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Defence Graft Case: रक्षा सौदा भ्रष्टाचार में जया जेटली सहित 3 को 4 साल की जेल, HC ने लगाई रोक

Defence Graft Case पिछली सुनवाई में दिल्ली की निचली अदालत ने रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार के लिए जया जेटली समेत 3 को दोषी करार दिया था।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 30 Jul 2020 09:25 PM (IST)
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Defence Graft Case: रक्षा सौदा भ्रष्टाचार में जया जेटली सहित 3 को 4 साल की जेल, HC ने लगाई रोक

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। Defence Graft Case: रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार के लिए राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली व दो अन्य दोषियों को चार साल कारावास और एक-एक लाख रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई। जेटली के अलावा उनकी पार्टी के सहयोगी गोपाल पचेरवाल और तत्कालीन मेजर जनरल एसपी मुरगई को सजा दी गई है। इन कैमरा प्रोसिडिंग के दौरान विशेष अदालत ने दोषियों को बृहस्पतिवार शाम पांच बजे तक आत्मसर्मपण करने का आदेश दिया। हालांकि इससे पहले ही तीनों दोषियों ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती याचिका दायर कर दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए सीबीआइ से जवाब मांगा है।

राउज एवेन्यू अदालत के विशेष सीबीआइ जज विरेंद्र भट्ट ने दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा कि दोषियों ने देश की संपूर्ण रक्षा प्रणाली से समझौता किया। रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो सहिष्णुता होनी चाहिए। क्योंकि इसका हमारे देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता पर सीधा असर पड़ता है। यह अपराध अज्ञानता में नहीं किया गया, बल्कि एक सोची समझी साजिश के तहत और एक-दूसरे से विचार विमर्श के बाद अंजाम दिया गया है। दोषी आम नागरिक न होकर संसाधन पूर्ण ओहदेदार लोग हैं। दोषियों ने अपने छोटे लाभ के लिए एक अज्ञात काल्पनिक कंपनी के उत्पादों को भारतीय सेना में शामिल कराना चाहा। अगर ऐसा हो जाता तो सेना किसी मोर्चे पर कमजोर पड़ सकती थी। हमारे देश का असतित्तव खतरे में आ जाता। यह हमारे देश पर हमले से कम नहीं है। दोषियों पर किसी तरह की दया नहीं की जा सकती। अगर ऐसा किया जाता है तो यह न्याय का मजाक उड़ाना होगा। भ्रष्टाचार के वायरस ने हमारे समाज के पूरे ताने-बाने को उलझा दिया है। यह हमारे देश की तरक्की में बाधक बन रहा है। इसलिए भ्रष्टाचार के मामले में दया नहीं दिखाई जा सकती।

क्या है मामला

साल 2001 में "ऑपरेशन वेस्ट एंड" नाम से एक स्टिंग हुआ था। रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार को दिखाने के लिए 2000-2001 में एक वेबसाइट ने यह स्टिंग किया था। रक्षा मंत्रालय से जुड़े कई अधिकारियों और नेताओं पर स्टिंग करने के बाद मार्च 2001 में इसे कई किस्तों में प्रसारित किया गया था। इस मामले में सीबीआइ ने केस दर्ज तीन आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इनमें जया जेटली, तत्कालीन मेजर जनरल एसपी मुरगाई और गोपाल के पचेरवाल शामिल थे। सीबीआइ ने 2006 में आरोपपत्र दायर किया था। आरोपपत्र के अनुसार जया जेटली ने 2000-01 में मुरगाई, सुरेखा और पचेरवाल के साथ आपराधिक साजिश रची और खुद या किसी अन्य व्यक्ति के लिए दो लाख रुपये की रिश्वत ली। यह रकम काल्पनिक फर्म मेसर्स वेस्टेंड इंटरनेशनल लंदन के प्रतिनिधि मैथ्यू सैमुअल से ली गई थी। मैथ्यू सैमुअल असल में स्टिंग करने वाली एजेंसी से संबंधित थे। उन्होंने कुछ रक्षा उपकरणों जैसे हैंड हेल्ड थर्मल कैमरा (एचएचटीसी) के लिए रक्षा मंत्रालय से आपूर्ति आदेश प्राप्त करने के लिए यह सब किया गया था।

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