चिकित्सा शिक्षण संस्थान भी बना चाचा नेहरू अस्पताल, एमडी और एमसीएच काेर्स शुरू
बच्चों के सबसे बड़े अस्पतालों में शामिल गीता कालोनी स्थित चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय अब चिकित्सा शिक्षण संस्थान भी बन गया है। यहां एमडी और एमसीएच की पढ़ाई शुरू हो गई है। पहले बैच में छह सीटें हैं।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। बच्चों के सबसे बड़े अस्पतालों में शामिल गीता कालोनी स्थित चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय अब चिकित्सा शिक्षण संस्थान भी बन गया है। यहां एमडी और एमसीएच की पढ़ाई शुरू हो गई है। पहले बैच में छह सीटें हैं। इसमें चार एमडी (पीडियाट्रिक) और दो एमसीएच (पीडियाट्रिक सर्जरी) की हैं। पहले अस्पताल में सिर्फ डीएनबी कोर्स कराया जाता था। सुरपस्पेशियलिटी कोर्स शुरू होने के बाद अब यह पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग इंस्टीट्यूट में तब्दील हो गया है। जल्द ही इसका नामकरण भी कर दिया जाएगा। इस तरह से राजधानी के सरकारी चिकित्सा संस्थानों और सीटों में भी वृद्धि हुई है। अस्पताल की निदेशक डा. उर्मिला झांब ने कहा यह अस्पताल के लिए गौरव की बात है। काफी सालों की मेहनत के बाद आइपी यूनिवर्सिटी से संबद्ध कोर्स शुरू किया जा सका है। उन्होंने उम्मीद जताई अगले साल सीटें और बढ़ सकती हैं। उन्होंने अस्पताल के प्रोफेसरों और सहायक प्रोफेसरों को इसके लिए बधाई दी है।
यमुनापार में यूनिवर्सिटी कालेज आफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के बाद यह दूसरा शिक्षण संस्थान है, जहां एमडी और एमसीएच की पढ़ाई हो रही है। यूसीएमएस दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है। करीब 220 बेड की क्षमता वाला चाचा नेहरू अस्पताल पहले मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के साथ जुड़ा हुआ था। 2013 में यह स्वायत्त संस्था में तब्दील हो गया था। इसके बाद से ही यहां पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू करने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई थी। करीब चार साल पहले तत्कालीन निदेशक डा. बीएल शेरवाल ने इसके लिए फिर से प्रयास शुरू किया।
आइपी यूनिवर्सिटी से बातचीत शुरू की गई। यूनिवर्सिटी ने एक महीने में सर्वे आदि का काम पूरा कर लिया। इसके बाद कोर्स शुरू करने पर सहमति दे दी। पिछले साल नवंबर में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने भी इसे मान्यता दे दी थी। इसके बाद कोर्स शुरू करने का रास्ता साफ हो गया। हाल ही में पीजी-नीट की परीक्षा में चयनित डाक्टरों को यहां सीट का आवंटन किया गया। इससे अस्पताल के प्रोफेसरों में भी उत्साह है। दरअसल पहले सीनियर रेजीडेंट आते थे लेकिन शिक्षण अनुभव नहीं मिलने की वजह से बीच में ही छोड़कर चले जाते थे। पीडियाट्रिक और पीडियाट्रिक सर्जरी के कसंल्टेंट के साथ सीनियर रेजीडेंट को भी शिक्षण का अनुभव मिलेगा।