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Brain Stroke Patients: ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए अच्छी खबर, अब 24 घंटे तक मिलेगा क्लॉट बस्टर इंजेक्शन

Delhi AIIMS एम्स में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए बड़ी खबर है। अब स्ट्रोक होने के 24 घंटे के भीतर क्लॉट बस्टर इंजेक्शन दिया जा सकेगा। इससे मरीजों की जान बचने और दिव्यांगता से बचने की संभावना बढ़ जाएगी। अभी तक यह इंजेक्शन केवल साढ़े चार घंटे के भीतर ही दिया जा सकता था। एम्स में इस पर ट्रायल चल रहा है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Sat, 02 Nov 2024 01:20 PM (IST)
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स्ट्रोक के मरीजों को 24 घंटे के भीतर भी दी जा सकेगी क्लाट बस्टर दवा। फाइल फोटो
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। ब्रेन स्ट्रोक के मरीज यदि साढ़े चार घंटे के भीतर अस्पताल न पहुंच पाए तो इलाज मुश्किल हो जाता है। इसलिए स्ट्रोक के मरीजों को जल्दी अस्पताल पहुंचना व समय पर इलाज मिलना बेहद महत्वपूर्ण होता है। अस्पताल पहुंचने में देरी मरीज की सेहत व जिंदगी पर भारी पड़ती है।

इसके मद्देनजर एम्स में स्ट्रोक के मरीजों के मस्तिष्क की नसों में हुए ब्लॉकेज को दूर करने के लिए 24 घंटे के भीतर क्लाट बस्टर इंजेक्शन देने का ट्रायल चल रहा है। इसके शुरुआती नतीजे डाक्टर सकारात्मक बता रहे हैं। यदि यह ट्रायल सफल रहा तो स्ट्रोक होने के 24 घंटे के भीतर भी यह दवा दी जा सकेगी, जो मरीजों की जिंदगी व दिव्यांगता से बचाने में मददगार हो सकती है।

हर साल करीब 17 लाख लोग होते हैं ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित

डॉक्टर बताते हैं कि देश में हर वर्ष करीब 17 लाख लोग ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं। इसमें से 65 से 70 प्रतिशत मरीज मस्तिष्क की नसों में खून थक्का होने व ब्लाकेज के कारण स्ट्रोक (इस्केमिक स्ट्रोक) से होते हैं पीड़ित। इस बीमारी में मस्तिष्क की नसों में ब्लॉकेज होने से रक्त संचार प्रभावित होता है।

इस वजह से मस्तिष्क का हिस्सा प्रभावित होता है। मौजूदा समय में इसके इलाज के लिए मरीज को साढ़े घंटे के भीतर मस्तिष्क की नसों से ब्लॉकेज दूर करने के लिए क्लाट बस्टर इंजेक्शन देना होता है। सीटी स्कैन जांच करने के बाद मरीज की स्थिति देखकर डॉक्टर यह इंजेक्शन देते हैं।

फाइल फोटो

इलाज के मौजूदा प्रोटोकाल के अनुसार स्ट्रोक होने के साढ़े चार घंटे बाद यह इंजेक्शन देने का प्रविधान नहीं है। लेकिन ज्यादातर मरीज इस समय अवधि में ऐसे अस्पताल में नहीं पहुंच पाते जहां यह दवा उपलब्ध हो। ऐसे में बहुत कम मरीजों को यह इलाज मिल पाता है।

अब तक करीब 50 मरीजों पर हुआ ट्रायल 

साढ़े चार घंटे से 24 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचने पर स्टेंट रिट्रीवर डालकर नसों से रक्त थक्का दूर करने का विकल्प है लेकिन यह सुविधा भी कुछ चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है। ऐसे में मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है।

एम्स के न्यूरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अवध किशोर पंडित ने बताया कि क्लाट बस्टर दवा देने की अवधि 24 घंटे करने के लिए एक ट्रायल शुरू किया गया है। दो वर्षों से यह ट्रायल चल रहा है और करीब सौ मरीजों पर ट्रायल किया जाना है। अब तक करीब 50 मरीजों पर ट्रायल हो चुका है।

इस ट्रायल में यह देखा जा रहा है कि यदि कोई मरीज स्ट्रोक होने के साढ़े चार घंटे बाद और 24 घंटे पहले पहुंचता है तो उन मरीजों को क्लॉट बस्टर दवा (Clot buster injection) देने से कितना फायदा होता है? अब तक संकेत अच्छे दिख रहे हैं। इसको लेकर अभी कहीं खास ट्रायल नहीं हुआ है। बाहर एक ट्रायल हुआ है। सौ मरीज पूरे होने पर ट्रायल का परिणाम जारी किया जाएगा।

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