मस्तिष्क चिकित्सा में अहम कदम, न्यूरॉन्स को पुनर्जीवित कर नर्वस सिस्टम पर हुआ लकवा हो सकेगा ठीक
Brain Therapy ब्रेन की कोशिकाओं के न्यूरॉन्स नष्ट होने पर ही व्यक्ति दिव्यांग या लकवाग्रस्त रह जाता है लेकिन अब इसका भी इलाज संभव है। नेशनल ब्रेन एंड रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) के विज्ञानियों ने चूहों और वाम (निमाटोड) पर शोध कर उनके न्यूरॉन को पुनर्जीवित करने में सफलता प्राप्त की है। छह सालों से यह शोध चल रहा था।
जूही दास, गुरुग्राम। नर्वस सिस्टम पर चोट लगने, ब्रेन हेमरेज व अन्य वजहों से होने वाला लकवा अब ठीक किया जा सकेगा। नेशनल ब्रेन एंड रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) के विज्ञानियों ने चूहों और वाम (निमाटोड) पर शोध कर उनके न्यूरॉन को पुनर्जीवित करने में सफलता प्राप्त की है। शोधकर्ताओं ने इंसुलिन सिग्नलिंग और मालिक्यूलर क्लाक ठीक करने के साथ ही माइक्रो आरएनए पर काम किया। कोशिकाओं के नष्ट हुए न्यूरॉन्स में 50 प्रतिशत जीवित हो गए।
बता दें कि ब्रेन की कोशिकाओं के न्यूरॉन्स नष्ट होने पर ही व्यक्ति दिव्यांग या लकवाग्रस्त रह जाता है। एनबीआरसी में 10 लोगों की टीम ने लंबे समय तक न्यूरॉन्स के पुनर्जीवन पर शोध किया। एक उम्र के बाद नष्ट न्यूरॉन्स ठीक नहीं हो पाते हैं। टीम में इस प्रक्रिया को निदान निकालने के लिए शोध किया। निष्कर्ष निकाला कि मालिक्यूलर क्लाक को ठीक करने से ब्रेन सेल्स को दोबारा उत्पन्न करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। लेट-7 माइक्रोआरएनए और इंसुलिन सिग्नलिंग (आइएस) से भी रिजरेशन में मदद करता है। तीसरा एम काइनेस है। इन तीनों को सममिश्रण करके ब्रेन के न्यूरोंस को दोबारा उत्पन्न कर सकते हैं।
स्टेम सेल में कृत्रिम रूप से बनाया न्यूरॉन
एनबीआरसी के एसोसिएट प्रोफेसर अनिंद्य घोष राय ने बताया कि मनुष्य में सीधे ट्रायल नहीं किया जा सकता, इसलिए कृत्रिम रूप से स्टेम सेल में न्यूरॉन्स बनाए गए। एक विदेशी एजेंसी के साथ मिलकर किए जाने वाले इस शोध में स्टेम सेल में इंजरी करते हुए पैरालिसिस किया जाएगा। फिर उपरोक्त विधि से न्यूरान को फिर से जीवित किया जाएगा।इस संसाधनों का किया उपयोग
माइक्रोस्कॉपमालिक्यूलर बायोलॉजी
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