केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जीएम सरसों का किया बचाव, कहा, इससे खाद्य तेल के उत्पादन में आएगी आत्मनिर्भरता
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल की तरफदारी करते हुए राष्ट्रहित और जनहित की दुहाई दी है। सरकार ने कहा है कि इससे खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता आएगी।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Thu, 10 Nov 2022 09:46 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो । केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल की तरफदारी करते हुए राष्ट्रहित और जनहित की दुहाई दी है। सरकार ने कहा है कि इससे खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता आएगी। केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि काफी सोच-विचार के बाद कड़ी शर्तों के साथ जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल की इजाजत दी गई है।
7 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगा कोर्ट
सरकार ने कोर्ट को जीएम सरसों के उत्पादन के बारे में दुनिया के अन्य देशों की स्थिति और उत्पादन की भी कोर्ट को जानकारी दी है। ये सारी बातें सरकार ने जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल का विरोध करने वाली अर्जी के जवाब में दाखिल हलफनामे में कहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट मामले पर 17 नवंबर को सुनवाई करेगा। बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश की मांग पर भी अगली सुनवाई पर विचार किया जाएगा। न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और सुधांशू धूलिया की पीठ जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल का विरोध करने वाली अरुणा राड्रिग्स की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल के बारे में हलफनामा दाखिल कर पूरी स्थिति पेश करने को कहा था। याचिकाकर्ता अरुणा राड्रिग्स के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें हलफनामे की प्रति मिल गई है और उन्होंने अपना प्रतिउत्तर भी दाखिल किया है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें अभी हलफनामा नहीं मिला है और वे उसे देखने के बाद ही आगे कोई आदेश देंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ओर से भी होता है विरोध
कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे को रिकार्ड पर लेते हुए मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक के लिए टाल दी। तभी प्रशांत भूषण ने कहा कि कोर्ट तब तक के लिए मामले में यथास्थिति कायम रखने का आदेश दे। हालांकि कोर्ट ने कोई आदेश जारी नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश की मांग पर भी अगली सुनवाई पर विचार किया जाएगा। रोचक तथ्य यह है कि जीएम का विरोध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठनों की ओर से भी होता रहा है। लेकिन सरकार इस मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहती है।तेलों की बढती कीमत से बढ़ रही मंहगाई
जीएम बीज से उत्पादित तेल ही आयात करता है भारतकेंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि यह इजाजत बीज की उत्पादकता और टेस्टग के लिए दी गई है। सरकार ने कहा है कि अभी खाद्य तेलों की खपत घरेलू उत्पादन को पार कर गई है। अभी भारत खाद्य तेल की 55-60 प्रतिशत मांग आयात से पूरी करता है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भारत जो खाद्य तेल आयात करता है और जो यहां खाया जाता है वो ज्यादातर जीएम बीज से ही उत्पादित होता है। जहां से खाद्य तेल आयात किया जाता है उनमें से ज्यादातर देश जैसे अर्जेंटीना, अमेरिका, ब्राजील और कनाडा में जीएम सोयाबीन बोया जाता है। जीएम सरसों तकनीक का विरोध आधारहीन भय के चलते किया जा रहा है। भारत को घरेलू जरूरत पूरा करने के लिए तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। तेलों की बढती कीमत से मंहगाई बढ़ रही है। जीएम फसल ऐसे में फायदेमंद है।
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