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'रिकार्ड बारिश और तापमान में असामान्य वृद्धि का एकमात्र कारण जलवायु परिवर्तन', एक्सपर्ट ने बताई वजह

मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष देशभर में सामान्य से अधिक बरसात हुई। भारत ने एक जून से 30 सितंबर तक कुल 934.8 मिमी वर्षा दर्ज की जो औसत 868.6 मिमी से अधिक है। जुलाई से सितंबर के महीनों में बारिश अप्रत्याशित रही जबकि जून में अल-नीनो के प्रभाव के कारण वर्षा में 11 प्रतिशत की कमी देखी गई थी।

By sanjeev Gupta Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 17 Oct 2024 09:11 PM (IST)
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जलवायु परिवर्तन के कारण रिकॉर्ड बारिश और तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। इस साल रिकॉर्डतोड़ वर्षा और असामान्य तापमान ने भारत को झकझोर कर रख दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम का यह अस्थिर रूप जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के चलते देखने को मिला है। भारी बारिश और बढ़ते न्यूनतम तापमान ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया। भविष्य में इस स्थिति के और गंभीर होने की आशंका जताई जा रही है।

मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष देशभर में सामान्य से अधिक बरसात हुई। भारत ने एक जून से 30 सितंबर तक कुल 934.8 मिमी वर्षा दर्ज की, जो औसत 868.6 मिमी से अधिक है। मानसून का यह प्रदर्शन, विशेष रूप से जुलाई से सितंबर के महीनों में अप्रत्याशित रहा, जबकि जून में अल-नीनो के प्रभाव के कारण वर्षा में 11 प्रतिशत की कमी देखी गई थी।

अगस्त और सितंबर में रिकॉर्डतोड़ बरसात

आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त और सितंबर में रिकॉर्डतोड़ बरसात हुई। अगस्त में 753 स्टेशनों पर और सितंबर में 525 स्टेशनों पर बहुत भारी वर्षा दर्ज की गई, जो पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले सर्वाधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण ही वर्षा की तीव्रता और अस्थिरता में वृद्धि हो रही है।

भारी वर्षा के बावजूद 2024 के मानसून के दौरान रात के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। देश के मध्य और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से अधिक रहा। पूर्वोत्तर भारत में अब तक का सर्वाधिक न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।

तापमान में वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग के कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में यह वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हुई है, जिससे न केवल दिन में बल्कि रात के समय भी गर्मी का असर बढ़ रहा है। इससे नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। खासकर बुजुर्गों और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों के लिए यह स्थिति और खतरनाक बन रही है।

विज्ञानियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने मानसून की पारंपरिक धारा को बदल दिया है। पहले जहां मानसून की प्रणाली उत्तर की ओर चलती थी, अब यह दक्षिण और मध्य भारत में अधिक सक्रिय हो रही है। इस बदलाव के कारण लगातार भारी वर्षा और तापमान में अचानक वृद्धि देखी जा रही है।

बीते छह वर्षों में मौसम प्रणालियों में बदलाव

आईएमडी के पूर्व महानिदेशक डॉ. केजे रमेश कहते हैं, "पिछले पांच छह वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम प्रणालियों की अवधि बढ़ गई है। इससे जमीन पर गीली मिट्टी वाले इलाकों में वर्षा की तीव्रता बनी रहती है। यह वैश्विक तापमान में वृद्धि और लगातार जलवायु परिवर्तन के संकेत हैं।"

मानसून 2024 में वर्षा की स्थिति

  • 729 जिलों में से 340 जिलों में सामान्य वर्षा हुई।
  • 158 जिलों में सामान्य से अधिक जबकि 48 जिलों में अत्यधिक वर्षा दर्ज की गई।
  • 167 जिलों में वर्षा की कमी और 11 जिलों में गंभीर कमी दर्ज की गई।
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