दिल्ली जल बोर्ड के अनुबंध में ली गई रिश्वत का पैसा AAP को चुनावी फंड में गया, कोर्ट ने ED को दिए ये निर्देश
ईडी ने एक बयान में आरोप लगाया है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को ठेका देने के बाद अरोड़ा ने नकद और बैंक खातों में रिश्वत ली और यह पैसा डीजेबी मामलों का प्रबंधन करने वाले विभिन्न लोगों को दिया जिनमें आप से जुड़े लोग भी शामिल थे। रिश्वत की रकम चुनावी फंड के तौर पर आप को भी दी गई।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में अदालत ने ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान लिया। ईडी ने आरोपपत्र में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के एक पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश अरोड़ा, ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट तेजिंदर पाल सिंह समेत अन्य लोगों को आरोपित बनाया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश भूपिंदर सिंह के समक्ष कार्यवाही के दौरान, डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश अरोड़ा और ठेकेदार अनिल अग्रवाल को जेल अधिकारियों द्वारा अदालत के समक्ष पेश किया गया। वहीं, अदालत द्वारा जारी किए गए समन के अनुपालन में आरोपित तेजिंदर सिंह भी अदालत के सामने पेश हुए।
चौथे आरोपित एनबीसीसी के पूर्व महाप्रबंधक डीके मित्तल ने एक दिन के लिए व्यक्तिगत पेशी से छूट की मांग करते हुए आवेदन दायर किया था। अदालत ने ईडी को आरोपितों को आरोपपत्र की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अदालत ने दस्तावेजों की जांच के लिए मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को तय की है।
चुनावी फंड के रूप में गया पैसा
ईडी ने अरोड़ा और अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। वहीं, तजिंदर पाल सिंह, देवेंद्र कुमार मित्तल और मेसर्स एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ बिना गिरफ्तारी के आरोप पत्र दायर किया गया था। ईडी ने आरोप लगाया है कि डीजेबी द्वारा जारी एक अनुबंध में भ्रष्टाचार से उत्पन्न रिश्वत का पैसा आम आदमी पार्टी (आप) को चुनावी फंड के रूप में पारित किया गया था।
एजेंसी ने कहा है कि डीजेबी का ठेका अत्यधिक बढ़ी हुई दरों पर दिया गया था ताकि ठेकेदारों से रिश्वत वसूली जा सके। ईडी ने कहा 38 करोड़ रुपये के अनुबंध मूल्य के मुकाबले, अनुबंध पर केवल 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए और शेष राशि विभिन्न फर्जी खर्चों की आड़ में निकाल ली गई।
पूछताछ के लिए केजरीवाल को बुलाया था
आरोप लगाया कि ऐसे फर्जी खर्च रिश्वत और चुनावी फंड के लिए दर्ज किए गए थे। ईडी ने इस मामले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी बुलाया था, लेकिन वह उसके सामने पेश नहीं हुए।
अदालत ने कहा कि रिकार्ड पर रखी गई सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि सभी आरोपित व्यक्ति व कंपनी या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय छिपाने, कब्जे, अधिग्रहण, उपयोग और उसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करने या दावा करने से संबंधित प्रक्रिया या गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।
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