Move to Jagran APP

लालू यादव के दामाद ने हरियाणा में खेला जाति का कार्ड, अखिलेश यादव की शान में पढ़े कसीदे

उन्होंने कहा कि अहीर रेजीमेंट इसलिए नहीं बन पाई, क्योंकि अंग्रेज नहीं चाहते थे कि यह वीर कौम आगे बढ़े।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 05 May 2018 11:11 AM (IST)
Hero Image
लालू यादव के दामाद ने हरियाणा में खेला जाति का कार्ड, अखिलेश यादव की शान में पढ़े कसीदे
रेवाड़ी (जेएनएन)। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष और चारा घोटाले में फिलहाल सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव यादव हरियाणा की राजनीति में अपनी अलग पहचान के लिए जोर आजमाइश में जुटे हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने अपनी सक्रियता भी बढ़ा दी है। इस कड़ी में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव दामाद चिरंजीव राव ने पिछले दिनों अहीर रेजीमेंट की मांग को लेकर रेवाड़ी से लेकर कनाट प्लेस तक हस्ताक्षर अभियान चलाने का एलान किया है।

लालू के बेटे तेजस्वी की भी की तारीफ

इस दौरान चिरंजीव ने अहीर रेजीमेंट की मांग उठाने के लिए उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का भी जमकर गुणगान किया। राजनीति के जानकारों की मानें तो अहीर रेजीमेंट को लेकर अभियान चलाना कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे का जातिगत कार्ड खेलना माना जा रहा है। अब इसमें वे कितने कामयाब होते हैं? यह तो वक्त ही बताएगा।

सरकार पर बनाएंगे दबाव

वहीं, चिरंजीव ने कहा कि अहीर रेजीमेंट की मांग अहीर समाज की मांग है यह 125 साल पुरानी है। हम आगामी 6 मई को सबसे पहले यहां के बीएमजी माल में सुबह 10 बजे से एक दिवसीय हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे। इसके बाद गुरुग्राम व महेंद्रगढ़ जिले में तथा बाद में कनाट प्लेस सहित पूरे देश में हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे। सरकार पर दबाव बनाएंगे।

वहीं, जब चिरंजीव से पूछा गया कि कांग्रेस सरकार के समय यह मांग क्यों नहीं उठाई गई तो उन्होंने कहा कि हमने उस वक्त भी आवाज उठाई थी और आगे भी उठाते रहेंगे। हम अकेले यह लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि अन्य संगठन भी यह लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारे खड़े होने से उनको भी ताकत मिलेगी।

अंग्रेजों ने नहीं बनने दी अहीर रेजिमेंट

लालू प्रसाद यादव के दामाद ने दावा किया कि देश में 20 फीसद अहीर हैं। सन् 1857 की क्रांति में राव गोपाल देव और राव तुलाराम के नेतृत्व में अंग्रेजों के दांत खट्टे किए थे। इसके अलावा प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, नसीबपुर के युद्ध के अलावा रेजागंला से लेकर संसद हमले तक अहीर वीरों ने शहादत का इतिहास लिखा है। देश में कई जातियों की रेजीमेंट बनी हुई है, लेकिन अहीर रेजीमेंट इसलिए नहीं बन पाई, क्योंकि अंग्रेजों को हराने में अहीरों का विशेष योगदान था। अंग्रेज नहीं चाहते थे कि यह वीर कौम आगे बढ़े।

चिरंजीव ने कहा कि इस मुहिम में हम दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी राजनीतिक दलों व गैर राजनीतिक संगठनों का सहयोग मांगेंगे, क्योंकि यह किसी व्यक्ति विशेष का कार्य न होकर सर्व समाज का है। गुजरात सहित कई राज्यों में यादव समाज यह मांग उठा रहा है।

चुनावी गणित है मुहिम

ऐसा माना जा रहा है कि आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर हरियाणा के अहीरों में पैठ मजबूत करने के लिए यह मांग उठाई गई है, लेकिन यह भी सच है कि कुछ दिन पहले सामाजिक स्तर पर भी अहीर रेजीमेंट की मांग उठ चुकी है। चुनावों से ऐन पहले सजातीय वोट बैंक में कोई दूसरा सेंध न लगा ले, इस बात को ध्यान में रखकर ही कैप्टन यादव परिवार अब अहीर रेजीमेंट के मुद्दे पर सबसे आगे खड़ा दिखाई देना चाहता है। रिश्तेदारी का गणित इस मुहिम को ताकत देगा।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।