CAA Protest: शाहीन बाग में भीड़ जुटाने के हथकंडे फेल, बुलाने पर भी नहीं आ रहे लोग
CAA Delhi Protest शाहीन बाग में धरने के कारण दिल्ली-नोएडा मार्ग बंद है। इससे नोएडा फरीदाबाद से दिल्ली आने-जाने वाले करीब 20 लाख लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 18 Feb 2020 09:36 AM (IST)
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में दो माह से भी अधिक समय से चल रहे धरने की वजह से एक तरफ स्थानीय लोगों को सामाजिक व आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में आवागमन के लिए जूझना पड़ रहा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं को इस धरने में सियासी नफा-नुकसान को ध्यान में रख नेताओं ने आर्थिक व वैचारिक मदद की। लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद इसमें नेताओं की इसमें कोई रुचि नहीं रह गई है। इसलिए उन्होंने मदद बंद कर दी है। यही कारण है कि धरने में आने वाले लोगों की तादाद लगातार कम हो रही है।
तीन फरवरी को एक युवक द्वारा गोली चलाए जाने के बाद यहां पर पुलिस ने सुरक्षा जांच बढ़ा दी। पुलिस ने दोनों ओर से बैरिकेड लगाकर धरनास्थल पर जाने वाले लोगों से आधार नंबर, घर का पता, मोबाइल नंबर आदि नोट करना शुरु कर दिया। इससे धरनास्थल पर लोगों की भीड़ अचानक कम हो गई।
धरने पर बैठे लोगों में फूट पड़ चुकी थी। एक गुट धरने को समाप्त करना चाहता था जबकि दूसरा गुट इसे जारी रखना चाहता था। एक गुट ने 30 जनवरी को मीडिया में यह खबर फैला दी कि रात 11 बजे प्रेसवार्ता में वह धरने को लेकर बड़ा ऐलान करने वाले हैं। दूसरे गुट ने मीडिया को वहां से यह कहकर वापस भेज दिया कि वहां कोई प्रेसवार्ता नहीं होनी है। इसे लेकर मंच पर ही दोनों पक्षों के लोग भिड़ गए। मीडिया इसे रिकॉर्ड करने लगा तो वे शांत हो गए। उन्होंने मीडियाकर्मियों को डरा-धमकाकर वह फुटेज भी डिलीट करवा दी थी।
धरने के विरोध में हो चुका है प्रदर्शन धरने के कारण दिल्ली-नोएडा मार्ग बंद है। इससे नोएडा, फरीदाबाद से दिल्ली आने-जाने वाले करीब 20 लाख लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा जाम से बचने के लिए लोग न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, कालिंदी कॉलोनी, माता मंदिर रोड, सुखदेव विहार, सनलाइट कॉलोनी, आश्रम, सरिता विहार आदि कॉलोनियों में घुस जाते हैं। इससे वहां भी जाम लग जाता है। इन कॉलोनियों के बच्चे पिछले दो माह से स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं। बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं लेकिन रास्ता खाली न होने के कारण बच्चों को परीक्षा केंद्र पहुंचने में भारी मुश्किल हो रही है। इन्हीं सब समस्याओं से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने तीन बार इस धरने के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया है।
बुलाने पर भी नहीं आ रहे लोग 15 दिसंबर, 2019 से शाहीन बाग में जारी इस धरने में शुरुआती दौर में तो हजारों की तदाद में भीड़ जुट रही थी, लेकिन दिल्ली विधानसभा के चुनाव नतीजे आने के बाद यहां से भीड़ लगातार नदारद होने लगी। भीड़ को बढ़ाने के लिए आयोजक महिलाएं स्थानीय लोगों को बुलाकर ला रही हैं, एएमयू, जेएनयू, जामिया मिल्लिया व डीयू आदि से भी छात्रों को भी बुलाया जा रहा है। इसके अलावा कभी यहां पुलिस की कार्रवाई की अफवाह उड़ाकर तो कभी हमले की अफवाह उड़ाकर भीड़ बढ़ाने का प्रयास किया गया, लेकिन सब नाकाम रहा।
बच्चों में घोला गया जहर शाहीन बाग धरने में बच्चों का इस्तेमाल किया गया। यहां के बच्चों को सीएए व एनआरसी के मुद्दे पर गुमराह किया गया। बच्चों को गुमराह करने के लिए धरनास्थल पर बाकायदा एक डिटेंशन सेंटर भी बनाया गया है। बच्चों को बताया जा रहा है कि सीएए कानून के तहत उन्हें व उनके माता-पिता को कैद कर लिया जाएगा। उन्हें कपड़े नहीं पहनने दिए जाएंगे, एक टाइम खाना दिया जाएगा। बच्चों की पिटाई की जाएगी। बच्चों को यह कहकर उनमें जहर घोला गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कारण ऐसा किया जाएगा। इसे लेकर पीएम व गृह मंत्री के खिलाफ जहर उगलते बच्चों की वीडियो भी खूब वायरल हुईं।
कारोबार को हो रहा नुकसान धरनास्थल से चंद कदम दूर पांच पेट्रोल व सीएनजी पंप हैं। दो माह से इनका धंधा चौपट हो गया है। रास्ता बंद होने के कारण इन पंपों पर ईंधन की बिक्री घटकर 15-20 फीसद रह गई है। पंप मालिकों को परिचालन खर्च निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं, शाहीन बाग व नदी के किनारे वाले मार्ग की सैकड़ों दुकानें बंद पड़ी हैं। लोगों को लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है। अब लोग बस यही चाहत हैं कि किसी तरह से यह धरना समाप्त हो जाए।
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