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दिल्‍ली सरकार v/s LG: लिखी गई सियासी जंग की पटकथा, निशाने पर नौकरशाह

प्रधान सचिवों के बहाने एक बार फ‍िर केजरीवाल सरकार और उपराज्‍यपाल के बीच एक नई जंग की पटकथा लिखी जा चुकी है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 20 Feb 2018 12:11 PM (IST)
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दिल्‍ली सरकार v/s LG: लिखी गई सियासी जंग की पटकथा, निशाने पर नौकरशाह

नई दिल्‍ली [ जेएनएन ]। दिल्‍ली सरकार के सचिवों और प्रधान सचिवों के बहाने एक बार फ‍िर केजरीवाल सरकार और उपराज्‍यपाल के बीच एक नई जंग की पटकथा लिखी जा चुकी है। दरअसल, दिल्‍ली के एलजी अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के सचिवों और प्रधान सचिवों को उपराज्‍यपाल के नाम पर जारी होने वाले सभी आदेशों का सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं होने पर उनके खिलाफ सरकारी खजाने को पहुंचे आर्थिक नुकसान की वसूली सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि एलजी के इस नए फरमान पर दिल्‍ली सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नौकरशाहों के बहाने दिल्‍ली में एक नई सियासी जंग शुरू हो सकती है। इसलिए कयास यह लगाया जा रहा है कि इस कार्रवाई की आंच केजरीवाल सरकार तक आनी तय है। नौकरशाहों के स्‍थानांतरण को लेकर एलजी और उपराज्‍यपाल के बीच पहले भी जमकर रार हो चुकी है। इस बार यह देखना दिलचस्‍प होगा कि यह एलजी के इस स्‍टेप के निहितार्थ क्‍या होंगे। सबकी नजरें एलजी की ओर टिकी है। 

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की ओर से सभी नौकरशाहों को लिखित में भेजे गए संदेश में यह जानकारी दी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस कदम का आशय यह है कि उपराज्यपाल के नाम का आप सरकार के किसी निर्णय पर जारी होने वाले आदेश को संबंधित अधिकारी से सत्यापित होना चाहिए।

पूर्व में एलजी कार्यालय और अरविंद केजरीवाल सरकार अनेक अधिकारियों की तैनाती तथा स्थानांतरण सहित अनेक मुद्दे पर आमने सामने आ चुके हैं।

विभाग के प्रमुखों तथा दिल्ली के मंत्रियों के सचिवों को इस माह की शुरुआत में जारी संदेश में प्रकाश ने कहा, ‘ये निर्णय कानूनी रूप से वैध हो इसके लिए सभी कार्यकारी निर्णय उस सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिए जाने चाहिए जिनके पास ऐसे निर्णय लेने का अधिकार हैं तथा इसके बाद जारी हुए आदेश को उस अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए जो नियम के तहत ऐसा करने के लिए अधिकृत हो। '

इसमें कहा गया कि उपराज्यपाल ने निर्देश दिए हैं कि कोई अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पर कानून अथवा नियमों की उपेक्षा नहीं करे। कोई अफसर अगर इसकी अवहेलना करते पाया गया तो वह सक्षम प्राधिकार की ओर से उचित कार्रवाई का हकदार है, जिसमें अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा आर्थिक नुकसान की भरपाई भी शामिल है।

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