इंसान से ज्यादा खाली शीशियों की कीमत... 100 रु. खर्च कर तीन लाख में बेची जा रही थी कैंसर की दवा
कीमोथेरेपी की नकली दवाओं का कारोबार करने में शामिल आरोपितों के लिए इंसान की जान से ज्यादा कीमती खाली शीशियां थीं। पुलिस के अनुसार आरोपित जिस एंटीफंगल दवा को कैंसर की असली शीशियों में भरते थे वह मुश्किल से 100 रुपये में आती है। भरने के बाद उसे तीन लाख तक में बेचते थे। डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स मोती नगर में विफिल जैन द्वारा नकली दवाओं का निर्माण हो रहा था।
मनीष राणा, नई दिल्ली। नकली जीवन रक्षक कैंसर कीमोथेरेपी ड्रग्स रैकेट ने असली दवाइयों की खाली शीशियों में नकली दवा भर करोड़ों तो कमाएं ही साथ ही कई जान भी ले ली। इनका नकली दवाओं का यह पूरा रैकेट असली दवाइयों की खाली शीशियों पर टिका था।
इस रैकेट के लिए इंसान की जान की कोई कीमत नहीं थी और खुलकर लोगों की जिंदगी से खेल सभी सदस्य अपनी जेब भरने में लगे थे। रैकेट के सदस्यों के लिए असली दवाइयों की खाली शीशियों की कीमत इंसान की जान से ज्यादा थी।
पकडे़ गए आरोपित पहले अस्पताल से खाली शीशियां प्राप्त करते थे और फिर उनमें नकली दवाई भर उसे बेच देते थे। मगर नकली दवा की डिमांड और असली दवाओं की खाली शीशियों की सप्लाई में अंतर था।
इन इलाकों में हो रहा था नकली दवाओं का निर्माण
पुलिस के अनुसार आरोपित जिस एंटीफंगल दवा को कैंसर की असली दवाओं की शीशियों में भरते थे वह मुश्किल से 100 रुपये में आती है। भरने के बाद उसे तीन लाख रुपये तक में बेचते थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स और मोती नगर में विफिल जैन द्वारा नकली दवाओं का निर्माण किया जा रहा था। सूरज शत इन शीशियों की रीफिलिंग और पैकेजिंग का प्रबंधन करता था।छापेमारी के दौरान ओपडाटा, कीट्रूडा, डेक्सट्रोज, फ्लुकोनाजोल ब्रांड के नकली इंजेक्शन (कैंसर) की शीशियां जब्त की गईं।
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साउथ सिटी, गुरुग्राम के एक फ्लैट में नीरज चौहान ने नकली कैंसर इंजेक्शन का बड़ा जखीरा जमा कर रखा था। यहां से कीट्रूडा, इन्फिनजी, टेक्सेंट्रिक, पेरजेटा, ओपडाटा, डार्जलेक्स, एर्बिटक्स नाम के 137 नकली इंजेक्शन, फेस्गो की 519 खाली शीशियां और 864 खाली पैकेजिंग बाक्स मिले। नीरज की निशानदेही पर उसके चचेरे भाई तुषार चौहान को भी दबोच लिया गया, जो सप्लाई चेन में शामिल था। यमुना विहार, उत्तर-पूर्वी जिले से पुलिस टीम ने परवेज नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया।यह विफिल जैन के लिए खाली शीशियों की व्यवस्था करता था और रिफिल की गई शीशियों की आपूर्ति में शामिल था। उसके कब्जे से 20 खाली शीशियां बरामद हुईं।राजीव गांधी कैंसर अस्पताल से पकड़े गए आरोपी
राजीव गांधी कैंसर अस्पताल के उन लोगों को पकड़ने के लिए छापेमारी की गई जो कैंसर इंजेक्शन की खाली अथवा आधी भरी शीशियों की आपूर्ति में शामिल थे।वहां से अस्पताल की साइटोमिक्सी इकाई में काम करने वाली कोमल तिवारी और अभिनय कोहली को पुलिस ने दबोच लिया। ये दोनों 5000-5000 रुपये में खाली शीशियां उपलब्ध कराते थे। इनके कब्जे से खाली शीशियां और पैकेजिंग सामग्री बरामद की गई। मामले का पर्दाफाश डीसीपी अमित गोयल, एसीपी सतेंद्र मोहन, रमेश चंद्र लांबा, इंस्पेक्टर कमल, पवन और महिपाल के नेतृत्व में एसआइ गुलाब, आशीष, अंकित, गौरव, यतंदर मलिक, राकेश और समय सिंह, नवीन, रामकेश, वरुण, शक्ति, सुरेंद्र, सुनील, ललित, राजबीर, एएसआइ राकेश, जफरूद्दीन, शैलेंद्र व सिपाही नवीन को टीम ने किया।खाली शीशियां पाने के लिए निकाल लिया अनोखा तरीका
