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Delhi Book Fair: पुस्तक मेले में किताबों के साथ बिक रहे मसाले और जड़ी बूटियां, कहीं लगी है मसाज चेयर

भारत मंडपम (पहले प्रगति मैदान) में लगे दिल्ली पुस्तक मेला अब पाठकों को हताश और निराश करने लगा है। क्योंकि यहां पर किताबें कम और महिलाओं के पर्स और बैग की स्टॉल मसाज चेयर आदि दिखाई पड़ता है। बता दें भारत मंडपम के हाल नंबर 12 और 12 ए में बुधवार को पांच दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन किया गया है।

By sanjeev Gupta Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 08 Aug 2024 03:02 PM (IST)
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Delhi News: दिल्ली पुस्तक मेले में इस बार किताबें कम। फाइल फोटो
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। कभी साहित्य का कुंभ कहे जाने वाले दिल्ली पुस्तक मेले में अब पाठकों को निराशा ही हाथ लगती है। मेले में नई और अच्छी पुस्तकें कम जबकि अन्य सामान ज्यादा बिकता नजर आता है। इस स्थिति से प्रकाशक और पाठक दोनों ही निराश हैं। अच्छे प्रकाशकों ने इस मेले से किनारा भी कर लिया है।

भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) व भारतीय प्रकाशक संघ (एफआईपी) के संयुक्त आयोजन 28वें दिल्ली पुस्तक मेले की शुरुआत बुधवार को भारत मंडपम (Bharat Mandapam) के हाल नं. 12 व 12 में हुई। पांच दिवसीय मेले का उदघाटन आईटीपीओ के कार्यकारी निदेशक रजत अग्रवाल ने किया।

इस पुस्तक मेले में 48 हिस्सेदार

हैरत की बात यह भी कि इसमें सिर्फ 48 भागीदार हैं। इनमें भी प्रकाशक बमुश्किल एक दर्जन हैं जबकि बाकी पुस्तक विक्रेता दिखाई पड़ते हैं। इसीलिए कभी दरियागंज में लगने वाले संडे बुक बाजार की तर्ज पर यहां किताबों की ढेरियां लगाकर उनकी सेल देखने को मिल रही है।

इससे भी आश्चर्यजनक यह है कि मेले में कहीं शारीरिक कमजोरी दूर करने वाली जड़ी बूटियां बिकती नजर आती हैं तो कहीं मसाले बिक रहे हैं। कहीं महिलाओं के पर्स और बैग की स्टॉल लगी है तो कहीं पर मसाज चेयर दिखाई पड़ती हैं। कहने के लिए दिल्ली पुस्तक मेले को सहारा देने के लिए स्टेशनरी, ऑफिस ऑटोमेशन और कॉरपोरेट गिफ्ट फेयर भी लगाया गया है, लेकिन मेले की गरिमा बनाए रखने की कोई कोशिश नजर नहीं आती।

अन्य सामान की स्टॉल गिफ्ट फेयर के तहत-आईटीपीओ

एफआईपी के अध्यक्ष नवीन गुप्ता पुस्तक मेले (Delhi Book Fair) में पुस्तकों की सेल लगाए जाने और अन्य सामान बिकने के प्रति सख्त विरोध जताते हैं। उनका कहना है कि इसे लेकर आईटीपीओ से भी शिकायत की गई है। वहीं आईटीपीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मेले में अन्य सामान की स्टॉल गिफ्ट फेयर के तहत दी गई हैं। सूत्रों की मानें तो एफआईपी और आईटीपीओ के बीच काफी खींचातानी भी चल रही है।

उधर किताबघर प्रकाशन के संचालक राजीव शर्मा बताते हैं कि दिल्ली पुस्तक मेले की गरिमा का ध्यान नहीं रखे जाने का ही परिणाम है कि ज्यादातर प्रमुख प्रकाशकों ने इससे दूरी बना ली है। यहां अब अच्छी किताबें नहीं मिलतीं, इसीलिए विश्व पुस्तक मेले की तुलना में यहां पाठक भी अपेक्षाकृत बहुत ही कम आते हैं।

भीड़ दिखाने के लिए इन लोगों को स्कूली बच्चे बुलाने पड़ते हैं। कमोबेश यही राय सामयिक प्रकाशन के संचालक महेश शर्मा ने भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि साहित्य और बाजारवाद को एक साथ लेकर नहीं चला जा सकता।

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