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दिल्ली के अलावा NCR क्षेत्रों में भी नहीं दिखेंगी ये बसें, एक जुलाई तक हरियाणा-यूपी और राजस्थान को करना है बदलाव

इस वर्ष की सर्दियां भले काफी प्रदूषित रही हों लेकिन वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की कोशिश है कि अगली सर्दियां इससे साफ हों। इस दिशा में सख्त कदम उठाने की शुरूआत भी कर दी गई है। सबसे महत्वपूर्ण कदम है स्वच्छ ईंधन पर सार्वजनिक परिवहन। दिल्ली में सभी बसें सीएनजी से चल ही रही हैं एक जुलाई से एनसीआर के जिलों की बसें भी स्वच्छ ईंधन पर ही दौड़ेंगी।

By sanjeev Gupta Edited By: Geetarjun Updated: Sun, 28 Jan 2024 11:08 PM (IST)
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दिल्ली के अलावा NCR क्षेत्रों में भी नहीं दिखेंगी ये बसें।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। Delhi Pollution: इस वर्ष की सर्दियां भले काफी प्रदूषित रही हों, लेकिन वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की कोशिश है कि अगली सर्दियां इससे साफ हों। इस दिशा में सख्त कदम उठाने की शुरूआत भी कर दी गई है। सबसे महत्वपूर्ण कदम है स्वच्छ ईंधन पर सार्वजनिक परिवहन।

दिल्ली में सभी बसें सीएनजी (CNG) से चल ही रही हैं, एक जुलाई से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के जिलों की बसें भी स्वच्छ ईंधन (Clean Fuel) पर ही दौड़ेंगी। सीएक्यूएम की ओर से सभी संबंधित राज्य सरकारों को इस संदर्भ में लिखित निर्देश भी भेजे जा चुके हैं।

हरियाणा में कैसी बसें चल रही

सीएक्यूएम (CAQM) से मिली जानकारी के अनुसार, हरियाणा के सभी शहरों से आपस में कनेक्टिविटी देने वाली बसें और दिल्ली आने वाली बसें एक नवंबर 2023 से ही साफ ईंधन पर कर दी गई हैं। यहां सिर्फ इलेक्ट्रिक, सीएनजी (CNG) और बीएस-6 डीजल बसें चल सकती हैं।

राजस्थान-यूपी की योजना

एक जनवरी 2024 से राजस्थान के गैर एनसीआर इलाकों से दिल्ली में आने वाली सभी बसें भी इलेक्ट्रिक (Electric Bus), सीएनजी अथवा बीएस-6 डीजल (BS 6 Diesel) की कर दी गई हैं।

उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में राज्य परिवहन की 874 बसें चल रही हैं। एक जनवरी तक इनमें से कम से कम 250 बसें बीएस-6 डीजल की होने की बात थी। बाकी की बसें भी एक अप्रैल 2024 तक बीएस-6 डीजल की होंगी। इसके अलावा राज्य सरकार की 1433 बसें गैर एनसीआर इलाकों से दिल्ली और एनसीआर के दूसरे राज्यों में चल रही हैं।

तीनों राज्यों से आएंगे साफ ईंधन वाली बसें

यह बसें एक जुलाई 2024 तक बीएस-6 डीजल को अपना लेंगी। यानी एक जुलाई 2024 से हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश से दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) में आने वाली सभी बसें या तो इलेक्ट्रिक, सीएनजी अथवा बीएस-6 डीजल की होंगी। सीएक्यूएम का मानना है कि इससे सार्वजनिक परिवहन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण में व्यापक कमी आएगी।

डीजल जनरेटर के नियमों बदलाव

दूसरी तरफ अगली सर्दियों में दिल्ली एनसीआर को डीजल जनरेटर के प्रदूषित धुएं से भी मुक्त करने की तैयारी है। जानकारी के अनुसार, इस बार ग्रेप (GRAP) में इमरजेंसी इस्तेमाल पर 31 दिसंबर तक की ही छूट दी गई थी। सीएक्यूएम के अनुसार, यह वन टाइम छूट थी और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया।

एक जनवरी 2024 से डीजल जनरेटर पहले से तय किए नियमों के अनुरूप ही चल रहे हैं। मतलब अब 19 केवी से कम पोर्टेबल डीजल जनरेटर ग्रेप के दौरान नहीं चल सकेंगे। 19 केवी से 125 केवी क्षमता के जनरेटर तभी चल सकेंगे जब वह दोहरे ईंधन पर आधारित हों।

जिन जगहों पर गैस या पीएनजी की आपूर्ति नहीं है, वहां इन्हें आपात स्थिति के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। 125 से 800 केवी के जनरेटर तभी चल सकेंगे, जब वह दोहरे ईंधन पर या फिर प्रमाणित रूप से रेट्रो फिटेड होंगे।

वहीं, 800 केवी क्षमता के बड़े जनरेटर तभी चल सकेंगे, जब उनमें एमिशन कंट्रोल मैकेनिज्म होगा। अभी दिल्ली के अलावा एनसीआर में काफी जगहों पर डीजल जनरेटर प्रदूषण की बड़ी वजह हैं। इस नियम के लागू होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि प्रदूषण कम होगा। खास तौर से एनसीआर से दिल्ली में आ रहा प्रदूषण इसकी वजह से कम हो जाएगा।

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