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CBSE Exam: 9वीं से 12वीं तक ओपन बुक परीक्षा की तैयारी कर रहा बोर्ड, नवंबर-दिसंबर में होगा पायलट टेस्ट

जून 2024 तक छह विषयों के लिए ओपन बुक टेस्ट तैयार की जाएगी। इसका पायलट परीक्षण स्कूलों में नवंबर-दिसंबर 2024 में होगा। परीक्षा में अधिकतम शोध आधारित प्रश्न होते हैं। इसमें परीक्षार्थी को परीक्षा के दौरान किताबें खोलने और उन्हें देखने की अनुमति होती है। परीक्षा में परीक्षार्थी को अपनी वैचारिक क्षमता और आलोचनात्मक सोच का प्रदर्शन करना होता है।

By Ritika Mishra Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Thu, 22 Feb 2024 09:51 PM (IST)
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9वीं से 12वीं तक ओपन बुक परीक्षा की तैयारी कर रहा बोर्ड
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) बोर्ड परीक्षाओं में अहम बदलाव करने की तैयारी कर रहा है। बोर्ड स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (NCFSE) की सिफारिश के अनुसार नौवीं से 12वीं के लिए ओपन बुक टेस्ट व असेसमेंट तैयार करेगा।

इस परीक्षा के मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं की जांच करने के लिए कुछ स्कूलों में यह परीक्षा पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरु की जा सकती है। इसमें परीक्षा को पूरा करने में विद्यार्थियों द्वारा लिया गया न्यूनतम समय, रचनात्मक उद्देश्यों के लिए इसकी उपयोगिता और इसके बारे में हितधारकों की अवधारणाओं का मूल्यांकन होगा।

छह विषयों के लिए तैयार होगा ओपन बुक टेस्ट

सीबीएसई अधिकारियों के मुताबिक जून 2024 तक छह विषयों नौवीं- 10वीं में अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और 11वीं-12वीं में अंग्रेजी, गणित और जीव विज्ञान के लिए ओपन बुक टेस्ट (Open Book Test) तैयार की जाएगी। इसका पायलट परीक्षण स्कूलों में नवंबर-दिसंबर 2024 में होगा। इसकी सफलता पर बोर्ड नौवीं से 12वीं तक के लिए सभी स्कूलों में मूल्यांकन के इस तरीके को अपनाने पर विचार कर सकता है।

सीबीएसई अध्यक्ष ने सीबीएसई की ओपन बुक परीक्षा की तैयारियों को प्रभावी ढंग से जांचने के लिए डीयू के अनुभवों से सीखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। सीबीएसई स्कूलों (CBSE Schools) के प्रधानाचार्यों के मुताबिक ओपन बुक परीक्षण में परीक्षार्थियों को पाठ्यपुस्तकें, अध्ययन सामग्री और नोटबुक ले जाने की अनुमति होती है, जबकि सामान्य परीक्षा में यह सब अनुमति नहीं होती है।

शोध आधारित परीक्षा में होते हैं प्रश्न

उनके मुताबिक इस तरह की परीक्षा में अधिकतम शोध आधारित प्रश्न होते हैं। इसमें परीक्षार्थी को परीक्षा के दौरान किताबें खोलने और उन्हें देखने की अनुमति होती है। परीक्षा में परीक्षार्थी को अपनी वैचारिक क्षमता और आलोचनात्मक सोच का प्रदर्शन करना होता है। इस योजना को लेकर आयोजित सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की एक मीटिंग में प्रो. ज्योति शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ओपन बुक परीक्षण के अनुभव को दोहराया और छात्रों के बीच ओपन-बुक मूल्यांकन का समर्थन करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की सीबीएसई की रणनीति पर सवाल उठाए।

उन्होंने इस पायलट प्रोजेक्ट को लागू करने के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सीबीएसई की तैयारियों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि सीबीएसई इस परीक्षा के लिए किस प्रकार की सामग्री विकसित करने की योजना बना रहा है। सीबीएसई के निदेशक (शैक्षणिक मूल्यांकन) ने एनसीएफएसई-2023 में बताई गई योग्यताओं के अनुरूप सामग्री तैयार करने की सीबीएसई की योजना की रूपरेखा तैयार की। जिसमें विशेष रूप से उच्च-स्तरीय सोच कौशल, अनुप्रयोग, विश्लेषण, महत्वपूर्ण और रचनात्मक सोच और समस्या-समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

इसमें पाठ्यक्रम से जुड़े केस-आधारित प्रश्नों से हटकर पाठ्यक्रम से परे सामग्री का पता लगाने के लिए दृश्य सहायता शामिल होगी। पायलट स्कूल इस पहल का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्य सामग्री विकसित करने, छात्रों की इस नई मूल्यांकन पद्धति की समझ और स्वीकृति सुनिश्चित करने में चुनौतियां बनी हुई हैं। वहीं, प्रो. राधे श्याम ने कहा कि ओपन बुक परीक्षा में प्रश्नों में एकाधिक उत्तरों की क्षमता को समझने के लिए शिक्षकों को पहले ओपन-बुक परीक्षा देनी होगी।

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