सांसद निधि के उपयोग पर टिप्पणी करना केंद्रीय सूचना आयोग का अधिकार क्षेत्र नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) के तहत सांसद निधि के उपयोग पर टिप्पणी करना केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का अधिकार क्षेत्र नहीं है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि सीआईसी की इस टिप्पणी को हटाया जाना चाहिए कि संसद सदस्य एमपीएलएडीएस के तहत निधि का उपयोग कैसे कर रहे हैं।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) के तहत सांसद निधि के उपयोग पर टिप्पणी करना केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का अधिकार क्षेत्र नहीं है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि सीआईसी की इस टिप्पणी को हटाया जाना चाहिए कि संसद सदस्य एमपीएलएडीएस के तहत निधि का उपयोग कैसे कर रहे हैं।
हालांकि, अदालत ने सीआईसी के आदेश के उस हिस्से को बरकरार रखा, जिसके तहत सीआईसी ने आरटीआई अधिनियम की धारा 19(8) (ए) (iii)के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण को संबंधित धन का सांसद निर्वाचन क्षेत्र-वार और कार्य-वार विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया था। आवेदनकर्ता राम गोपाल दीक्षित ने एक आरटीआई आवेदन दायर कर हाथरस निर्वाचन क्षेत्र के तत्कालीन सांसद राजेश दिवाकर द्वारा शुरू किए गए, लंबित और पूरे किए गए कार्यों के बारे में जानकारी मांगी थी।
उन्होंने एमपीएलएडीएस निधि के उपयोग और पूर्वोत्तर रेलवे में सड़क या रेलवे स्टेशन जैसे अनुशंसित और निष्पादित कार्यों की स्थिति का विवरण भी मांगा था। वहीं, केंद्र सरकार का कहना था कि सांसद निधि खर्च करने में संसद सदस्यों द्वारा की गई कार्रवाई पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सीआईसी ने टिप्पणी की थी।
यह तर्क दिया गया कि सीआईसी को केवल आरटीआई आवेदन में उठाए गए सवाल या आरटीआई आवेदन से संबंधित किसी अन्य पहलू तक ही सीमित रखना चाहिए था। टिप्पणी के विरुद्ध केंद्र सरकार की याचिका पर अदालत ने केंद्र सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए सीआईसी द्वारा की गई टिप्पणियों को हटा दिया।
अदालत ने इसके साथ ही सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा 2018 में सीआईसी द्वारा पारित दो आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर दिया।
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