'विपक्ष में बैठे लोग वक्त के साथ बदलते हैं...', श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर बोले डॉ. सुधांशु त्रिवेदी
सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिर्फ हमारे पार्टी के संस्थापक ही नहीं बल्कि देश के पहले राजनीतिक बालिदानी थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु को जवाहर लाल नेहरू सरकार की लापरवाही बताते हुए उन्होंने कहा कि जब मुखर्जी के परिवार के सदस्यों ने उनकी मृत्यु पर जांच की मांग की तो तत्कालीन नेहरू सरकार ने मना कर दिया था।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर अरुण जेटली स्टेडियम के पास पार्क में लगी उनकी प्रतिमा पर भाजपा के नेताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें याद किया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. सुधांशु त्रिवेदी कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों और जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर त्रिवेदी ने कहा कि आज जो विपक्ष में लोग बैठे हैं वह समय के साथ बदलते हैं लेकिन हम लोग समय ही बदलते हैं।
त्रिवेदी ने कहा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिर्फ हमारे पार्टी के संस्थापक ही नहीं बल्कि देश के पहले राजनीतिक बालिदानी थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु को जवाहर लाल नेहरू सरकार की लापरवाही बताते हुए उन्होंने कहा कि जब मुखर्जी के परिवार के सदस्यों ने उनकी मृत्यु पर जांच की मांग की तो तत्कालीन नेहरू सरकार ने मना कर दिया था। उन्होंने कहा जनसंघ के समय से अब तक यानि 73 वर्षों में भाजपा का कश्मीर को लेकर जो रुख था, आज भी हम उसी पर आगे बढ़ रहे हैं।
2019 में हमने कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किया: सुधांशु
2019 में जब हमें पूर्ण बहुमत मिला तो हमने कश्मीर से दो विधान दो संविधान की प्रथा को ना सिर्फ समाप्त किया बल्कि अनुच्छेद 370 को भी हटाया।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक ऐसे विचारवादी व्यक्ति थे, जिन्होने मात्र 52 वर्ष की अल्प आयु में देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। उन्होंने बंगाल और पंजाब को भारत से अलग होने से बचाया और जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए थे और भारत के विभाजन का प्रस्ताव मान लिया था। उस वक्त इकलौते डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे जिन्होंने इसका विरोध किया। नहीं तो आज पूरा पंजाब और बंगाल पाकिस्तान में होता। कार्यक्रम में दिल्ली में भाजपा के सांसद और अन्य भाजपा नेता मौजूद रहे।
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