीनता दूर हुई है। मैं पार्टी के लिए सब कुछ करूंगा।

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बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बात से अरविंदर सिंह लवली की अनबन शुरू हो गई थी। हालात इस कदर बिगड़ गए थे कि उन्होंने कांग्रेस से ही इस्तीफा दे दिया था।

शीला दीक्षित सरकार में शिक्षा, शहरी विकास, पर्यटन और परिवहन मंत्री रह चुके हैं। अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस के 4 बार विधायक रहे हैं। 1998 में पहली बार दिल्ली के गांधी नगर से विधायक बने थे। 

यह भी गौर करने वाली बात है कि दो दिन पहले ही शीला दीक्षित और अजय माकन के बीच समझौता हुआ है। अजय माकन ने अपनी गलती मान कहा था कि उन्हें शीला दीक्षित को पहले मना लेना चाहिए था।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने पिछले दिनों अपनी ही पार्टी के पुराने नेताओं के साथ बैठक की थी। अजय माकन ने खुद स्वीकार किया था कि वह सभी को साथ लेकर चलने में नाकाम रहे। यही वजह थी कि पिछले चुनावों में हार मिली है। वहीं, उनके इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने प्रतिक्रिया में कहा था कि अजय माकन ने अपनी गलती सुधार ली है।

यहां पर बता दें कि दिल्ली MCD चुनाव से पहले टिकट बंटवारे से नाराज होकर अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस छोड़कर 4 अप्रैल 2017 के दिन भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। भाजपा में शामिल होने के दौरान अरविंदर ने कहा था कि उन्होंने अपने आत्मसम्मान के लिए कांग्रेस का साथ छोड़ा था। 

अप्रैल, 2017 में भाजपा ज्वाइन करने के दौरान यह कहा था लवली ने

1. मैंने जिस कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया था, वह अब बदल गई है, उसकी विचारधारा बदल गई है और यही मेरे पार्टी छोड़ने का कारण है।

2. जिस पार्टी में अपने नेताओं का कोई सम्मान नहीं है तो उससे गरीबों और दलितों का हिमायती होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

3. मैं बहुत असहाय महसूस कर रहा था। चुनाव समिति में कोई भूमिका नहीं थी। पार्टी के घोषणापत्र पर कोई राय नहीं ली जाती थी तो हम पार्टी में कर क्या रहे थे?

4. एक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का काम पार्टी को जोड़कर रखना होता है, न कि पार्टी के कैडर को खत्म कर देना। उस पार्टी का भविष्य कैसा होगा, जो अपने नेताओं का ख्याल नहीं रखती।

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