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यमुना की सफाई को लेकर किए जा रहे दावे खोखले, 37 में से 21 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट मानक पर खरे नहीं उतरे

दिल्ली में उत्पन्न लगभग 790 एमजीडी सीवेज में से लगभग 550-600 एमजीडी का उपचार एसटीपी में किया जाता है। उस उपचारित पानी में से लगभग 260 एमजीडी यमुना में चला जाता है जबकि 125 एमजीडी का उपयोग बागवानी के लिए किया जाता है। बाकी का उपयोग जलाशयों को भरने और भूजल रिचार्ज करने के लिए किया जाता है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की नई रिपोर्ट आई है।

By Sonu Suman Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 20 Sep 2024 09:27 PM (IST)
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दिल्ली में 37 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में से 21 अभी भी मानकों पर खरे नहीं उतर रहे।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। यमुना की सफाई को लेकर किए जाने वाले बड़े-बड़े दावों के बीच दिल्ली में 37 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में से 21 अभी भी मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। जून-जुलाई के बाद अगस्त माह में भी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट इस सच्चाई को तथ्यात्मक रूप से बयां करती है।

डीपीसीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 37 एसटीपी का विश्लेषण मल कोलीफार्म, डिजोल्व ऑक्सीजन मांग, ठोस कचरा (टीएसएस), तेल, ग्रीस और उपचारित पानी में घुले फास्फेट के आधार पर किया गया था। इन मानकों पर 56 प्रतिशत एसटीपी विफल रहे।

बीओडी पानी की स्वयं को साफ करने की है क्षमता

गौरतलब है कि एसटीपी से उपचारित या अनुपचारित पानी आमतौर पर यमुना में चला जाता है। बहुत बार बागवानी के लिए उपयोग किया जाता है। बीओडी पानी की स्वयं को साफ करने की क्षमता को इंगित करता है क्योंकि यह पानी में कार्बनिक पदार्थों के उपचार के लिए आवश्यक आक्सीजन की मात्रा है। फिकल कोलीफॉर्म पानी में अनुपचारित सीवेज की उपस्थिति का बताता है।

रिपोर्ट के अनुसार, केशोपुर, निलोठी, नजफगढ़, पप्पन कलां, रोहिणी, नरेला, यमुना विहार, महरौली, वसंत कुंज, मोलडबंद, ओखला और घिटोरनी में एसटीपी मल कोलीफार्म के मापदंडों से मेल खाने में विफल रहे।

125 एमजीडी का होता है बागवानी के लिए उपयोग 

एसटीपी से पानी नालों में जाता है और उनके माध्यम से नदी में मिल जाता है। दिल्ली में उत्पन्न लगभग 790 एमजीडी सीवेज में से लगभग 550-600 एमजीडी का उपचार एसटीपी में किया जाता है। उस उपचारित पानी में से, लगभग 260 एमजीडी यमुना में चला जाता है, जबकि 125 एमजीडी का उपयोग बागवानी के लिए किया जाता है। बाकी का उपयोग जलाशयों को भरने और भूजल रिचार्ज करने के लिए किया जाता है।

हालांकि जल बोर्ड सीवरेज उपचार के लिए अपनी स्थापित क्षमता को जनवरी में 632 एमजीडी से बढ़ाकर जुलाई में 712 एमजीडी करने में कामयाब रहा है, लेकिन कई सीवर या नालियां, ज्यादातर अनधिकृत कॉलोनियों में, अभी भी टैप नहीं की गई हैं।

अगस्त में बढ़ गया था प्रदूषण का स्तर

प्रमुख शहरी नालों की गुणवत्ता का आकलन करने के बारे में डीपीसीसी की एक अन्य रिपोर्ट में पाया गया कि अगस्त में, नदी में गिरने वाले कई बड़े नालों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया था। नालों पर रिपोर्ट से पहले, यमुना पर डीपीसीसी के एक आकलन में वर्षा के बावजूद अगस्त में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी की ओर इशारा किया गया था।

एसटीपी पर अगस्त के लिए डीपीसीसी के विश्लेषण पर जल बोर्ड के अधिकारियों से पक्ष भी मांगा गया, लेकिन मिला नहीं।

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