दिल्ली में जासूसी कांड पर बवाल, CBI ने मनीष सिसोदिया पर FIR दर्ज करने के लिए LG से मांगी अनुमति
दिल्ली सरकार पर फीडबैक यूनिट से जासूसी कराने का आरोप लगा है। इस मामले को लेकर सीबीआइ ने मनीष सिसोदिया सहित अन्य पर एफआइआर दर्ज करने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना से अनुमति मांगी है। एलजी ने मामले की फाइल गृह मंत्रालय को भेजी है। (Photo- ANI)
By V K ShuklaEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 08 Feb 2023 02:15 PM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली की चुनी हुई सरकार पर सीबीआइ का शिकंजा लगातार कस रहा है। सीबीआइ ने कहा है कि दिल्ली सरकार की फीड बैक यूनिट (एफबीयू) ने राजनीतिक जासूसी की है। सीबीआइ ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने के लिए मंजूरी मांगी है।
सत्ता में आने के बाद AAP ने बनाई थी फीडबैक यूनिट
इस मामले में एलजी ने गृह मंत्रालय व वित्त मंत्रालय को फाइल भेजी है। 2015 में सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी सरकार ने अपने सतर्कता विभाग को मजबूत करने के लिए फीडबैक यूनिट बनाई थी। आरोप है कि इसके माध्यम से नेताओं की कराई गई जासूसी थी।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार फीडबैक यूनिट का इस्तेमाल राजनीतिक जासूसी के लिए कर रही थी, सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में इस बार से पर्दा उठाया है।सीबीआइ ने कहा है कि यह यूनिट वैसे तो दिल्ली सरकार के विभागों में कामकाज की निगरानी के लिए बनाई गई थी। लेकिन असल मकसद कुछ और निकला। सीबीआइ ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है।
एफबीयू का गठन 2015 में किया गया था। 2016 में सतर्कता विभाग के एक अधिकारी ने शिकायत दर्ज करायी थी कि इसकी आड़ में जासूसी की जा रही है। 2015 में ही इस यूनिट के खिलाफ आवाज उठी थी और बाद में मामला सीबीआई को सुपुर्द कर दिया गया था।
मामला उठा तो CBI को सौंपा गया जांच का जिम्मा
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने ज्वाइन करने के कुछ माह बाद परियोजनाओं की फीडबैक लेने और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की जानकारी देने के लिए आप सरकार द्वारा गठित फीडबैक यूनिट के कर्मचारियों को बर्खास्त कर इसके दफ्तर को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था। इससे पूर्व उपराज्यपाल रहे नजीब जंग ने उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना गोपनीय तरीके से फीडबैक यूनिट बनाने के जांच का मामला सीबीआइ को सौंपा था और उस समय से सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही है।दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार उपराज्यपाल द्वारा फीडबैक यूनिट पर सवाल खड़ा करने से पूरी यूनिट विवादों के घेरे में आ गई थी। सरकार ने बाकायदा कैबिनेट निर्णय के जरिए फीडबैक यूनिट का गठन 2015 में किया था। इसमें 39 लोगों की भर्ती करने की प्लांनिंग की गई थी। लेकिन सरकार 20 लोगों की ही भर्ती कर पाई थी कि इस पर विवाद शुरू हो गया था।जिन लोगों की भर्ती की गई वे ज्यादातर अर्धसैनिक बलों से असिस्टेंट कमांडेट व इंस्पेक्टर रैंक से रिटायर्ड कर्मचारी थे।
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