अस्पताल से असली दवाओं की उतनी खाली शीशियां नहीं मिल पा रही थीं,जितनी दवाओं की मांग थी। ऐसे में रैकेट ने जिन असली दवाओं की खाली शीशियों में नकली दवाई भर कर बेची उन्हें ही वापस पाने का तरीका निकाल लिया।रैकेट के सदस्य जिन भी ग्राहकों को सीधा नकली दवाएं बेच रहा था,उन्हें खाली शीशी वापस करने पर अगली बार दवाई लेने पर छूट देने का लालच देकर उनसे शीशियां वापस ले लेते थे। जिन्हें फिर से भर किसी अन्य ग्राहक को बेच देते थे। कुल मिलाकर रैकेट के लिए इंसान की जान की कोई कीमत नहीं थी और खाली शीशियां बहुमूल्य थी।100 रुपये में भर लाखों में बेचते थे कैंसर की नकली दवाई
अपराध शाखा के अनुसार आरोपित जिस एंटीफंगल को कैंसर की असली दवाओं की खाली शीशियों में भरते थे, वह मुश्किल से सौ रुपये का आता है।भरने के बाद वह उसे एक से लेकर तीन लाख तक में कंपनी के तय दाम के आधार पर बेच देते थे। जबकि खाली शीशी वह चार से पांच हजार में खरीदते थे। ऐसे में एक शीशी बेचने पर ही लाखों कमा रहे थे।खाली शीशियों को नष्ट करने का होता है पूरा एक प्रोसेस
अपराध शाखा के अधिकारियों ने बताया कि जिन दवाओं की खाली शीशियों में नकली दवाएं भर बेची जा रही थी। उन्हें इस्तेमाल कर खाली शीशियों को नष्ट करने का भी अलग से एक पूरा प्रोसेस होता है। जो रैकेट में शामिल अस्पताल के कर्मचारी नहीं करते थे और खाली शीशियां बेच देते थे।कब कब पकड़ी गई नकली दवाएं
सात, मार्च 2024
- अपराध शाखा ने नकली दवाओं के अंतरराज्यीय ड्रग रैकेट का पर्दाफाश किया
- दो सरगनाओं, निर्माताओं, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और फार्मासिस्टों सहित कुल 10 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई
- करोड़ों रुपये कीमत की कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की जीवन रक्षक नकली दवाएं (दर्द निवारक, मधुमेह, एंटीबायोटिक्स, माइग्रेन) बरामद हुई
- अरिस्टो कंपनी की मोनोसेफ टैबलेट की 2,16,000 गोलियां बरामद हुई थी
- सात देशी-विदेशी कंपनियों की करोड़ों रुपये की दवाएं,
- लगभग 3 लाख खाली जिलेटिन कैप्सूल के शैल
- 70 हजार नकद, डिफेंस कालोनी, गाजियाबाद में नकली दवाओं के भंडारण के लिए बनाया हुआ गोदाम
18 दिसम्बर, 2023
- औद्योगिक क्षेत्र में बनाया जा रहा था बेटनोवेट एन जेल
- दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने उत्तरी दिल्ली के गुलाबी बाग इलाके में नकली दवा बनाने की फैक्ट्री के मालिक को गिरफ्तार किया। कारखाने में खुजली रोधक जेल नकली बेटनोवेट एन बनाया जा रहा था।
- बेटनोवेट एन क्रीम की खाली टयूबों से भरे 57 कार्टन बरामद हुए थे। हर कार्टन में 1,200 ट्यूब थीं और कुल 68,400 खाली ट्यूबें बरामद हुई थी। वहीं भरी हुई टयूब के चार कार्टन मिथे थे जिनमें कुल 2,200 भरी हुई टयूबें थी।
15 नवम्बर, 2022
- दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवाई बेचने वाले गिरोह को पकड़ा। पकड़े गए सातों गिरफ्तार आरोपितों के तार विदेश से जुड़ते नजर आए थे,इनके लिंकनेपाल, बांग्लादेश और चीन से जुड़े हैं।
- 8 करोड़ रुपये की नकली दवाई बरामद