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AIIMS Delhi: एम्स में कॉलेजियम का गठन, तीन से पांच फैकल्टी किए गए शामिल

AIIMS Delhi News एम्स में विभागाध्यक्षों की नियुक्ति में रोटेशन व्यवस्था लागू करने के लिए पिछले वर्ष एक कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की सिफारिशों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रोटेशन की जगह एक वर्ष के लिए कॉलेजियम व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया था। इसी कड़ी में एम्स प्रशासन ने संस्थान के 50 विभागों और केंद्रों में कॉलेजियम का गठन किया है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 28 Sep 2023 11:12 AM (IST)
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AIIMS Delhi: एम्स में कॉलेजियम का गठन, तीन से पांच फैकल्टी किए गए शामिल
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो।  एम्स ने विभागों के प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता लाने और अन्य संकाय सदस्यों की भागीदारी बढ़ाने के लिए कॉलेजियम का गठन कर दिया है। इसके तहत एम्स प्रशासन ने संस्थान के 50 विभागों और केंद्रों में कॉलेजियम का गठन किया है।

इस कॉलेजियम में विभाग में नियुक्त संकाय सदस्यों की संख्या के आधार पर तीन से पांच सदस्य शामिल किए गए हैं। इस कॉलेजियम के गठन के बाद एम्स प्रशासन ने अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया है।

इसलिए एम्स के सभी विभाग और केंद्र अब कॉलेजियम के माध्यम से संचालित होंगे। इसलिए अब विभागों से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले कॉलेजियम आपसी सहमति के आधार पर लेगा।

कॉलेजियम में विभागाध्यक्ष भी किए गए शामिल

जिन विभागों में संकाय सदस्यों की संख्या नौ या इससे कम है, उसेके कॉलेजियम में वरिष्ठता के आधार पर तीन फैकल्टी शामिल किए गए हैं। जिन विभागों में संकाय सदस्यों की संख्या नौ से अधिक है उसके कॉलेजियम में पांच सदस्य शामिल किए गए हैं। कॉलेजियम में विभागाध्यक्ष भी शामिल किए गए हैं।

इन विभागों के फैकल्टी कॉलेजियम में शामिल

इसी तरह न्यूरो सेंटर, कार्डियक सेंटर जैसे अन्य केंद्रों के कॉलेजियम में केंद्रों के प्रमुख शामिल किए गए हैं। त्वचा रोग, इंडोक्रिनोलाजी, इमरजेंसी मेडिसिन, गैस्ट्रोलाजी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, हेमेटालाजी, लैब मेडिसिन, पल्मोनरी, जेरियाट्रिक मेडिसिन, न्यूक्लियर मेडिसिन, प्लास्टिक व बर्न सर्जरी, रुमेटोलाजी, यूरोलाजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, नेफ्रोलाजी व सर्जिकल आंकोलाजी इन 16 महत्वपूर्ण विभागों सहित कई अन्य विभागों के कॉलेजियम में तीन फैकल्टी शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि एम्स में विभागाध्यक्षों की नियुक्ति में रोटेशन व्यवस्था लागू करने के लिए पिछले वर्ष एक कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की सिफारिशों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रोटेशन की जगह एक वर्ष के लिए कॉलेजियम व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया था।

इसके मद्देनजर कुछ सप्ताह एम्स ने कॉलेजियम के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर कॉलेजियम और विभागाध्यक्षों के अधिकारों का बटवारा कर दिया था। इसके बाद कॉलेजियम के गठन का रास्ता साफ हो गया था। इसी क्रम में अब कॉलेजियम का गठन कर दिया गया है।

कॉलेजियम की क्या भूमिका होगी?

इससे विभागाध्यक्षों के अधिकार सीमित हो गए हैं। विभाग की ओपीडी और वार्ड में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार, शोध व मेडिकल शिक्षा से संबंधित मामलों पर कॉलेजियम की भूमिका अहम होगी।

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हर महीने इस कॉलेजियम की एक बैठक अनिवार्य रूप से होगी। इस बैठक की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष करेंगे। मरीजों के लिए ओपीडी स्लाट, वार्ड में बेड, आपरेशन थियेटर (ओटी), लैब, फंड और विभिन्न एजेंसियों से मिलने वाले ग्रांट इत्यादि संसाधनों के आवंटन के फैसले कॉलेजियम करेगा।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जय), डिजिटल मिशन इत्यादि सरकारी योजनाओं के पालन के लिए आवश्यक फैसले भी कॉलेजियम करेगा। वहीं दिन प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित फैसले विभागाध्यक्ष और केंद्र प्रमुख खुद करेंगे।

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